MENU

IMS BHU के डायरेक्टर SN संखवार ने ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज डॉ. सौरभ की कुर्सी के लिए VC को भेजा खत 



 24/Jul/25

प्रधानमंत्री मोदी के वाराणसी दौरे की आहट से मीडिया के सवालों से बचने लगे संखवार साहब

वाराणसी, 23 जुलाई 2025! चिकित्सा विज्ञान संस्थान (IMS), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में एक बड़ा प्रशासनिक बयान चर्चा का केंद्र बन गया है। संस्थान के निदेशक प्रो. एसएन संखवार ने ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह को हटाने की सिफारिश करते हुए कुलपति को एक पत्र भेजा है। उन्होंने ट्रॉमा सेंटर की जिम्मेदारी खुद को दिए जाने की मांग की है। इतना ही नहीं संखवार साहब की यह खबर मीडिया की सुर्खियां बनते ही इसकी चर्चा हर तरफ होने लगे।

प्रो. संखवार द्वारा यह पत्र 17 जुलाई को भेजा गया, जिसमें उन्होंने हाल ही में उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग में हुई जनसुनवाई और आयोग द्वारा दिए गए निर्देशों का उल्लेख किया है। आयोग की सुनवाई में आईएमएस ट्रॉमा सेंटर से जुड़ी कुछ शिकायतें और गंभीर मुद्दे सामने आए थे, जिनके संदर्भ में निदेशक ने कार्रवाई की पहल की है।

मीडिया में खबर प्रसारित होते ही प्रो. संखवार के विरोधी इस बात को लेकर चुटकी लेते रहे कि अब इन्हें IMS के साथ ही ट्रॉमा सेंटर भी चाहिए, जहां हजारों करोड़ का बजट हमेशा चर्चा में रहता है। 

क्या है मामला?

निदेशक प्रो. संखवार का कहना है कि महिला आयोग की सुनवाई में जो मुद्दे सामने आए, वे ट्रॉमा सेंटर की कार्यप्रणाली और प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर चिंता जनक हैं। उन्होंने कुलपति को लिखे पत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि मौजूदा प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह के स्थान पर उन्हें (निदेशक को) ही ट्रॉमा सेंटर की ज़िम्मेदारी दी जाए, ताकि आवश्यक सुधार सुनिश्चित किए जा सकें।

 पत्र के बाद उठे सवाल

निदेशक द्वारा भेजे गए पत्र के बाद विश्वविद्यालय के अंदर और बाहर दोनों स्तरों पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या महिला आयोग की सुनवाई में ऐसी परिस्थितियाँ सामने आईं कि प्रभारी को हटाना अनिवार्य हो गया? क्या यह निर्णय प्रशासनिक दक्षता के आधार पर लिया गया है, या फिर इसके पीछे कोई और कारण हैं?

सूत्रों के मुताबिक महिला आयोग में ट्रॉमा सेंटर की कुछ महिला कर्मचारियों ने शिकायतें दर्ज कराई थीं, जिनमें कार्य वातावरण और व्यवहार से जुड़े मुद्दे थे। आयोग ने इन पर गंभीरता दिखाई और संस्थान को उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

 प्रभारी के कामकाज पर सवाल या सियासी दबाव?

प्रो. सौरभ सिंह का कार्यकाल अब तक शांतिपूर्ण और योजनाओं से भरा माना जाता रहा है, लेकिन अचानक आई यह सिफारिश उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रही है। कुछ लोग इसे आंतरिक प्रशासनिक खींचतान से भी जोड़कर देख रहे हैं। वहीं, निदेशक द्वारा स्वयं यह जिम्मेदारी लेने की मांग ने और भी नए सवालों को जन्म दे दिया है।

 अब क्या होगा आगे?

सारी निगाहें अब बीएचयू के कुलपति पर टिकी हैं कि वे इस सिफारिश पर क्या फैसला लेते हैं। यदि निदेशक को ट्रॉमा सेंटर की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है, तो यह संस्थान की संरचना और निर्णय प्रक्रिया पर एक बड़ा प्रभाव डाल सकता है।

कुल मिलाकर आईएमएस बीएचयू में ट्रॉमा सेंटर को लेकर उपजा यह प्रशासनिक विवाद सिर्फ एक पद परिवर्तन नहीं, बल्कि संस्थान की कार्यसंस्कृति, जवाबदेही और पारदर्शिता पर भी एक सवाल है। विश्वविद्यालय प्रशासन को अब पारदर्शी निर्णय के साथ यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी स्तर पर संस्थान की गरिमा और सेवा गुणवत्ता प्रभावित न हो कि कुर्सी के लिए VC को भेजा है खत।


इस खबर को शेयर करें

Leave a Comment

8534


सबरंग