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जलवायु परिवर्तन, सूखे से जूझ रहे किसानों के लिए इरी के विशेषज्ञों ने डी.एस.आर प्लाटों का किया निरीक्षण



 18/Aug/25

वाराणसी। जलवायु में बदलाव, पानी की कमी और सूखे से जूझ रहे किसानों के लिए राहत भरी खबर हैI अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (इरी) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) ने धान की सीधी बुआई (डी.एस.आर) का चंदौली के बरहनी, चखनिया एवं कमरिया गाँव में सफल प्रदर्शन किया गया है।

आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर. के. मलिक, डॉ. विक्रम पाटिल, डॉ. सूर्यकांत, डॉ. सुनील एवं तकनीशियन गोविन्द ने शनिवार को धान की सीधी बुआई वाले खेतों का निरीक्षण किया।

आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने किसानों के साथ धान की सीधी बुआई के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा किया और इससे होने वाले लाभदायक परणामों के बारे में भी बताया। इस खरीफ सीजन में चंदौली जिले में लगभग दो सौ एकड़ में धान की सीधी बुआई की गयी है। उन्होंने आगे बताया कि धान की सीधी बुआई तकनीक से पानी एवं समय दोनों की बचत होती है और फसल भी 8 से 10 दिन पहले पक कर तैयार हो जाती है व फसल के लागत में भी कमी आती है।

आज विशेषज्ञओं ने बरहनी ब्लॉक में किसानों को धान की सीधी बुआई के बारे में जागरूक किया| साथ ही स्थानीय किसानों ने अपने अनुभव को भी साझा किया। चंदौली जिले के बरहनी गाँव के किसान मिथिलेश सिंह व अरुण सिंह, कमरिया गाँव के अनिल सिंह एवं चखनिया गाँव के प्रेम शंकर सिंह एवं अन्य किसानों ने डी.एस.आर तकनीक को उत्तम बताया और कहा कि इस विधि से धान की खेती में पानी भी कम लगा है और रोपाई के खर्च में काफी बचत हुई है, जिससे हमलोग काफी खुश हैं। प्रगतिशील किसान मिथिलेश सिंह के प्रयास से ब्लॉक के अन्य किसान भी जागरूक हुए हैं। आइसार्क के सहयोग से यह पहल न केवल कृषि लागत को कम करने में सहायक सिद्ध हो रही है, बल्कि समय और संसाधनों की बचत के साथ-साथ किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले समय में इस तकनीक को और अधिक क्षेत्रों में विस्तार देने की योजना है, जिससे अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सकें।न्द्रेश सिंह, गोविन्द यादव, धर्मेद्र गुप्ता, नगर निगम के तमाम अधिकारी, सैकड़ों कार्यकर्ता, क्षेत्रीय जनता उपस्थित रहें I


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