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बनारस का रोपवे प्रोजेक्ट एक अत्याधुनिक अर्बन ट्रांसपोर्ट साधन के साथ टूरिज़्म, रोजगार और शहर के आर्थिक विकास का खोलेगा नया द्वार : पुलकित गर्ग VC



 30/Sep/25

भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्वतमाला प्रोजेक्ट के अंतर्गत एशिया का पहला अर्बन रोपवे प्रोजेक्ट शहरी परिवहन (अर्बन ट्रांसपोर्ट) के रूप में वाराणसी में शुरू किया है। यह रोपवे प्रोजेक्ट 3.8 किलोमीटर दूरी को कवर करता है, जो वाराणसी कैंट स्टेशन से गोदौलिया तक होगा। इसके बीच विद्या पीठ और रथयात्रा इंटरमीडिएट स्टेशन होंगे तथा गिरजाघर एक टेक्निकल स्टेशन होगा। इस प्रकार कुल 5 स्टेशन और 29 टावर बनाए जाएंगे। इस परियोजना की कुल लागत ₹815.58 करोड़ निर्धारित हुई है, जिसमें 15 वर्षों का ओ एण्ड एम (ऑपरेशन एण्ड मेंटेनेंस) भी शामिल है।

परियोजना की लागत के प्रमुख कारण

1. उच्च क्षमता का रोपवे डिजाइन:

• रोपवे की क्षमता 3000 पीपल पर ऑवर पर डायरेक्शन (पीपीएचपीडी) है, यानी 16 घंटे के संचालन में प्रतिदिन लगभग 96,000 यात्रियों की।

• इसके लिए 150 गोंडोला लगाए जाएंगे।

• यह क्षमता भारत के सबसे बड़े गुलमर्ग रोपवे की तुलना में 2.5 गुना अधिक है।

• अधिक क्षमता के कारण बड़े डायामीटर की रोप्स, हाई पावर ड्राइव्स एवं स्टैंडबाई सिस्टम्स, बड़े टर्मिनल्स, एडवांस्ड कंट्रोल और कम्युनिकेशन्स सिस्टम्स, तथा बेहतर इवैक्यूएशन और रेस्क्यू प्रावधान आवश्यक हुए।

2. आर्थिक मॉडल व स्टेशन विकास:

• रोपवे की टिकट दरें आम जनता के लिए किफायती रखने हेतु स्टेशनों को केवल ट्रांजिट प्वाइंट न होकर मल्टी स्टोरीड कमर्शियल स्पेस, बजट होटल्स और ऑफिस स्पेस के रूप में भी विकसित किया जा रहा है।

• लगभग 2,00,000 स्क्वायर फीट का निर्माण इस उद्देश्य से होगा।

• इससे रोपवे को निरंतर रेवेन्यू प्राप्त होगा, प्रोजेक्ट सेल्फ-सस्टेनेबल बनेगा और शहर की आर्थिक गतिविधियों व रोजगार में वृद्धि होगी।

3. ग्लोबल स्टैण्डर्ड्स ऑफ सेफ्टी (सीईएन स्टैण्डर्ड्स):

• लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और हाई क्वालिटी मटेरियल्स (गोंडोला और रोप्स सहित) का उपयोग किया जा रहा है।

• एक एडवांस्ड कंट्रोल रूम से सभी गतिविधियाँ और सेफ्टी पैरामीटर्स सेंसर्स के माध्यम से चौबीसों घंटे मॉनिटर की जाएंगी।

• इमरजेंसी के लिए तीन लेयर ऑफ सेफ्टी बनाई गई है:

a) गोंडोला अपने आप नज़दीकी स्टेशन तक पहुँच जाएगा।

b) ऑक्सिलरी मोटर्स और डीजी सेट हर समय उपलब्ध रहेंगे।

c) प्रशिक्षित दल के साथ क्रेन्स द्वारा वर्टिकल रेस्क्यू की व्यवस्था रहेगी। गोंडोला बाहर से खोले जा सकेंगे।

• चार स्तर का सेफ्टी सर्टिफिकेशन होगा: कन्सेशनैयर, सेफ्टी कंसल्टेंट, इंडिपेंडेंट इंजीनियर और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नामित रोपवे इंस्पेक्टर।

4. भू-तकनीकी चुनौतियाँ:

• रोपवे घनी आबादी वाले अर्बन एरिया से होकर गुजरता है और मौजूदा बिल्डिंग्स के ऊपर से जाता है।

• इस कारण टावर्स की हाइट बहुत अधिक रखनी पड़ी, जिसमें सबसे ऊँचा टावर 160 फीट है।

• इन टावर्स की फाउंडेशन 80 फीट गहरी बनाई गई है।

• गंगा के मैदानी क्षेत्र में होने के कारण स्टेशनों में पाइल फाउंडेशन लगभग 100 फीट गहरी की गई है।

• कैंट स्टेशन में लगभग 500 पाइल्स और अन्य स्टेशनों में 300 से अधिक पाइल्स बनाए जा रहे हैं।

• एलाइन्मेंट के कारण रथयात्रा से गोडौलिया मुड़ने के समय तेज़ टर्न पर गिरजाघर स्टेशन बनाना आवश्यक हुआ।

5. ओ एण्ड एम की लागत शामिल:

• कुल लागत में 15 वर्षों का ऑपरेशन और मेंटेनेंस शामिल है।

• इसमें ऑपरेशन, इलेक्ट्रिसिटी, जनसेट, मैनपावर, स्टेशन सिक्योरिटी, क्लीनलीनेस तथा इक्विपमेंट्स की रिपेयर और मेंटेनेंस सम्मिलित हैं।

6. विस्तृत फिज़िबिलिटी स्टडी:

• रोपवे प्रारंभ करने से पूर्व मेट्रो और अन्य परिवहन विकल्पों की तुलना में विभिन्न टेक्निकल ऑर्गनाइजेशन्स द्वारा फिज़िबिलिटी स्टडी की गई।

• अध्ययन में रोपवे को वाराणसी की जटिल शहरी परिस्थितियों में सबसे उपयुक्त और किफायती विकल्प पाया गया।

यह रोपवे प्रोजेक्ट वाराणसी के लिए केवल एक अत्याधुनिक अर्बन ट्रांसपोर्ट साधन नहीं होगा, बल्कि टूरिज़्म, रोजगार और शहर के आर्थिक विकास का नया द्वार भी खोलेगा।


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