घटना 28 जुलाई 2025 की है, जब प्रो. रामचंद्रमूर्ति अपनी मोटरसाइकिल से बिरला ग्राउंड के पास से अपने आवास की ओर लौट रहे थे। तभी दो बाइक सवार युवकों ने उन्हें रोका और जान से मारने की नीयत से हमला कर दिया। हमले में उनके दोनों हाथ टूट गए और वे गंभीर रूप से घायल हो गए। आनन-फानन में उन्हें बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया और लंका थाने में अज्ञात हमलावरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
इस मामले की जांच में जुटी पुलिस को 12 अगस्त की रात महत्वपूर्ण सफलता हाथ लगी, जब सत्कार होटल के पास चेकिंग के दौरान एक संदिग्ध को रोकने की कोशिश की गई। उसने पुलिस पर फायरिंग कर दी, जिसके जवाब में हुई कार्रवाई में वह घायल हो गया। पकड़े गए इस व्यक्ति की पहचान प्रमोद कुमार उर्फ गणेश पासी के रूप में हुई, जो प्रयागराज के रामनगर का निवासी है। घायल हालत में उसे बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है।
दूसरे आरोपी बूतपुर भास्कर ने पूछताछ में जो बताया, उसने पूरे विश्वविद्यालय और शिक्षावर्ग को स्तब्ध कर दिया। भास्कर के अनुसार, इस हमले की योजना प्रो० बूदाटी वैंकटेश लू और मैसूर विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर काशिम बाबू ने मिलकर रची थी। उन्होंने भास्कर को प्रो० रामचंद्रमूर्ति को "रास्ते से हटाने" के लिए उकसाया। इसके बाद भास्कर और उसका साथी मोहम्मद कासिम वाराणसी पहुंचे और स्थानीय स्तर पर सुपारी किलर की तलाश शुरू की। इसी क्रम में प्रमोद कुमार से संपर्क हुआ, जिसने ₹48,000 में हमले की सुपारी ली।
प्रमोद के बयान के अनुसार, उसने इस हमले में अपने साथियों सूरज दूबे, प्रदुम्मन यादव, विशाल यादव और वेदांत भूषण मिश्रा को शामिल कर 28 जुलाई को बीएचयू परिसर में ही हमला कर दिया, जिसमें प्रोफेसर गंभीर रूप से घायल हो गए।
पुलिस को प्रमोद के पास से एक देसी तमंचा (315 बोर), एक फायर की हुई कारतूस का खोखा, एक जिंदा कारतूस और ₹1100 नकद मिले हैं।
पंजीकृत केसों में प्रमोद कुमार पहले से भी कई मामलों में वांछित है। इस हमले को लेकर उस पर लंका थाने में मुकदमा संख्या 0318/2025, धारा 109(1) बीएनएस और 3/25 आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ है, जबकि पहले से उस पर मु०अ०सं० 0287/2025, धारा 109/126(2)/61(2) बीएनएस में मामला लंबित है।
अब तक सामने आए अभियुक्तों में शामिल हैं:-
इस मामले की जांच में जो पुलिस टीम लगी हुई है, उसमें प्रभारी निरीक्षक राजकुमार, उप निरीक्षक शिवाकर मिश्रा, सौरभ तिवारी, नवीन चतुर्वेदी, अभिषेक सिंह और कांस्टेबल अमित शुक्ला, सूरज सिंह, कृष्णकांत पांडेय, आशीष तिवारी, हृदय कुमार, कमल सिंह, अमित यादव, आदित्य तिवारी शामिल हैं। वहीं, सर्विलांस सेल से प्रशांत तिवारी ने तकनीकी विश्लेषण में अहम भूमिका निभाई।
फिलहाल पुलिस की टीमें बाकी फरार आरोपियों की तलाश में लगातार दबिश दे रही हैं और मामले की गहराई से जांच जारी है। विश्वविद्यालय प्रशासन और शैक्षणिक जगत इस साजिश से स्तब्ध है, और अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि शिक्षा के मंदिर में रची गई इस साजिश के पीछे की गहराई तक पुलिस कब तक पहुंचती है।
">काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्रख्यात प्रो० सी०एस० रामचंद्रमूर्ति पर हुए जानलेवा हमले के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। विश्वविद्यालय के ही तेलुगू विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो० बूदाटी वैंकटेश लू इस हमले की साजिश के मास्टरमाइंड निकले हैं। पुलिस ने हमले में शामिल दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनमें एक प्रमोद कुमार उर्फ गणेश पासी मुठभेड़ में घायल हुआ है, जबकि दूसरा आरोपी बूतपुर भास्कर उर्फ बी. भास्कर को तेलंगाना से ट्रांजिट रिमांड पर वाराणसी लाया गया है।
घटना 28 जुलाई 2025 की है, जब प्रो. रामचंद्रमूर्ति अपनी मोटरसाइकिल से बिरला ग्राउंड के पास से अपने आवास की ओर लौट रहे थे। तभी दो बाइक सवार युवकों ने उन्हें रोका और जान से मारने की नीयत से हमला कर दिया। हमले में उनके दोनों हाथ टूट गए और वे गंभीर रूप से घायल हो गए। आनन-फानन में उन्हें बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया और लंका थाने में अज्ञात हमलावरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
इस मामले की जांच में जुटी पुलिस को 12 अगस्त की रात महत्वपूर्ण सफलता हाथ लगी, जब सत्कार होटल के पास चेकिंग के दौरान एक संदिग्ध को रोकने की कोशिश की गई। उसने पुलिस पर फायरिंग कर दी, जिसके जवाब में हुई कार्रवाई में वह घायल हो गया। पकड़े गए इस व्यक्ति की पहचान प्रमोद कुमार उर्फ गणेश पासी के रूप में हुई, जो प्रयागराज के रामनगर का निवासी है। घायल हालत में उसे बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है।
दूसरे आरोपी बूतपुर भास्कर ने पूछताछ में जो बताया, उसने पूरे विश्वविद्यालय और शिक्षावर्ग को स्तब्ध कर दिया। भास्कर के अनुसार, इस हमले की योजना प्रो० बूदाटी वैंकटेश लू और मैसूर विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर काशिम बाबू ने मिलकर रची थी। उन्होंने भास्कर को प्रो० रामचंद्रमूर्ति को "रास्ते से हटाने" के लिए उकसाया। इसके बाद भास्कर और उसका साथी मोहम्मद कासिम वाराणसी पहुंचे और स्थानीय स्तर पर सुपारी किलर की तलाश शुरू की। इसी क्रम में प्रमोद कुमार से संपर्क हुआ, जिसने ₹48,000 में हमले की सुपारी ली।
प्रमोद के बयान के अनुसार, उसने इस हमले में अपने साथियों सूरज दूबे, प्रदुम्मन यादव, विशाल यादव और वेदांत भूषण मिश्रा को शामिल कर 28 जुलाई को बीएचयू परिसर में ही हमला कर दिया, जिसमें प्रोफेसर गंभीर रूप से घायल हो गए।
पुलिस को प्रमोद के पास से एक देसी तमंचा (315 बोर), एक फायर की हुई कारतूस का खोखा, एक जिंदा कारतूस और ₹1100 नकद मिले हैं।
पंजीकृत केसों में प्रमोद कुमार पहले से भी कई मामलों में वांछित है। इस हमले को लेकर उस पर लंका थाने में मुकदमा संख्या 0318/2025, धारा 109(1) बीएनएस और 3/25 आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ है, जबकि पहले से उस पर मु०अ०सं० 0287/2025, धारा 109/126(2)/61(2) बीएनएस में मामला लंबित है।
अब तक सामने आए अभियुक्तों में शामिल हैं:-
इस मामले की जांच में जो पुलिस टीम लगी हुई है, उसमें प्रभारी निरीक्षक राजकुमार, उप निरीक्षक शिवाकर मिश्रा, सौरभ तिवारी, नवीन चतुर्वेदी, अभिषेक सिंह और कांस्टेबल अमित शुक्ला, सूरज सिंह, कृष्णकांत पांडेय, आशीष तिवारी, हृदय कुमार, कमल सिंह, अमित यादव, आदित्य तिवारी शामिल हैं। वहीं, सर्विलांस सेल से प्रशांत तिवारी ने तकनीकी विश्लेषण में अहम भूमिका निभाई।
फिलहाल पुलिस की टीमें बाकी फरार आरोपियों की तलाश में लगातार दबिश दे रही हैं और मामले की गहराई से जांच जारी है। विश्वविद्यालय प्रशासन और शैक्षणिक जगत इस साजिश से स्तब्ध है, और अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि शिक्षा के मंदिर में रची गई इस साजिश के पीछे की गहराई तक पुलिस कब तक पहुंचती है।