भारत के गौरवशाली इतिहास में जब-जब महान वीरांगनाओं का जिक्र किया जाता है तो महारानी लक्ष्मी बाई की वीरता, पराक्रम और देशभक्ति हमेशा लोगों को बरबस ही याद आ जाता है। हर साल 18 जून को रानी लक्ष्मी बाई के बलिदान दिवस के रूप में उनके शौर्य की याद दिलाता है, जो लोगों को हमेशा प्रेरणा देता है और देता रहेगा। भारत विकास परिषद् शिवा शाखा द्वारा 18 जून को महारानी लक्ष्मीबाई का बलिदान दिवस मनाया गया, जिसकी शुरुआत भारत विकास परिषद शिवा शाखा के पदाधिकारी तथा सदस्यगण द्वारा स्थापित रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुआ। भारत विकास परिषद काशी प्रांत के संरक्षक एस. एन. खेमका एवं ब्रह्मा नन्द पेशवानी ने महारानी लक्ष्मी बाई के बलिदान दिवस पर उन्हें कोटि-कोटि नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित किया और कहा कि इस महान वीरांगना की जन्मस्थली काशी होने पर हम सभी उनकी वीरगाथा पर गर्व करते हैं। सभी ने रानी की पहचान बन चुकी पंक्तियां " दोनों हाथों में तलवार और मुंह में घोड़े की लगाम, ब्रिटेन तक सुनाई दी थी जिसकी ललकार " और खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। को दोहराया।
सभा का संचालन अनूप अग्रवाल एवं श्रीमती सुधा सिंह, अध्यक्षता डॉ. नीलम गुप्ता, प्राचार्य ,राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय चौका घाट ने किया। अध्यक्ष का स्वागत कार्यक्रम संयोजक डॉ.पद्मजा मेहता ने किया। विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय सेविका समिति की मंजू निगम रही। अन्य अतिथियो का स्वागत श्रीमती प्रभा क्लोनारिया एवं श्रीमती ममता श्रीवास्तव ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम सह संयोजक अखिलेश तिवारी ने किया । कार्यक्रम में तनुज वर्मा, श्रीमती शालिनी श्रीवास्तव, किरण सिंह, प्रतिमा तिवारी ने मधुर गीत गाकर कार्यक्रम को शिखर तक पहुचाया ।
कार्यक्रम में कौशल पति शर्मा ,मोहन रौनियार ,डॉ. राजेश श्रीवास्तव,विवेक जायसवाल, कपिल सलूजा, दिलीप सिंह, डॉ. प्रकाश मेहता,सांवरमल क्लोनारिया एवं अन्य पदाधिकारी तथा सदस्यगण की गौरवमयी उपस्थिति रही।