मा. उच्च न्यायालय, इलाहाबाद ने नगर निगम, वाराणसी के कर्मचारी को निर्णय सुनाते हुये उसकी मॉ को रु.दस हजार प्रतिमाह भरण पोषण के रूप से देने का आदेश पारित किया गया। अंकित नाम का कर्मचारी दिनांक-29.11.2029 को उसके पिता के सेवाकाल में मृत्यु के पश्चात दिनांक-24.07.2021 को परिवार के सभी सदस्यों की सहमति के पश्चात मृतक आश्रित के रूप में नगर निगम वाराणसी में चतुर्थ श्रेणी के पद पर नियुक्त हुआ, वर्तमान में उसकी तैनाती करसड़ा स्थित कूड़ा प्लांट पर है। नियुक्ति के समय अंकित द्वारा यह वचन दिया गया था कि वह अपने परिवार अर्थात अपनी माँ और अपने भाई.बहनों की देखभाल करेगा और अपनी माँ को प्रति माह 10000 रुपये का भुगतान करेगा। परन्तु अंकित द्वारा भरण पोषण के रूप में अपनी मॉ को निर्धारित धनराशि नही दे रहा था। अंकित की मॉ ने इस सम्बन्ध में याचिका मा0 उच्च न्यायालय में दायर की। अंकित का कथन था कि पारिवारिक पेंशन के रूप में उसकी मॉ को प्रतिमाह रु0 27 हजार मिल रहा है तथा ग्रेच्युटी और अवकाश नकदीकरण के रूप में लगभग 15 लाख रुपये प्राप्त हुए हैं। इस सम्बन्ध में अंकित की मॉ ने मा. उच्च न्यायालय को बताया कि उसके दो छोटे नाबालिग पुत्र भी हैं, जिसकी देखभाल करना पड़ रहा है। यह सुनवाई विडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से की जा रही थी, जिसमें वाराणसी नगर निगम की तरफ से सहायक नगर आयुक्त इन्द्र विजय यादव, तथा कार्यालय अधीक्षक शशिकान्त प्रसाद उपस्थित थे। सुनवाई के पश्चात मा. उच्च न्यायालय द्वारा अंकित को प्रतिमाह गुजारा भत्ता के रूप में अपनी मॉ को रु. 10 हजार देने हेतु आदेश पारित किया गया।