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वीर बाल दिवस हमें प्रेरणा और नए संकल्प देता है : डा॰ अशोक राय



 26/Dec/25

वाराणसी। त्याग, तप, बलिदान और समर्पण की अद्भुत मिसाल के रूप में मनाया जाने वाला 26 दिसंबर का दिन वीर बाल दिवस के रूप में पूरे देश में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाता है। यह दिन सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादों की अमर शहादत को स्मरण करने का अवसर है।

यह जानकारी वरिष्ठ भाजपा नेता डा॰ अशोक राय ने दी। उन्होंने कहा कि वीर बाल दिवस हमें साहस, धर्म और मानवता के लिए खड़े होने की प्रेरणा देता है तथा समाज में नए संकल्पों को जन्म देता है।

साहिबजादों का बलिदान मानव इतिहास की अमूल्य धरोहर

डा॰ अशोक राय ने बताया कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की और उनके साहिबजादे भी खालसा की महान परंपरा के प्रतीक थे। वर्ष 1705 में मुगलों द्वारा गुरु गोबिंद सिंह जी को बंदी बनाने के प्रयास के दौरान उनका परिवार उनसे अलग हो गया।

उन्होंने बताया कि गुरु जी के दो बड़े साहिबजादे अजीत सिंह और जुझार सिंह ने मुगल सेना से वीरतापूर्वक युद्ध करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। वहीं छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को धर्म परिवर्तन से इनकार करने पर दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया। यह बलिदान भारतीय इतिहास में धर्म और आत्मसम्मान की अद्वितीय मिसाल है।

युवाओं को दिशा देता है वीर बाल दिवस

डा॰ अशोक राय ने कहा कि वीर बाल दिवस हमें यह संदेश देता है कि सच्चाई, आत्मसम्मान और मानवता की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार का त्याग सर्वोच्च धर्म है। यह दिन विशेष रूप से युवाओं को प्रेरित करता है कि वे जीवन में साहस, नैतिकता और राष्ट्रभक्ति को अपना मार्गदर्शक बनाएं।

उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों और जनजागरण केंद्रों पर वीर बाल दिवस का आयोजन साहिबजादों की वीरता और बलिदान को याद करने का सशक्त माध्यम है। इससे नई पीढ़ी में त्याग, तप और समर्पण की भावना विकसित होती है और राष्ट्र निर्माण के प्रति उनका दृष्टिकोण मजबूत होता है।

वीरता और बलिदान को नमन

डा॰ अशोक राय ने कहा कि वीर बाल दिवस केवल एक स्मृति दिवस नहीं बल्कि भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है, जो हमें सदैव धर्म और मानव मूल्यों के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

 


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