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एपीडा द्वारा वाराणसी एयरपोर्ट से कृषि निर्यात बढ़ाने हेतु क्षमता निर्माण एवं विचार मंथन कार्यक्रम का आयोजन



 02/Sep/25

एपीडा के साथ मिलकर मंडलीय प्रशासन वाराणसी से कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है : मंडलायुक्त एस० राजलिंगम

वाराणसी। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वाराणसी स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कृषि निर्यात संवर्धन हेतु क्षमता निर्माण एवं विचार मंथन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वाराणसी मंडलायुक्त एस राजलिंगम ने की। बैठक में प्रतिभागियों ने कृषि निर्यात से जुड़ी अनेक चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया। इसमें प्रमुख रूप से कृषि उत्पादों के लिए एयरलाइंस द्वारा उच्च मालभाड़ा दरें, कार्गो स्थान की सीमाएं, ट्रांस-शिपमेंट बॉन्ड का प्रभावी उपयोग न होना जैसी समस्याओं को रेखांकित किया गया।

वर्तमान वैश्विक अनिश्चितताओं और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार कृषि-निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण अंतरालों की पहचान करने और उन्हें दूर करने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है। इसी दृष्टिकोण के तहत एपीडा ने एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसका उद्देश्य निर्यातकों, व्यापारियों और किसानों की सहभागिता सुनिश्चित करते हुए क्षेत्रीय क्षमताओं को मजबूत करना था, ताकि वे वैश्विक चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर सकें और उभरते निर्यात अवसरों का लाभ उठा सकें।

वाराणसी बन रहा है कृषि उत्पादों के निर्यात का नया हब, निर्यातकों ने उठाई हवाई भाड़ा बढ़ोतरी और ट्रांस-शिपमेंट बॉन्ड उपयोग न होने की समस्या

कार्यक्रम में आईआईवीआर, आईआरआरआई और कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों द्वारा तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें गुणवत्तापूर्ण उत्पादन, उन्नत किस्मों की खेती तथा गुड एग्रीकल्चरल प्रैक्टिसेज (GAP) को अपनाने पर विशेष बल दिया गया।

प्रतिभागियों ने बताया कि एयरलाइंस के पास ट्रांस-शिपमेंट बॉन्ड तो उपलब्ध हैं, परंतु उनका उपयोग कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए नहीं किया जा रहा है, जिससे क्षेत्रीय किसानों और निर्यातकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। साथ ही, हाल ही में एयरलाइंस ने मालभाड़ा दरों में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि कर दी है, जिससे कृषि उत्पादों का निर्यात और अधिक प्रभावित हो रहा है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मंडलायुक्त ने कहा कि “मंडलीय प्रशासन, एपीडा के साथ मिलकर वाराणसी से कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। एयरलाइंस द्वारा मालभाड़ा वृद्धि एवं ट्रांस-शिपमेंट बॉन्ड के उपयोग जैसे मुद्दों को नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) और संबंधित एयरलाइंस के समक्ष गंभीरता से उठाया जाएगा।” एपीडा के क्षेत्रीय प्रभारी डॉ. सी.बी. सिंह ने कहा कि “एपीडा निरंतर प्रयासरत है कि वाराणसी हवाई अड्डे से कृषि निर्यात को प्रोत्साहित किया जा सके। एयरफ्रेट की दरों में हुई वृद्धि का मुद्दा भी उठाया गया है। हम किसानों, एफपीओ एवं निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ने के लिए निरंतर कार्य करते रहेंगे।” एपीडा द्वारा पिछले कुछ वर्षों में वाराणसी एवं आसपास के जिलों में 25 से अधिक प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। इनका उद्देश्य किसानों को गुणवत्ता उत्पादन एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों की जानकारी देना रहा है।

अब तक 30 से अधिक एफपीओ को निर्यातक के रूप में बढ़ावा दिया गया है, जो सीधे अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजार से जुड़े हैं और लाभ कमा रहे हैं। वर्ष 2019 में जब एपीडा ने वाराणसी में काम शुरू किया था तब हवाई अड्डे से नाशवंत उत्पादों का निर्यात शून्य था। लेकिन वित्तीय वर्ष 2024-25 तक यह निर्यात बढ़कर 1000 मीट्रिक टन से अधिक हो गया। चालू वित्तीय वर्ष (2025-26) के केवल पहले पांच महीनों में ही 500 मीट्रिक टन से अधिक निर्यात दर्ज किया गया है।

वाराणसी से अब तक कई कृषि उत्पाद जैसे हरी मिर्च, भिंडी, परवल, करेला, कुंदरु, आम आदि का सफल निर्यात किया जा चुका है, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में अच्छी मांग बनी हुई है। इसके अतिरिक्त, फूल, सिंघाड़ा, करौंदा, केला आदि की ट्रायल शिपमेंट भी एपीडा की पहल पर की गई है।

एपीडा किसानों और निर्यातकों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न व्यापार मेलों जैसे बायोफैक, वर्ल्ड फूड इंडिया (दिल्ली) और सियाल इंडिया (मुंबई) में भी भागीदारी सुनिश्चित कर रहा है। इन आयोजनों से भारतीय कृषि उत्पादों को वैश्विक पहचान मिल रही है।

कार्यक्रम के अंत में सभी हितधारकों ने मिलकर कृषि निर्यात से जुड़ी बाधाओं को दूर करने, लॉजिस्टिक्स को सुदृढ़ करने और निर्यातोन्मुख उत्पादन हेतु बैकवर्ड सप्लाई चेन मजबूत करने पर जोर दिया। साथ ही, क्षेत्र में जैविक खेती व मूल्य संवर्धन की संभावनाओं को भी महत्वपूर्ण बताया गया।

एपीडा, मंडलीय प्रशासन, किसान, एफपीओ और निर्यातकों के साझा प्रयासों से वाराणसी अब तेजी से नाशवंत कृषि उत्पादों के निर्यात का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनता जा रहा है। यह पहल न केवल किसानों की आय में वृद्धि करेगी बल्कि भारतीय कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार में नई पहचान भी दिलाएगी।

कार्यक्रम में निदेशक एलबीएसआई हवाई अड्डा , कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), पादप संगरोध विभाग (पीक्यू), कृषि विपरण, अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) एवं भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिकों सहित अनेक विभागीय अधिकारी एवं किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी की।

 


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