देशभक्ति से कार्यक्रम की शुरुआत, चिकित्सकों ने शहीदों को किया याद
वाराणसी, 30 अक्टूबर, 2025 ! IANCON 2025 की औपचारिक उद्घाटन गुरुवार को दोपहर करीब 12 बजे हुआ। 39 जीटीसी गोरखा रेजीमेंट्स के ब्रिगेडियर अनर्बन दत्ता की मौजूदगी में चिकित्सकों ने 17 फीट ऊंची बनाई गई प्रतीकात्मक मिलिट्री कैप को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान ब्रिगेडियर ने सेना के धैर्य और अनुशासन पर चर्चा भी की। उन्होंने बताया कि बॉर्डर पर सैनिकों के सामने कैसी-कैसी चुनौतियां होती है। जब सैनिक सीमा पर होता है तो उसका परिवार केवल वतन और कुटुंब देश का प्रत्येक नागरिक होता है। उन्होंने कहा कि सैनिक अपने कुटुंब (देश के नागरिकों) के लिए शहीद होता है। चिकित्सकों के उद्घाटन कार्यक्रम को शहीद सैनिकों और ऑपरेशन सिंदूर के जांबाज जवानों को समर्पित करने पर आभार जताया
इंडियन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी (IAN) के 32वें वार्षिक सम्मेलन (IANCON-2025) के दूसरे दिन वाराणसी के ताज होटल नदेसर में आयोजित सत्र में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) के प्रख्यात न्यूरोलॉजिस्ट प्रोफेसर लेय सैंडर ने “न्यूरोलॉजी: आज से 10 साल बाद” विषय पर अपना मुख्य व्याख्यान प्रस्तुत किया।
इस सत्र का केंद्र बिंदु था - न्यूरोलॉजी और मिर्गी के उपचार में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और आनुवंशिकी (Genetics) के माध्यम से आने वाले क्रांतिकारी परिवर्तन।
AI: मिर्गी और न्यूरोलॉजी में क्रांति की दिशा
प्रो. सैंडर ने अपने व्याख्यान में कहा कि आने वाले दशक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के निदान और उपचार के तरीके को पूरी तरह बदल देंगे।
उन्होंने बताया कि एआई आधारित तकनीकें अब सिर्फ डेटा विश्लेषण तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि वे मरीज़ के संपूर्ण न्यूरो-प्रोफाइल — जैसे कि इतिहास, EEG, वीडियो, न्यूरोइमेजिंग और हिस्टोपैथोलॉजी — का विश्लेषण कर अत्यधिक सटीक निदान (Precision Diagnosis) प्रदान करेंगी।
मिर्गी (Epilepsy) के उपचार में एआई के मुख्य लाभ
दौरे (Seizure) की भविष्यवाणी (Prediction) करने की क्षमता
मिर्गी उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों का स्थानीयकरण (Localisation)
* उपचार को व्यक्तिगत (Personalised) बनाने में मदद
* ट्रायल-एंड-एरर उपचार में कमी
* साइड इफेक्ट्स की भविष्यवाणी और सटीक दवा चयन
* भविष्य में सक्रिय मिर्गी से पीड़ित व्यक्तियों के लिए स्वायत्त वाहन (Autonomous Vehicles) चलाने की संभावना
प्रो. सैंडर ने साथ ही यह भी चेताया कि एआई सिस्टम की विश्वसनीयता के लिए विविध और विशाल डेटा सेट का निर्माण आवश्यक है, साथ ही एल्गोरिद्म के पूर्वाग्रह (Bias) पर सतत निगरानी भी अनिवार्य होगी।
जेनेटिक्स और बायोइन्फॉर्मेटिक्स: उपचार का नया ब्लूप्रिंट
प्रो. सैंडर ने जोर देकर कहा कि भविष्य की चिकित्सा सिर्फ लक्षणों के आधार पर नहीं, बल्कि जीनोमिक जानकारी और बायोइन्फॉर्मेटिक्स के विश्लेषण पर आधारित होगी।
उन्होंने कहा कि हर न्यूरोलॉजिकल विकार में जेनेटिक योगदान होता है — हालांकि यह हमेशा विरासत में नहीं मिलता, लेकिन इससे बीमारी की जैविक जड़ (Biological Root) की पहचान संभव होती है।
