काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष पद पर त्रिकोणात्मक संघर्ष में अत्रि से लड़ रहे हैं अरुण और BB यादव
महामंत्री के लिए अखिलेश से है कांटे की टक्कर
पत्रकारिता के भीष्म पितामह बाबू विष्णु राव पराड़कर की नगरी काशी में वाराणसी प्रेस क्लब जैसी प्रतिष्ठित संस्था से मुकदमा हारने के बाद भी काशी पत्रकार संघ के चुनाव अधिकारी कृष्ण देव नारायण राय के द्वारा वाराणसी प्रेस क्लब के गैर कानूनी चुनाव की घोषणा करके जहां एक और कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर काशी पत्रकार संघ के कुछ निवर्तमान पदाधिकारियों के द्वारा वाराणसी में पत्रकारों की वर्ष 2016 से संचालित होने वाली एक मात्र रजिस्टर्ड संस्था "वाराणसी प्रेस क्लब" के नाम पर मीडिया के 2 फोटो पत्रकार साथियों को अध्यक्ष पद का नामांकन कराकर बलि का बकरा बना दिया है और अपने काशी पत्रकार संघ के चुनाव में नामांकन करके जीतने का ख्वाब देख रहे हैं।
बता दें कि इसके पीछे वाराणसी प्रेस क्लब की लोकप्रियता और VPC के वर्तमान अध्यक्ष राजेश गुप्ता और महामंत्री अशोक मिश्र "क्लाउन" के साथ डिजिटल और प्रिंट मीडिया के पत्रकार साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहना सबसे बड़ी बात है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण वाराणसी प्रेस क्लब के द्वारा काशी पत्रकार संघ से उपेक्षा के शिकार सदस्य वरिष्ठ फोटो पत्रकार विजय सिंह और मंसूर आलम के साथ तन, मन, धन, के साथ खड़ा रहना इस बात की गवाही है कि हमारे लिए पत्रकारों का हित सर्वोपरि है, वहीं दूसरी और काशी पत्रकार संघ के दर्जन भर पत्रकार साथी जो घूम फिर कर संघ की कुर्सी पर कब्जा जमाए बैठे हैं, उनकी प्राथमिकता है कि वाराणसी प्रेस क्लब से जुड़े पत्रकार साथियों के हर अच्छे काम में कैसे अड़ंगा लगाया जाए।
इसी सोच का परिणाम रहा कि वाराणसी प्रेस क्लब जैसी प्रतिष्ठित संस्था के वजूद को मिटाने के लिए 2018 में सहायक निबंधक फर्म्स सोसायटी एवं चिट्स के यहाँ काशी पत्रकार संघ के एक शीर्ष पदाधिकारी ने इस आशय का मुकदमा दाखिल किया था कि उनकी संस्था को बिना किसी रजिस्ट्रेशन के संचालित करने को वैध मानते हुए वाराणसी प्रेस क्लब जिसके अध्यक्ष राजेश गुप्ता और महामंत्री अशोक मिश्र "क्लाउन" है उनका नाम खारिज कर दिया जाए। इस मामले में रजिस्ट्रार ने पूरे 8 वर्षों तक दोनों पक्षों के साक्ष्य और दलीलों को सुनने के पश्चात अपने फैसले में दो टूक शब्दों में काशी पत्रकार संघ के शीर्ष पदाधिकारियों को ताकीद कर दिया कि संस्था काशी पत्रकार संघ अर्थात (बनारस जर्नलिस्ट एसोसिएशन) पराड़कर स्मृति भवन, जिसका प्रमाण पत्र संख्या-343 /1955-56 का दिनांक 5/1/1956 को पंजीकरण किया गया था और वाराणसी प्रेस क्लब सी.के. 60/7, कर्णघंटा वाराणसी जिसका पंजीकरण संख्या-1266/2015-16 का दिनांक 2/2/ 2016 को पंजीकरण किया गया था। दोनों संस्थाएं पृथक हैं, लिहाजा पत्रकार संघ के दावे को खारिज करते हुए "वाराणसी प्रेस क्लब" जिसके अध्यक्ष राजेश गुप्ता व महामंत्री अशोक मिश्र "क्लाउन" हैं, उनके पक्ष में फैसला सुना दिया गया।
दोस्तों काशी पत्रकार संघ के निवर्तमान पदाधिकारी इतनी बड़ी हार से पत्रकारों के सामने अपनी बेइज्जती को छुपाने के लिए काशी पत्रकार संघ के चुनाव अधिकारी कृष्ण देवनारायण राय को बली का बकरा बनाते हुए संघ के साथ "वाराणसी प्रेस क्लब"के चुनाव की घोषणा करके बड़ी फजीहत मोड़ ले लिया है, जिसको लेकर बुद्धिजीवी पत्रकारों के बीच चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस बीच वाराणसी प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश गुप्ता और महामंत्री अशोक मिश्र "क्लाउन" के पास काशी पत्रकार संघ तमाम साथियों के लगातार फोन आते रहे कि आगे क्या होने वाला है। ऐसे में सत्य से पर्दा उठाना और एक कलम का सिपाही होने के नाते