अलीनगर थाना क्षेत्र के लौंदा गांव के एक पुल से पांच गांव का रास्ता है, उस पुल से प्रतिदिन हजारों लोगों का आवागमन होता है। वहीं पुल से सटे जर्जर खंभे पर टिका 11 हजार बोल्ड का तार बड़ी घटना का सबब बन सकता है। आये दिन विद्युत खंभों में फैल रहे करंट की चपेट में आकर पशु जान गवा रहे हैं। ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली शहर - गांव में केवल राजस्व वसूली तक ही सीमित रह गयी है। सबकुछ जानते हुए जिला प्रशासन और विभागीय अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि इस रास्ते पर हमेशा लोगों का आवागमन होता है। फिर भी प्रशासन और बिजली विभाग इसके प्रति गंभीर नहीं है। कहना है कि अलीनगर उपकेंद्र के निर्माण के 40 -45 बरस हो चुके हैं। उसी समय के लगे विद्युत तार और खंभे काफी जर्जर हो गए है और उसके रखरखाव तथा मरम्मत की ब्यवस्था कभी ठीक से नही कराई गई जिससे जर्जर तार झुके खंभे आंधी तूफान में टूट क्र गिर जाते है फिर बिभाग द्वारा किसी तरह जोड़तोड़ कर बिजली चालु कर दी जाती है और हमेसा फाल्ट और सप्लाई बन्द होने की मार जनता पर पड़ती और लोगो को उपकेंद्र का चक्कर लगाना पड़ता है। पुराने तारों के भरोसे जरूरत के मुताबिक ब्यवस्था में सुधार कर्र पाना सम्भव नही हो पा रहा है। नहर के किनारे काफी समय के लगे लोहे के खंभे जड़ से खोखले होते जा रहे हैं। कई पानी लगने से सड़ कर टूटने और गिरने के कगार पर हैं। यह लोगों की दीवारों और छतों पर किसी तरह अड़े हैं। यह कभी भी दुर्घटना को अंजाम दे सकते हैं। गांव में हमेशा टार टूटकर गिरता रहता और विद्युत फाल्ट होता है। जिससे बिजली अक्सर बाधित होती रहती है और उसका खमियाजा लोग भोगने को मजबूर हैं। लोगों ने प्रशासन और सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया है। जिससे जर्जर तार खंभे को बदलकर समस्या का समाधान किया जा सके।