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अमिताभ ठाकुर ने अपने प्रार्थना पत्र में कहा था कि अयोध्या के महंत राजू दास तथा अरुण यादव ने मुलायम सिंह यादव के प्रति अत्यंत ही आपत्तिजनक टिप्पणियों का प्रयोग कियाI इसी प्रकार राज्यसभा सांसद साधना सिंह ने जनवरी 2019 में मायावती के प्रति अत्यंत अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया किंतु इन मामलों में कोई कार्यवाही नहीं हुईI
उन्होंने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विरुद्ध अभद्र भाषा के प्रयोग के संबंध में प्रतिदिन यूपी के किसी न किसी थाने में एक या अधिक एफआईआर दर्ज हो रही हैI उन्होंने मुलायम सिंह और मायावती के मामलों में इस प्रकार के निष्क्रियता को अनुचित तथा समानता के अधिकार के विपरीत बताया थाI
इस पर लखनऊ पुलिस ने अमिताभ ठाकुर द्वारा पुष्टिकारक साक्ष्य उपलब्ध नहीं करने और मात्र सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो देखकर एफआईआर दर्ज कराए जाने की बात कही थीI
र्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट द्वारा एफआईआर दर्ज करने के पूर्व आरोपों की सच्चाई में जाना आवश्यक हैI कोर्ट ने कहा कि अमिताभ ठाकुर मानहानि के अपराध के लिए आवश्यक व्यथित व्यक्ति की परिभाषा में नहीं आते हैं, क्योंकि वे इन व्यक्तियों से संबंधित नहीं हैI साथ ही इस मामले में राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी भी नहीं प्राप्त हैI
कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री के संबंध में किए गए एफआईआर के मामलों को वर्तमान प्रकरण में नहीं देखा जा सकता हैI
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एमपी एमएलए मजिस्ट्रेट लखनऊ, आलोक वर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और मायावती के प्रति की गई अनुचित टिप्पणियों के संबंध में आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर द्वारा एफआईआर दर्ज करने विषयक प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया हैI
अमिताभ ठाकुर ने अपने प्रार्थना पत्र में कहा था कि अयोध्या के महंत राजू दास तथा अरुण यादव ने मुलायम सिंह यादव के प्रति अत्यंत ही आपत्तिजनक टिप्पणियों का प्रयोग कियाI इसी प्रकार राज्यसभा सांसद साधना सिंह ने जनवरी 2019 में मायावती के प्रति अत्यंत अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया किंतु इन मामलों में कोई कार्यवाही नहीं हुईI
उन्होंने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विरुद्ध अभद्र भाषा के प्रयोग के संबंध में प्रतिदिन यूपी के किसी न किसी थाने में एक या अधिक एफआईआर दर्ज हो रही हैI उन्होंने मुलायम सिंह और मायावती के मामलों में इस प्रकार के निष्क्रियता को अनुचित तथा समानता के अधिकार के विपरीत बताया थाI
इस पर लखनऊ पुलिस ने अमिताभ ठाकुर द्वारा पुष्टिकारक साक्ष्य उपलब्ध नहीं करने और मात्र सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो देखकर एफआईआर दर्ज कराए जाने की बात कही थीI
र्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट द्वारा एफआईआर दर्ज करने के पूर्व आरोपों की सच्चाई में जाना आवश्यक हैI कोर्ट ने कहा कि अमिताभ ठाकुर मानहानि के अपराध के लिए आवश्यक व्यथित व्यक्ति की परिभाषा में नहीं आते हैं, क्योंकि वे इन व्यक्तियों से संबंधित नहीं हैI साथ ही इस मामले में राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी भी नहीं प्राप्त हैI
कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री के संबंध में किए गए एफआईआर के मामलों को वर्तमान प्रकरण में नहीं देखा जा सकता हैI