गाजीपुर। भांवरकोल थाना क्षेत्र में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुए एक वीडियो ने जिले की पुलिस पर सवाल खड़े कर दिए थे। वीडियो में एक महिला ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने उसके परिजन को 18 घंटे से अधिक समय तक थाने में बैठाकर रखा और जबरन सुलहनामा करने का दबाव बनाया।
वीडियो वायरल होते ही कुछ लोगों ने इसे पुलिस उत्पीड़न का मामला बताते हुए सोशल मीडिया पर शोर मचा दिया। लेकिन जब पुलिस ने पूरे मामले की गहन जांच की, तो सच्चाई बिल्कुल उलट निकली।
जांच में सामने आया कि वायरल वीडियो में दिख रही महिला नेहा राय, पुत्री संजय राय, ग्राम सोनाडी, थाना भांवरकोल की निवासी है। वीडियो में जिन परिजन को पीड़ित बताया गया था, वह महिला का भाई शिवम राय है, जो विवाद का मुख्य आरोपी निकला।
पुलिस जांच में यह भी पाया गया कि शिवम राय मनबढ़ प्रवृत्ति का युवक है, जिसके खिलाफ पहले से ही 7 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं — जिनमें मारपीट, धमकी, अपहरण, डकैती और शस्त्र अधिनियम जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं।
क्या है पूरा मामला ?
8 अक्टूबर 2025 की रात शिवम राय ने अपने ही गांव के निवासी राजेश राय (उम्र लगभग 37 वर्ष) को मोबाइल पर गाली-गलौज करते हुए धमकी दी थी।
अगले दिन 9 अक्टूबर को गांव के मेले में दोनों की मुलाकात हुई, जहां कहासुनी के बाद झगड़ा बढ़ा और मारपीट हो गई।
घटना के दौरान किसी ने मोबाइल से वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर डाल दिया।
पुलिस जांच में यह स्पष्ट हुआ कि वीडियो अधूरा था और उसमें झगड़े का प्रारंभिक हिस्सा नहीं दिखाया गया था।
जांच में यह निष्कर्ष निकला कि वायरल वीडियो और लगाए गए आरोप झूठे व भ्रामक हैं। यह पूरा प्रकरण प्रसाशन की नजर में राजेश राय की छवि खराब करने के लिए रचा गया था। कानून व्यवस्था की दृष्टि से दोनों पक्षों को बीएनएसएस की धारा 170 के अंतर्गत विधिक कार्रवाई में लिया गया है।
साथ ही प्रशासन द्वारा नागरिकों से अपील की गई है कि किसी भी वायरल वीडियो या संदेश पर बिना सत्यापन विश्वास न करें। किसी भी प्रकार के संदेह की स्थिति में सीधे संबंधित थाने या पुलिस नियंत्रण कक्ष से संपर्क करें।