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जब बादशाह ही लोगों को डरवाने लगे  तो फिर कौन दिखाएगा राह..?

सुरेश प्रताप (वरिष्‍ठ पत्रकार)

 02/Aug/20

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए यह तमाशा किस लिए 

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए पहले उन्होंने कहा कि 22 मार्च को एक दिन का "जनता कर्फ्यू" लगाइए और उस दिन शाम को ताली-थाली बजाइए. लोग कहे ठीक है, ऐसा ही होगा. हमने ऐसा ही किया।

आप क्या जानते हैं कि यह ऐलान यों ही मज़ाक में किया किया गया था ? नहीं..! यह भविष्य की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था. यह उस मिज़ाज को जानने व समझने की कोशिश थी कि हमारे कहने पर जनता कितनी दूर तक उसका पालन करते हुए जा सकती है और इस कार्य में माहौल बनाने के लिए प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया से कितनी मदद मिलेगी।

मुझे याद है मार्च महीने का वह दिन, जब सोशल मीडिया भी इस ऐलान के पक्ष/ विपक्ष में बंट गई थी। जोरदार बहसें चल रही थीं. "जनता कर्फ्यू" पूरे देश में सफल रहा और शाम होते-होते यह कर्फ्यू उत्सव के माहौल में तब्दील हो गया था। सिर्फ ताली, थाली और शंख ही नहीं बजे बल्कि पटाखे भी बजाए गए. सड़क पर "गो कोरोना गो" के उद्घोष के साथ जुलूस निकला और चारों तरफ आनंद का माहौल दिखा. ऐसा लगा जैसे एक दिन के जनता कर्फ्यू के बाद कोई जंग जीती गई हो।

कोई सवाल नहीं पूछ रहा था कि यह तमाशा किस लिए किया जा रहा है ? जो पूछने का साहस दिखाए उन्हें "मोदी भक्त" चुप करा दे रहे थे. दरअसल इस तमाशे के बाद ही "काली रात" दस्तक देने वाली थी, जिसके लिए मनोवैज्ञानिक स्तर पर मस्तिष्क की तैयारी की जा रही थी. मीडिया सबसे आगे उछल-उछल कर खबर को तमाशे में तब्दील करने की दिशा में जुट गई थी. संकट अभी आगे प्रतीक्षा कर रहा था, जिसका अंदाजा तब किसी ने सपने में भी नहीं लगाया था।

फिर 24 मार्च की रात 8 बजे टीवी पर पीएम मोदी आते हैं और ऐलान करते हैं कि रात 12 बजे से 21 दिन का पूरे देश में लाॅकडाउन रहेगा. ट्रेन, बस, हवाईजहाज, दुकान, स्कूल-कालेज सब बंद रहेगा कोरोना वायरस से लड़ने के लिए..! और ऐसा ही हुआ। एक झटके में सब कुछ बंद हो गया. प्रतिदिन कमाने-खाने वाले सड़क पर आ गए. रोजगार ठप..! महानगरों में काम करने वाले मजदूर अपने घर जाने के लिए हजारों किलोमीटर की पदयात्रा पर निकल पड़े।

वह पूरा दृश्य आपको याद होगा. बादशाह चुप थे. उनके चौकीदार मोर्चे पर तैनात थे. फिर देश में "जमाती-जमाती" का खेल शुरू हुआ। मीडिया भी पूरे दम-खम के साथ इस खेल में कूद गई. सवाल कई थे, जिसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. लाॅकडाउन के तीन माह बाद अब सबका नशा उतर चुका है. जो पहले खिलाड़ी थे, अब वे खुद दर्शक दीर्घा में बैठकर टुकुर-टुकुर वातावरण को देख रहे हैं।

राइट-लेफ्ट की नीति के तहत दुकानें खोलने का फैसला हुआ और अब दोनों तरफ की दुकानें खुलेंगी. पहले शराब की दुकानें खुलीं और लोगों ने काफी उत्साह दिखाया. यानी सब कुछ ठीक-ठाक है. जनता बीते दिनों की त्रास्दी को भूल जाएगी. दीप जलाने से लेकर पुष्प वर्षा तक का नाटक हुआ. फिर चीन आ गया और अब अयोध्या में राममंदिर का शिलान्यास..! कभी-कभी सोचिए तो लगता है कि सब कुछ किसी फिल्मी पटकथा की तरह चल रहा है. डायरेक्टर को पता है कि अगली सीन में क्या दृश्य होगा लेकिन किरदार हवा में हैं. उनका काम सिर्फ अभिनय करना है।

खबरों के मुताबिक कोरोना वायरस के पीछे एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश भी काम कर रही है. पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस के हमले से पहले ही चौपट हो गई थी. दुनिया में बेरोजगारी बढ़ रही थी और शासकों को कोरोना वायरस की आड़ में अब मुंह छिपाने का अच्छा बहाना मिल गया है. आखिर जब सबका रोजगार चौपट हो रहा है तो कुछ लोगों की आमदनी कोरोनाकाल के लाॅकडाउन में किस गणित से बढ़ गई ?

कोई भी बीमारी एक प्रकार का रोग है. यह जंग का मैदान नहीं है. जंग में कोई जीतता नहीं है, सब हारते हैं. सड़क पर कोरोना के संबंध में शासन-प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रचार की भाषा पर गौर करिए.. "कोरोना से जंग" ! तो आप बीमारी से बचने की जगह युद्ध कर रहे हैं. अब कोरोना वायरस मीडिया और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को भी अपने लपेटे में ले चुका है।

मजदूर वर्ग तो पहले ही दम तोड़ चुका था लेकिन अब मध्यम व उच्च वर्ग की भी हवा निकल चुकी है. यह उनके चेहरे से साफ झलक रहा है. राजनीतिक पैंतरेबाजी भी खुलकर सामने आ चुकी है. दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो बिना लाॅकडाउन किए कोरोना से लड़ रहे हैं. सिर्फ सावधानी बरत करके और जहां कोरोना मरीज पाए जाते हैं और उस इलाके को सील करके उपचार कर रहे हैं।

अब हम भी इसी नीति पर चलने जा रहे हैं लेकिन सब कुछ बर्बाद करने के बाद..! अब 15 लाख से अधिक कोरोना संक्रमित लोग देश में हो चुके हैं. इस दौरान हम पूरे देश को रंगमंच में तब्दील कर चुके हैं. किरदार अपना डाॅयलाग बोल रहे हैं. कोरोना उत्सव में आत्मनिर्भर होने की तलाश में लोग भटक रहे हैं और अवसाद व अकेलापन धीरे-धीरे लोगों को अपने चंगुल में समेट रहा है।

 


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