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वाराणसी विकास प्राधिकरण की अनोखी पहल, कबीर मठ म्यूरल : संत कबीर की अमर वाणी, सांस्कृतिक धरोहर बना बनारस का नया सेल्फी-पॉइंट



 24/Sep/25

वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) द्वारा कबीर मठ, कबीर चौरा में एक अनूठी सार्वजनिक कला कृति कबीर मठ म्यूरलका कार्य कराया गया है। यह कार्य कबीर मठ प्रशासन के अनुरोध एवं सहमति पर प्रारम्भ किया गया। यह म्यूरल अभिषेक कुमार सिंह (संस्थापक, Curves & Colors) — पुरस्कार विजेता पब्लिक आर्ट क्यूरेटर द्वारा बनाया गया है उन्होंने इस परियोजना को दीवारें रंगनेके बजाय संवाद करनेकी तरह गढ़ा है। यह संत कबीर की शाश्वत शिक्षाओं और उनके जीवन दर्शन को अभिव्यक्त करता है। इस कलाकृति में संत कबीर के जीवन के विभिन्न आयाम उनका ध्यान, भजन, निर्भीक उपदेश और खादी कातने की सादगीपूर्ण दिनचर्या सभी को उनके हस्तलिखित दोहों के साथ दीवार पर उकेरा गया है। भारतीय मिनिएचर पेंटिंग से प्रेरित इस म्यूरल में मृदुल एवं प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया गया है, जो संत कबीर के सरल, गहन और सार्वभौमिक संदेश को प्रकट करता है। इसमें कमल, पक्षी और वृक्ष जैसे प्रतीकों के माध्यम से दर्शकों को आत्मचिंतन और आध्यात्मिक गहराई की ओर आमंत्रित किया गया है। यह मात्र एक भित्तिचित्र नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है जहाँ तूलिका की हर रेखा कबीर की वाणी में परिवर्तित हो जाती है।

कार्यक्रम में मुख्य कलाकार: ऋषिराज बोंग यूएफओचक्रवर्ती सुप्रसिद्ध भारतीय स्ट्रीट आर्टिस्ट एवं “UFO” समूह के सह-संस्थापक, जिनकी कृतियाँ सामाजिक संदेशों को जनमानस तक पहुँचाने का माध्यम रही हैं। सहायक कलाकार में शिवम सेठ, अरविंद लाल, शिवम कुमार त्रिपाठी, अभिनंदन विश्वकर्मा, वरुण प्रजापति, अन्य सहयोगीयों में हर्षित मिश्रा प्रोडक्शन मैनेजर, शम्स आलम एक्ज़ीक्यूशन इंचार्ज, के. एस. श्रीवास्तव इलस्ट्रेटर रहे।

आज यह स्थल बनारस का एक प्रमुख आकर्षण एवं लोकप्रिय सेल्फी-पॉइंटबन चुका है। बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक और पर्यटक यहाँ आकर तस्वीरें और वीडियो बना रहे हैं, जिससे यह जगह सांस्कृतिक धरोहर के साथ-साथ आधुनिक शहरी जीवन का भी हिस्सा बन गई है। यह म्यूरल न केवल संत कबीर की विरासत को जीवंत बनाए रखता है, बल्कि एक संदेश भी देता है सादगी, सामंजस्य और एकता ही जीवन का वास्तविक सत्य है। इन पहलों के माध्यम से वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और आधुनिक कला के मेल को सुनिश्चित करते हुए सार्वजनिक स्थलों का सौंदर्यीकरण एवं कलात्मक पुनर्परिभाषा दिया गया है। साथ ही नागरिकों की सक्रिय भागीदारी के जरिए सामुदायिक एकजुटता और रचनात्मकता को बढ़ावा देते हुए वाराणसी को “India’s Living Canvas” के रूप में प्रस्तुत करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।


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