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गोत्र ही हिंदुओ की पहचान, 33 कोटि देवी देवताओं की आश्रय स्थली गौमाता : जगदगुरू शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती



 16/Sep/25

गौमाता के प्राणों की रक्षा व गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित कराने हेतु चल रहे राष्ट्रव्यापी धर्मान्दोलन के अंतर्गत बिहार में गौमतदाता संकल्प यात्रा के दौरान आज सुपौल में सनातनधर्मियों को सम्बोधित करते हुए परमाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती महाराज ने कहा कि गोत्र ही हिंदुओं की पहचान है जिसे हिन्दू भूलते जा रहे हैं। अपने गोत्र व उसके महत्व को याद रखना हर सनातनधर्मी का परम कर्तव्य है।

आज सुपौल में शंकराचार्य जी महाराज को उनके प्रवास स्थल भारी संख्या ने उपस्थित गौभक्तों व बिहार वासियों ने उन्हें पालकी में आरूढ़ कराकर कार्यक्रम स्थल तक ले गए जहां उपस्थित जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए परमधर्माधीश शंकराचार्य गौमाता के महात्म्य को निरूपित करते हुए कहा कि 33 कोटि देवी देवताओं की आश्रय स्थली गौमाता के महत्व इसी से समझा जा सकता कि हमारे जीवन मे गुरु व ईश्वर का अत्यंत महत्व है लेकिन हम जब अपने घर मे भोजन बनाते हैं तो पहली रोटी गौमाता के लिए बनाते हैं। गौमाता के रक्षा हेतु नारायण हर युग मे अवतरित होते हैं। गोविंद के इस भारत भूमि पर अब हमलोग किसी भी कीमत पर गौमाता के रक्त को नही गिरने देंगे। हमलोग करीब 78 वर्ष तक नेताओं पर भरोसा करके बैठे रहे लेकिन नेता गोकशी को रोकने की स्थान पर निहित स्वार्थ हेतु बढ़ावा देते चले जा रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम गौमाता के प्राणों की रक्षा हेतु मतदान करें। जिससे कि गौमाता की प्राणों की रक्षा हो और हम गोकशी के पाप से बच सकें। शंकराचार्य महाराज ने उपस्थित गौभक्तों को दाहिना हाथ उठाकर गौमाता के रक्षा हेतु मतदान करने हेतु संकल्पित करवाया।

कार्यक्रम अनन्तर शंकराचार्य महाराज फारबीसगंज पहुच गए। जहां मार्ग में अनेकों स्थान पर भक्तों ने पुष्पवर्षा व जयकारे से शंकराचार्य जी महाराज का स्वागत अभिनंदन व वंदन किया। बीच मे कुछ स्थलों पर भक्तों ने शंकराचार्य महाराज के चरणपादुका का पूजन कर अपने जीवन को धन्य बनाया। शंकराचार्य महाराज आज फ़ारबीसगंज में ही विश्राम करेंगे।

इस दौरान प्रत्यक्चैतन्यमुकुंदानंद गिरी: महाराज, श्रीनिधिरव्यानन्द दिव्यानंद सागर, देवेंद्र पाण्डेय, राजीव झा, रामकुमार झा ने लोगों को सम्बोधित किया।


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