ब्रह्मपुत्री गंगा ने 2–4 अगस्त 2025 के बीच बनारस में अपनी उफानी हालत से एक ताजा इतिहास रच दिया है। वाराणसी में गंगा का जलस्तर 71.75मीटर, खतरनाक स्तर 71.26मीटर से लगभग आधा मीटर ऊपर पहुँच गया है, और कम से कम 60 से अधिक मोहल्लों तथा 60 गाँवों को पानी में पूरी तरह डुबा दिया है।
घाट, मंदिर जलमग्न, जनजीवन उथल‑पुथल
वाराणसी में घाट, मंदिर और जनजीवन उथल‑पुथल हो चूका है । शहर के 84 घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। दशाश्वमेध, शीतला, मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र समेत सभी घाटों पर श्राद्ध, गंगा आरती और अंतिम संस्कार अब ऊँचे मंचों या छतों पर किए जा रहे हैं । नौका सेवा पूरी तरह बंद कर दी गई है, और घाटों पर किसी भी किस्म की सेल्फी या फोटो खींचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है
प्रशासन‑NDRF‑टीम 11 की मुस्तैदी
यूपी सरकार की “टीम 11” और NDRF/SDRF/Jal Police मौके पर सतर्क रहते हुए अंतहीन राहत एवं बचाव संचालन कर रही हैं । लगभग 6,000 लोग, 1,200+ परिवारों को सुरक्षित स्थानों और राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया, जिनमें से 605 लोगों का शिविरों में ठहराव किया गया है । वाराणसी के कुल 46 शिविरों में से 20 सक्रिय किए गए हैं,भोजन, पानी, दवा, दूध की व्यवस्था पूरी तरह सुचारू है ।
पीएम मोदी और स्थानीय अधिकारी अलर्ट मोड में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं वाराणसी से हालात पर प्रतिक्रिया लेकर रिपोर्ट ली, और राहत एवं पुनर्वास गतिविधियों को त्वरित रूप से तेज़ करने के निर्देश दिए । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य भर में बाढ़ प्रभावित जिलों में राहत अभियान को कड़ा निर्देश दे रखा है ।
मणिकर्णिका और दशाश्वमेध जैसे पौराणिक घाट इस समय तक ढके हुए कि गंगा आरती छतों पर हो रही है। प्रशासनिक तंत्र बड़ी चुनौतियों के बीच राहत शिविरों और बचाव कार्यों को सक्रिय रखे हुए है। जलभराव से बुखार, स्किन संक्रमण, पीने की पानी व सुरक्षा के जोखिम लगातार बढ़ रहे हैं। जिसके चलते बनारस जैसे पवित्र शहर में पर्यटन और श्रद्धालु संख्या घटने का सीधा प्रभाव अब दिखने लगा है।
क्या बनारस सुरक्षित है?
गंगा लगभग 3सेमी प्रति घंटे की दर से बढ़ रही है , जिससे हालात और नाजुक हो सकते हैं। संभावित गाँवों में लोगों को रहने की चेतावनी, नाव सेवा बंद, सुरक्षा बलों को सक्रिय रखा गया है। वाराणसी में जहाँ गंगा की मौन लहरों पर आरती की शांति बैठी रहती थी, वह शहर अब अपनी ही नदी की चपेट में सिहर रहा है। घाट जलमग्न, नाव सेवाएं ठप, श्रद्धालु खोए हुए और प्रशासन व केंद्रीय स्तर से आवाज़ें उठ रही हैं। संकट की इस घड़ी में बनारस ने इतिहास को फिर से लिखना शुरू कर दिया है।
">ब्रह्मपुत्री गंगा ने 2–4 अगस्त 2025 के बीच बनारस में अपनी उफानी हालत से एक ताजा इतिहास रच दिया है। वाराणसी में गंगा का जलस्तर 71.75मीटर, खतरनाक स्तर 71.26मीटर से लगभग आधा मीटर ऊपर पहुँच गया है, और कम से कम 60 से अधिक मोहल्लों तथा 60 गाँवों को पानी में पूरी तरह डुबा दिया है।
घाट, मंदिर जलमग्न, जनजीवन उथल‑पुथल
वाराणसी में घाट, मंदिर और जनजीवन उथल‑पुथल हो चूका है । शहर के 84 घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। दशाश्वमेध, शीतला, मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र समेत सभी घाटों पर श्राद्ध, गंगा आरती और अंतिम संस्कार अब ऊँचे मंचों या छतों पर किए जा रहे हैं । नौका सेवा पूरी तरह बंद कर दी गई है, और घाटों पर किसी भी किस्म की सेल्फी या फोटो खींचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है
प्रशासन‑NDRF‑टीम 11 की मुस्तैदी
यूपी सरकार की “टीम 11” और NDRF/SDRF/Jal Police मौके पर सतर्क रहते हुए अंतहीन राहत एवं बचाव संचालन कर रही हैं । लगभग 6,000 लोग, 1,200+ परिवारों को सुरक्षित स्थानों और राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया, जिनमें से 605 लोगों का शिविरों में ठहराव किया गया है । वाराणसी के कुल 46 शिविरों में से 20 सक्रिय किए गए हैं,भोजन, पानी, दवा, दूध की व्यवस्था पूरी तरह सुचारू है ।
पीएम मोदी और स्थानीय अधिकारी अलर्ट मोड में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं वाराणसी से हालात पर प्रतिक्रिया लेकर रिपोर्ट ली, और राहत एवं पुनर्वास गतिविधियों को त्वरित रूप से तेज़ करने के निर्देश दिए । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य भर में बाढ़ प्रभावित जिलों में राहत अभियान को कड़ा निर्देश दे रखा है ।
मणिकर्णिका और दशाश्वमेध जैसे पौराणिक घाट इस समय तक ढके हुए कि गंगा आरती छतों पर हो रही है। प्रशासनिक तंत्र बड़ी चुनौतियों के बीच राहत शिविरों और बचाव कार्यों को सक्रिय रखे हुए है। जलभराव से बुखार, स्किन संक्रमण, पीने की पानी व सुरक्षा के जोखिम लगातार बढ़ रहे हैं। जिसके चलते बनारस जैसे पवित्र शहर में पर्यटन और श्रद्धालु संख्या घटने का सीधा प्रभाव अब दिखने लगा है।
क्या बनारस सुरक्षित है?
गंगा लगभग 3सेमी प्रति घंटे की दर से बढ़ रही है , जिससे हालात और नाजुक हो सकते हैं। संभावित गाँवों में लोगों को रहने की चेतावनी, नाव सेवा बंद, सुरक्षा बलों को सक्रिय रखा गया है। वाराणसी में जहाँ गंगा की मौन लहरों पर आरती की शांति बैठी रहती थी, वह शहर अब अपनी ही नदी की चपेट में सिहर रहा है। घाट जलमग्न, नाव सेवाएं ठप, श्रद्धालु खोए हुए और प्रशासन व केंद्रीय स्तर से आवाज़ें उठ रही हैं। संकट की इस घड़ी में बनारस ने इतिहास को फिर से लिखना शुरू कर दिया है।