कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि जितेन्द्र देव सिंह, उप नियंत्रण, नागरिक सुरक्षा, वाराणसी सहित वी. उमा सुंदर शास्त्री जी, सीताराम जी, अतिन दादा, सुरैया बानो, संदीप जी, राजेश कुमार, विकास गुप्ता, सुरेंद्र, वीरेंद्र जी, पूजा जालान, शोभित, धर्मेंद्र, ईशा, दीपिका, सूर्या, सागर, मधु आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में कहा, "योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक और आत्मिक विकास में भी सहायक है।"
प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने वृक्षासन, भुजंगासन, धनुरासन, शीर्षासन जैसे जटिल आसनों का प्रदर्शन कर खूब वाहवाही बटोरी। निर्णायक मंडल में श्रेयांश, राहुल, विवेक, एकांश, सृष्टि, ऋचा शाह, कनक स्वयं, और वैभवी ने प्रतिभागियों की प्रस्तुति, संतुलन, आत्मविश्वास और आसनों की शुद्धता के आधार पर मूल्यांकन किया।
"योग योद्धा" के रूप में दीक्षा प्रजापति, नेहा प्रजापति, सिमरन, शिखा, विवेक रावत, भानु प्रताप राय, खुशवंत माली, चैतन्य, गरिमा और कृष्णा को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के अंत में सामूहिक प्राणायाम और ध्यान सत्र का आयोजन हुआ, जिसमें उपस्थित सभी लोगों ने भाग लिया। इस सत्र ने पूरे वातावरण को शांति, ऊर्जा और सकारात्मकता से भर दिया।
आयोजन के प्रमुख संयोजक योगाचार्य आशीष टंडन, सचिव, चैतन्य योग सेवा संस्था ने सभी प्रतिभागियों, निर्णायकों और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ती है।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में वी. वी. सुंदर शास्त्री जी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आगामी 1 सितंबर 2025, सोमवार को होने वाली चित्रकला प्रतियोगिता के लिए सभी को आमंत्रित किया।
">श्री रामतारक आंध्रा आश्रम, मानसरोवर में चल रहे 39वें गणेश नवरात्र महोत्सव के अंतर्गत आज एक दिवसीय योगासन खेल प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया गया। स्वस्थ शरीर और संतुलित जीवनशैली को बढ़ावा देने की भावना से आयोजित इस प्रतियोगिता में शहर के अनेक विद्यालयों के विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और अपनी योग-प्रतिभा से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि जितेन्द्र देव सिंह, उप नियंत्रण, नागरिक सुरक्षा, वाराणसी सहित वी. उमा सुंदर शास्त्री जी, सीताराम जी, अतिन दादा, सुरैया बानो, संदीप जी, राजेश कुमार, विकास गुप्ता, सुरेंद्र, वीरेंद्र जी, पूजा जालान, शोभित, धर्मेंद्र, ईशा, दीपिका, सूर्या, सागर, मधु आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में कहा, "योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक और आत्मिक विकास में भी सहायक है।"
प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने वृक्षासन, भुजंगासन, धनुरासन, शीर्षासन जैसे जटिल आसनों का प्रदर्शन कर खूब वाहवाही बटोरी। निर्णायक मंडल में श्रेयांश, राहुल, विवेक, एकांश, सृष्टि, ऋचा शाह, कनक स्वयं, और वैभवी ने प्रतिभागियों की प्रस्तुति, संतुलन, आत्मविश्वास और आसनों की शुद्धता के आधार पर मूल्यांकन किया।
"योग योद्धा" के रूप में दीक्षा प्रजापति, नेहा प्रजापति, सिमरन, शिखा, विवेक रावत, भानु प्रताप राय, खुशवंत माली, चैतन्य, गरिमा और कृष्णा को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के अंत में सामूहिक प्राणायाम और ध्यान सत्र का आयोजन हुआ, जिसमें उपस्थित सभी लोगों ने भाग लिया। इस सत्र ने पूरे वातावरण को शांति, ऊर्जा और सकारात्मकता से भर दिया।
आयोजन के प्रमुख संयोजक योगाचार्य आशीष टंडन, सचिव, चैतन्य योग सेवा संस्था ने सभी प्रतिभागियों, निर्णायकों और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ती है।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में वी. वी. सुंदर शास्त्री जी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आगामी 1 सितंबर 2025, सोमवार को होने वाली चित्रकला प्रतियोगिता के लिए सभी को आमंत्रित किया।