आधा दर्जन से अधिक नरसंहार मामले में आरोपित माफिया से एमएलसी बनें बृजेश सिंह के विरुद्ध मुख्य गवाह श्रीमती हीरावती ने भारी सुरक्षा के बीच गवाही देने के लिए हाईकोर्ट में रीट याचिका दायर किया था। जिसके विरुद्ध एमएलसी बृजेश सिंह की तरफ से अधिवक्ताओं ने विरोध किया, बावजूद इसके दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात हाईकोर्ट के विद्वान न्यायाधीश राजुल भार्गव ने अपना फैसला सुनाते हुए एसपी चंदौली को अगली तारीख 2 जनवरी 2018 को भारी सुरक्षा के बीच गवाही के लिए वाराणसी के ट्रॉयल कोर्ट एडीजे तृतीय/गैंगस्टर के यहाँ भेजने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने ट्रॉयल कोर्ट के न्यायाधीश को निर्देशित किया है कि निर्धारित तिथि को प्रत्येक परिस्थिति में गवाह श्रीमती हीरावती देवी का बयान दर्ज किया जाये, चाहे वकीलों की हड़ताल ही क्यों न हो।
इस मामले की पूरी पैरवी श्रीमती हीरावती के विधिक सलाहाकर राकेश न्यायिक ने की है। हाईकोर्ट में श्रीमती हीरावती के ओर बहस करने वाले वकीलों में संजय श्रीवास्तव, आशीष गुप्ता रहे।
बताते चलें कि आज से लगभग 31 वर्ष पूर्व पूरे प्रदेश को हिला देने वाले सिकरौरा नरसंहार में वाराणसी के फास्ट ट्रैक कोर्ट से 9 आरोपितों को दोषमुक्त किया जा चुका है। इसके विरुद्ध अपील संख्या 5588/2002 स्टेट यूपी बनाम पंचम सिंह वगैरह के विरुद्ध हाईकोर्ट में मामला लम्बित है, जिसकी अगली तारीख 15 जनवरी 2018 निर्धारित की गयी है। इसी मामले में फरार चल रहे आरोपित एमएलसी बृजेश सिंह के विरुद्ध नरसंहार में मृत रामचंदर यादव की पत्नी श्रीमती हीरावती की पैरवी सामाजिक कार्यकर्ता राकेश न्यायिक कर रहे हैं। श्री न्यायिक से न्याय की तलाश में आज से लगभग 2 वर्ष पूर्व श्रीमती हीरावती ने उनसे मुलाकात किया तभी से उन्हें न्याय की आस जगी है। इस जघन्य हत्याकांड के आरोपित बृजेश सिंह अपने बचाव में स्वयं को नाबालिग साबित करने की पूरी कोशिश किया किन्तु श्री न्यायिक के साक्ष्य के आगे उन्हें सफलता नहीं मिली। अब दूसरी लड़ाई श्रीमती हीरावती के पैरोकार राकेश न्यायिक आरोपित बृजेश सिंह को सजा दिलने के लिये लड़ रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि वे सजा दिलवाकर ही छोड़ेंगे।
आज से 33 वर्ष पूर्व इस नरसंहार में श्रीमती हीरावती अपने पति तत्कालिन प्रधान रामचंदर यादव, देवर सहित 5 बच्चों के मौत का मंजर अपनी आँखों के सामने देखा और अब तक खून के आँसू रो रही हैं। हार्ट की मरीज होने के बावजूद हार नहीं मानने वाली श्रीमती हीरावती चाहती हैं कि उनकी आँखों के सामने दोषियों को उनके किये की सजा जरूर मिले, इसीलिए वे जहाँ एक ओर अपनी बढ़ती उम्र से चिंतित हैं वहीं दूसरी ओर अपनी सुरक्षा को भी लेकर सचेत हैं। न्याय के प्रति उनकी उम्मीद को सामाजिक कार्यकर्ता राकेश न्यायिक के चलते उम्मीद की किरण जगी है कि वे हत्याकांड में शामिल आरोपितों को सजा दिलाकर ही छोड़ेंगी।