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विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत अबतक 44 हजार से ज्यादा किसानों के साथ किया गया संवाद : डॉ. राजेश



 10/Jun/25

आईआईवीआर के निदेशक ने कहाअभियान में 36% महिला सहभागिता कृषि क्षेत्र में ग्रामीण महिलाओं की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से और केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के मार्गदर्शन में कृषि मंत्रालय द्वारा संचालित राष्ट्रव्यापी अभियान "विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025" में आईआईवीआर ने अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है। विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 की उपलब्धियों और भविष्य की कार्ययोजना पर विस्तृत जानकारी देने के लिए सोमवार को आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान निदेशक ने बताया कि 29 मई से 8 जून तक के 11 दिनों में उत्तर प्रदेश के 6 जिलों में आईआईवीआर के वैज्ञानिकों द्वारा संचालित अभियान में 44,000 से अधिक किसानों से प्रत्यक्ष संवाद स्थापित किया गया है। यह अभियान 12 जून 2025 तक चलेगा। आईआईवीआर के 50 से अधिक वैज्ञानिकों की 18 विशेषज्ञ टीमों ने कृषि विज्ञान केंद्र और राज्य सरकार के कृषि विभाग के सहयोग से वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र, संत रविदासनगर और कुशीनगर में प्रतिदिन औसतन 4,400 किसानों तक अपनी पहुंच बनाई है और उनके द्वारा किये जा रहे कृषि कार्यों को नजदीक से देखा और आकलन किया । निदेशक ने कहा कि इस अभियान में 36% महिला सहभागिता विशेष रूप से उत्साहजनक है, जो कृषि क्षेत्र में ग्रामीण महिलाओं की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है। प्रतिदिन 54 किसान संवाद कार्यक्रमों के माध्यम से 15 से अधिक ब्लॉक के 65 गांवों में व्यापक तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया है।

डॉ. कुमार ने बताया कि धान की सीधी बुआई, आईआईवीआर की उच्च उत्पादन सब्जी किस्में, एकीकृत कीट एवं रोग प्रबंधन के तरीके, जैविक एवं प्राकृतिक खेती, नैनो उर्वरक (नैनो यूरिया, नैनो-डी ए पी आदि) उत्पादों के उपयोग, नेट-हाउस एवं पाली-हाउस में संरक्षित खेती, ड्रोन टेक्नोलॉजी, फसल उत्पाद प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन पर किसानों को व्यापक जानकारी दी गई और भविष्य में फसल उत्पादन में इनके उपयोग हेतु प्रेरित किया गया। राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन के साथ तालमेल बिठाते हुए जैविक कीट एवं रोग नियंत्रण पर विशेष जोर दिया गया जिस पर आईआईवीआर में भी शोध एवं उत्पाद विकास का कार्य चल रहा है।

निदेशक ने किसानों की प्रतिक्रिया से सामने आई मुख्य समस्याओं में नील-गाय सहित वन्यजीवों से फसल सुरक्षा, जल की कमी या अधिकता का कृषि पर दुष्प्रभाव, सफेद मक्खी एवं जैसिड का प्रकोप, उत्पादों के बाजार पहुंच की कमी, गुणवत्तापूर्ण बीजों की देर से आपूर्ति और सरकारी योजनाओं की अपर्याप्त जानकारी को प्रमुख बताया। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के समाधान के लिए संस्थान केवीके एवं राज्य सरकार की इकाइयों के सहयोग से एक व्यापक रणनीति तैयार कर रहा है। तत्काल की कार्ययोजना में जैविक कीट नियंत्रण कार्यक्रम, फेरोमोन ट्रैप का व्यापक प्रयोग, ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई को बढ़ावा और प्रत्येक जिले में किसान उत्पादक संगठन के गठन को बढ़ावा देना शामिल है। मध्यकालिक योजना में संस्थान ने सभी 6 जिलों में किसानों के समूहों में बीज उत्पादन में कौशल दक्षता हेतु ट्रेनिंग, मोबाइल मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला और 1000 से अधिक प्रगतिशील किसानों को कृषि उद्यमी बनाने की दिशा में कार्य किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है जिसे इस अभियान की समाप्ति और इससे प्राप्त आकड़ों के गहन विश्लेषण और परिषद् के दिशा निर्देशों के अनुरूप अंतिम रूप दिया जायेगा। डॉ.कुमार के अनुसार संस्थान की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता में राज्य सरकार के सहयोग से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग समूह स्थापित करने में सहयोग देना, ग्रामीण युवाओं के लिए सब्जी-फसलों एवं बीजों के उत्पादन और प्रसंस्करण द्वारा रोजगार के अवसर सृजित कराना और कार्बन-तटस्थ कृषि की दिशा में कार्य करना शामिल है। निदेशक ने कहा कि यह अभियान माननीय कृषि मंत्री की किसान आय दोगुनी करने, टिकाऊ कृषि, महिला सशक्तिकरण और जलवायु लचीली कृषि की दृष्टि के पूर्णतः अनुरूप है और आईआईवीआर समृद्ध कृषक समुदाय निर्माण की दिशा में निरंतर वैज्ञानिक सहयोग प्रदान करने हेतु संकल्पित है। कार्यक्रम का संचालन आईआईवीआर मीडिया सेल के अध्यक्ष एवं प्रधान वैज्ञानिक डी. पी. सिंह ने और धन्यवाद ज्ञापन प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राकेश दूबे ने किया। इस अवसर पर आईआईवीआर में संकल्प अभियान के नोडल अधिकारी डॉ नीरज सिंह एवं कृषि विज्ञान केंद्र, वाराणसी के इंचार्ज डॉ. नवीन कुमार सिंह उपस्थित रहे।

 


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