“अब चिकित्सा का ध्यान रोग पर नहीं, बल्कि व्यक्ति के समग्र कल्याण (Holistic Well-being) और व्यक्तिगत उपचार दृष्टिकोण पर केंद्रित होगा।”
न्यूरोलॉजी की नई सोच: रोग नहीं, प्रणालीगत दृष्टिकोण
प्रो. सैंडर ने कहा कि न्यूरोलॉजी को अब केवल मस्तिष्क की बीमारी नहीं, बल्कि पूरे शरीर की प्रणालीगत समस्या (Systemic Problem) के रूप में समझने का समय आ गया है।
उन्होंने बताया कि न्यूरोलॉजिकल विकारों को समझने के लिए चार प्रमुख आयामों को ध्यान में रखना आवश्यक है:
1. मस्तिष्क विकास का चरण
2. विकारों का स्पेक्ट्रम
3. आनुवंशिक खाका (Genetic Blueprint)
4. परिवेश (Environment)
इन चारों के आपसी संबंध से ही मस्तिष्क विकारों की जटिलता तय होती है।
उन्होंने मज़ाकिया लहजे में कहा
“जीवन स्वयं एक आनुवंशिक बीमारी है — जो यौन रूप से संचरित होती है और जिसकी मृत्यु दर 100% है।”
भविष्य की झलक: 10 वर्ष बाद की न्यूरोलॉजी
आने वाले दशक में चिकित्सा विज्ञान रोग-केंद्रित दृष्टिकोण से आगे बढ़कर सिस्टम आधारित दृष्टिकोण (System-based Approach) अपनाएगा।
मस्तिष्क विकारों को अब निम्नलिखित स्पेक्ट्रा के रूप में समझा जाएगा:
* आवेगजन्य (Paroxysmal)
* संरचनात्मक (Injury/Neoplasia)
* प्रतिरक्षी या सूजन संबंधी (Autoimmune/Inflammatory)
* संक्रमणजन्य (Infectious)
* पोषण/विषाक्त (Nutritional/Toxic)
* चयापचय (Metabolic)
* अपघटित (Degenerative)
यह वर्गीकरण उपचार को अधिक सटीक, समग्र और व्यक्तिगत बनाएगा।
एपिलेप्सी का नया दृष्टिकोण
भविष्य में एपिलेप्सी को एक अलग रोग के रूप में नहीं, बल्कि क्षणिक मस्तिष्क लक्षणों (Transient Brain Symptoms) के विस्तृत स्पेक्ट्रम के रूप में देखा जाएगा।
जीनोमिक्स, बायोइन्फॉर्मेटिक्स और एआई का समन्वय व्यक्ति-केंद्रित उपचार को नई दिशा देगा।
उद्देश्य होगा — समानता (Equity), सम्पूर्ण स्वास्थ्य (Well-being) और सटीक निदान (Precision) पर आधारित चिकित्सा।
समापन संदेश:
प्रो. सैंडर ने अपने संबोधन के अंत में कहा
“भविष्य उनका होता है जो अनिश्चितता को संभावना में बदल देते हैं।”
“न्यूरोलॉजी का भविष्य उस समझ में है, जहाँ हम मस्तिष्क को शरीर से अलग नहीं, बल्कि उसका प्रतिबिंब मानते हैं।”
6 हॉल में 67 विशेषज्ञों ने दिया व्याख्यान
IANCON-2025 में द्वितीय दिन प्रो. सैंडर के अलावा चार हॉल में 67 विशेषज्ञों ने अपने-अपने विषय पर व्याख्यान दिया। व्याख्यान के दौरान पूर्व में आने वाले चिकित्सकीय चुनौतियों, वर्तमान की दशा और भविष्य की दिशा पर जोर दिया। बाहर से आने वाले अतिथि विशेषज्ञों में विजय के. शर्मा (सिंगापुर), डॉक्टर सचिन अग्रवाल (यूएसए), डॉक्टर आरती सरवाल (यूएसए), मोनिका सैनी (सिंगापुर), डॉक्टर जलेश एन. पानीकर (यूके), डॉक्टर उदित सर्राफ (कोच्चि, केरला, भारत) नविता व्यास (मुंबई), डॉक्टर गगनदीप सिंह (लुधियाना) सहित सैकड़ों चिकित्सक शामिल रहे।
काशी की संस्कृति से परिचय
कार्यक्रम के अंत में पद्म अवॉर्डी प्रोफेसर राजेश्वर आचार्य और श्री संकटमोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विश्वंभरनाथ मिश्र जी ने अतिथि चिकित्सकों को काशी की विशेषता से रूबरू करवाया। प्रोफेसर राजेश्वर आचार्य ने (जलतरंग) तो प्रोफेसर विश्वंभरनाथ मिश्र ने (मृदंगम) के वादन से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
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