वाराणती 29 सितम्बर 2025 लोक संस्कृति में समाहित परंपरा और उत्सव के रंगों को और भी गहरा करने के उद्देश्य से सोमवार की धीरेन्द्र महिला पी.जी. कॉलेज में डांडिया महोत्लाव-2025 का आयोजन किया गया। पारंपरिक गीत और डांडिया की धुनों पर छात्राओं ने बेहतर प्रस्तुति देकर विविधता में एकता का संदेश दिया तथा उत्सवधर्मी संस्कृति के विविध पक्षों को दर्शाया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन तथा शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा की आराधन के साथ किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार में पंजीयन एवं स्टाप शुल्क राज्यमंत्री रवीन्द्र जायत्तवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति धर्म, ज्ञान, कला, परंपरा, रीति-रिवाज व विविध उत्सवों का संगम है, जिससे वैश्विक स्तर पर इसकी पहचान बढ़ती जा रही है। उन्होंने भारतीय संस्कृति के आदर्श और मूल्यों के बारे में बताते हुए कहा कि विरासत की संरक्षित रखने के लिए अपनी समृद्ध विरासत से जुड़े महापुरूषों तथा परंपराओं के बारे में पढ़ें, जाने और अनुकरण करते हुए गर्व का अनुभव करें। राष्ट्र की समृद्धि का आधार बनने के लिए आधुनिक ज्ञान के साथ ही संस्कृति में समाहित ऐसे प्रसंगो से सीख लेने की जरूरत है, जिसमें नैतिकता, आदर्श और आध्यात्मिकता की भावना हमारी सांस्कृतिक विरासत को और भी समृद्ध बनाती है। प्रायः सभी उत्सव के पीछे धार्मिक एकता व सद्भावना का संदेश होता है जो सभी भारतवासियों को एकता के सूत्र में पिरोता है। खास तो यह कि असत्य पर सत्य पर विजय का प्रतीक उत्सव ही हमें दुनिया में खास पहचान देती है।
इस अवसर पर संस्था की प्रबंधक अंजू जायसवाल ने कहा कि सांस्कृतिक परंपराएं अतीत को वर्तमान से जोड़ती है तथा सामयिक परिप्रेक्ष में उसकी प्रासंगिकता की व्यक्त करती है। अपनी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करके हम न केवल अपनी जड़ो से जुड़ने का उत्सव मनाते है बल्कि विभिन्न सामुदायों के बीच प्रेम और भाईचारे की भावना विकसित करते हैं। यही परंपरा ही हमें वैश्विक स्तर पर सशत और मजबूत बना रही है। संस्था की प्रचार्य डॉ. नलिनी मिश्रा ने कार्यक्रम में आए अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि संस्कृति इंसान को सभ्य बनाती है और जीवन में उत्साह का प्रेरक होती है, इसलिए अपनी विरासत से जुड़े रहकर शिक्षा के वास्तविक अर्थ को समझे और उसपर अमल करें। इस अवसर पर बनारस घराने के कथक नर्तक विशाल कृष्ण डॉ. विपाशा शर्मा, आयुष जायसवाल, अक्षिता जायसवाल सहित सभी प्राध्यापक उपस्थित रहे।