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दण्डपाणि च भैरवम् काशी की सम्पदा का महत्वपूर्ण अभिलेख



 10/Nov/25

प्रो. (डॉ.) विजय नाथ मिश्र और यतीन्द्र नाथ चतुर्वेदी की संयुक्त रचना काशी की संस्कृति, इतिहास और अध्यात्म का अद्वितीय संगम

वाराणसी की प्राचीन धरोहर और शिव नगरी काशी की आत्मा को शब्दों में पिरोने वाली एक अनोखी कृति के रूप में प्रोफेसर डॉक्टर विजय नाथ मिश्र और यतीन्द्र नाथ चतुर्वेदी द्वारा लिखित पुस्तक दण्डपाणि च भैरवम् हाल ही में प्रकाशित हुई है। यह ग्रंथ काशी की आध्यात्मिक विरासत, भैरव साधना और स्थानीय संस्कृति का गहन अध्ययन प्रस्तुत करता है।

प्रोफेसर डॉक्टर विजय नाथ मिश्र बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और पूर्व विभागाध्यक्ष रह चुके हैं। वे देश के प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट हैं और उत्तर भारत में मिर्गी रोगियों के प्रति समर्पण के लिए उन्हें मिर्गी मैन के रूप में जाना जाता है। वे गोस्वामी तुलसीदास जी की तपस्थली तुलसीघाट से जुड़ी उस परंपरा के प्रतिनिधि हैं जिसने संकटमोचन मंदिर की स्थापना की थी। विज्ञान, संस्कृति और अध्यात्म के संगम पर खड़ी उनकी यह पुस्तक काशी की गहराई को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है।

 


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