वाराणसी। अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान- दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर किसानों के लिए विज्ञान -आधारित कृषि समाधानों के विकास में निरंतर कार्यरत है। आइसार्क राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ मिलकर किसानों को उन्नत तकनीकों, वैज्ञानिक नवाचारों और बाज़ार से जोड़ने का प्रयास कर रहा है, ताकि खेती उनके लिए अधिक टिकाऊ, लाभकारी और आत्मनिर्भर आजीविका का साधन बन सके।
हाल ही में इक्रीसैट के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. पी. के. मेहरदा(अतिरिक्त सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय), और अरिंदम मोडक (सलाहकार, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना) ने आइसार्क का दौरा किया। उन्होंने यहां की नवीनतम रिसर्च, मशीनीकरण, डिजिटल टूल्स और चावल आधारित वैल्यू-एडेड उत्पादों को करीब से देखा। चर्चा का मुख्य विषय डायरेक्ट सीडेड राइस (डी एस आर) को बढ़ाना, धान आधारित उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना, और भारत तथा दक्षिण एशिया में खाद्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए वन-सीजीआईएआर साझेदारी को आगे बढ़ाना था। डॉ. हिमांशु पाठक ने अपने दौरे के दौरान एक वैश्विक दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने भारत को वन- सीजीआईएआर पहल के लिए एक स्वाभाविक नेता बताया और इरी, इक्रीसैट एवं अन्य सीजीआईएआर संस्थानों के बीच सहयोग को और मजबूत करने की बात कही। उन्होंने कहा, “भारत उदाहरण बन सकता है यह दिखाने के लिए कि कैसे संस्थागत सहयोग से ऐसा विज्ञान विकसित हो सकता है जो असरदार हो और बड़े स्तर पर लागू किया जा सके।”
डॉ. मेहरदा ने की कई प्रमुख सुविधाओं जैसे स्पीड ब्रीडिंग यूनिट, मशीनीकरण केंद्र, डीएसआर फील्ड ट्रायल्स, रीजनरेटिव एग्रीकल्चर प्लेटफॉर्म, और अत्याधुनिक विश्लेषणात्मक व एजुकेशन टेक्नोलॉजी लैब्स का दौरा किया। उन्होंने ज़ोर दिया कि जलवायु- संवेदनशील नवाचारों और चावल आधारित वैल्यू एडिशन के माध्यम से किसानों और युवाओं के लिए उद्यमशीलता के अवसरों को तेजी से बढ़ाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा: “आइसार्क को एक उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित होते देखना खुशी की बात है, जो विज्ञान-आधारित और स्केलेबल नवाचारों के ज़रिए भारतीय कृषि को नई दिशा दे रहा है। इसके प्रयास उन्नत स्पीडब्रीडिंग, सटीक मशीनीकरण, डिजिटल एक्सटेंशन, जीआईएस आधारित निर्णय समर्थन, और मृदा स्वास्थ्य, मिलकर एक भविष्य-तैयार खेती प्रणाली का निर्माण कर रहे हैं। मंत्रालय, इरीके साथ मिलकर इन नवाचारों को पूरे देश में विस्तार देने के लिए तत्पर है।” इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए, अरिंदम मोदक ने इरी के विशेषज्ञों के साथ यह चर्चा की कि कैसे संस्थान की वैज्ञानिक विशेषज्ञता राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में ज्ञान साझेदार के रूप में अहम भूमिका निभा सकती है। आइसार्क के वैल्यू एडिशन केंद्र -सेंटर ऑफ़ एक्सल्लेंसइन इन वैल्यू एडिशन (सर्वा) द्वारा निर्मित उत्पादों की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों को ग्रामीण उद्यमिता और किसान-नेतृत्व वाले नवाचार को बढ़ावा देने हेतु प्रेरित किया।
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हाल ही में इक्रीसैट के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. पी. के. मेहरदा(अतिरिक्त सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय), और अरिंदम मोडक (सलाहकार, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना) ने आइसार्क का दौरा किया। उन्होंने यहां की नवीनतम रिसर्च, मशीनीकरण, डिजिटल टूल्स और चावल आधारित वैल्यू-एडेड उत्पादों को करीब से देखा। चर्चा का मुख्य विषय डायरेक्ट सीडेड राइस (डी एस आर) को बढ़ाना, धान आधारित उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना, और भारत तथा दक्षिण एशिया में खाद्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए वन-सीजीआईएआर साझेदारी को आगे बढ़ाना था। डॉ. हिमांशु पाठक ने अपने दौरे के दौरान एक वैश्विक दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने भारत को वन- सीजीआईएआर पहल के लिए एक स्वाभाविक नेता बताया और इरी, इक्रीसैट एवं अन्य सीजीआईएआर संस्थानों के बीच सहयोग को और मजबूत करने की बात कही। उन्होंने कहा, “भारत उदाहरण बन सकता है यह दिखाने के लिए कि कैसे संस्थागत सहयोग से ऐसा विज्ञान विकसित हो सकता है जो असरदार हो और बड़े स्तर पर लागू किया जा सके।”
डॉ. मेहरदा ने की कई प्रमुख सुविधाओं जैसे स्पीड ब्रीडिंग यूनिट, मशीनीकरण केंद्र, डीएसआर फील्ड ट्रायल्स, रीजनरेटिव एग्रीकल्चर प्लेटफॉर्म, और अत्याधुनिक विश्लेषणात्मक व एजुकेशन टेक्नोलॉजी लैब्स का दौरा किया। उन्होंने ज़ोर दिया कि जलवायु- संवेदनशील नवाचारों और चावल आधारित वैल्यू एडिशन के माध्यम से किसानों और युवाओं के लिए उद्यमशीलता के अवसरों को तेजी से बढ़ाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा: “आइसार्क को एक उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित होते देखना खुशी की बात है, जो विज्ञान-आधारित और स्केलेबल नवाचारों के ज़रिए भारतीय कृषि को नई दिशा दे रहा है। इसके प्रयास उन्नत स्पीडब्रीडिंग, सटीक मशीनीकरण, डिजिटल एक्सटेंशन, जीआईएस आधारित निर्णय समर्थन, और मृदा स्वास्थ्य, मिलकर एक भविष्य-तैयार खेती प्रणाली का निर्माण कर रहे हैं। मंत्रालय, इरीके साथ मिलकर इन नवाचारों को पूरे देश में विस्तार देने के लिए तत्पर है।” इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए, अरिंदम मोदक ने इरी के विशेषज्ञों के साथ यह चर्चा की कि कैसे संस्थान की वैज्ञानिक विशेषज्ञता राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में ज्ञान साझेदार के रूप में अहम भूमिका निभा सकती है। आइसार्क के वैल्यू एडिशन केंद्र -सेंटर ऑफ़ एक्सल्लेंसइन इन वैल्यू एडिशन (सर्वा) द्वारा निर्मित उत्पादों की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों को ग्रामीण उद्यमिता और किसान-नेतृत्व वाले नवाचार को बढ़ावा देने हेतु प्रेरित किया।