कानून के दायरे में रहते हुए हमारी लीगल टीम ने फैसला किया कि काशी पत्रकार संघ के निवर्तमान पदाधिकारी अत्रि भारद्वाज और चुनाव अधिकारी कृष्ण देवनारायण राय जिनके द्वारा वाराणसी प्रेस क्लब जैसी रजिस्टर्ड संस्था से बिना किसी अनुमति के वाराणसी प्रेस क्लब के चुनाव की घोषणा करके आम जनमानस और पत्रकारों के बीच धोखाधड़ी और 420 का अपराध कारित करने का दोषी मानते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग किया है कि पुलिस कमिश्नर वाराणसी के माध्यम से FIR दर्ज कर संघ के जिम्मेदार पदाधिकारी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की जाये। साथ वाराणसी प्रेस क्लब के इस गैर कानूनी चुनाव में नामांकन करने वाले लोगों के विरुद्ध भी FIR करने की मांग किया है।
मैं क्लाउन टाइम्स के दर्शकों को बताना चाहता हूँ कि काशी पत्रकार संघ बनारस के पत्रकारों की सर्वमान्य संस्था नहीं है, आज की तारीख में दैनिक जागरण, आई नेक्स्ट बड़े मीडिया संस्थान ने वर्ष पहले काशी पत्रकार संघ से सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। हिंदुस्तान, अमर उजाला जैसे अखबारों के पत्रकार साथी काशी पत्रकार संघ का कोई चुनाव नहीं लड़ते, जिसके चलते संघ ऐसे लोगों के हाथों की कठपुतली बन गया है जो कई दशक से किसी भी समाचार पत्र अथवा, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यरत ही नहीं है।
काशी पत्रकार संघ के ऐसे ही गैर जिम्मेदार पदाधिकारी के द्वारा वाराणसी प्रेस क्लब के गैर कानूनी चुनाव की घोषणा करके पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे की छवि को मिट्टी में मिलने में जुटे हुए हैं।
काशी पत्रकार संघ के द्विवार्षिक चुनाव 2025 से 2027 के प्रत्याशियों में है कांटे की टक्कर
बताते चलें की 1 जून को होने वाले मतदान के लिए अध्यक्ष पद पर अत्रि भारद्वाज, अरुण मिश्रा और पूर्व अध्यक्ष बीबी यादव के बीच त्रिकोणात्मक लड़ाई में इस आज प्रेस के सुरेश मिश्रा ओट कटवा की भूमिका में नजर आ रहे हैं।
यहां गौर करने वाली बात है अत्रि भारद्वाज और बीवी यादव दोनों पूर्व अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर संघ में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं, लेकिन इस बार अरुण मिश्रा जो हिंदुस्तान की नौकरी छोड़ने के बाद पत्रकारों की पूरी तरह राजनीति करने के लिए खाली हैं, जिन्हें संघ के कई बड़े पूर्व पदाधिकारियों और वरिष्ठ पत्रकारों का समर्थन प्राप्त है, अगर कायदे से LIC एजेंट और उसके नटुल्ले पत्रकार साथियों ने अत्रि भारद्वाज के पक्ष गोलबंदी कर दिया तो बीवी यादव के साथ फोटो पत्रकारों की पूरी फौज लाम बंद होकर खड़ी हो जाएगी ऐसे में अध्यक्ष पद पर त्रिकोणात्मक लड़ाई में बीवी यादव, अत्रि भारद्वाज, अरुण मिश्रा में से कौन जीतेगा फिलहाल कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी।
संघ के चुनाव में महामंत्री के पद पर निवर्तमान महामंत्री
अखिलेश मिश्रा के मुकाबले जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव और रामात्मा श्रीवास्तव चुनावी मैदान में हैं। लिहाजा इस बार अखिलेश मिश्रा को शिकस्त दे पाना दोनों प्रत्याशियों के लिए आसान नहीं है। वैसे तो इनमें से कोई प्रत्याशी किसी भी बड़े अखबार का पत्रकार नहीं है और ना इनमें पत्रकारों के नेतृत्व की क्षमता है, लिहाजा 1 जून को संघ के सदस्य मजबूरी में करेंगे अपने मतों का प्रयोग और फिर एक बार घूम फिर नजर आएगा कोई संघ पुराना चेहरा जो अगली बार हो सकता है कार्य समिति का चुनाव लड़े, क्योंकि इनके पास अब कोई काम नहीं है।
इसके अतिरिक्त संघ में उपाध्यक्ष के पदों के लिए 5 प्रत्याशियों ने नामांकन किया है, जिनमें राजेश यादव, सुनील शुक्ला, पुरूषोत्तम चतुर्वेदी, दिनेश कुमार सिंह, सुरेन्द्र नारायण तिवारी हैं।
मंत्री 2 पद के लिए 6 प्रत्याशी चुनावी मैदान में है, जिनमें आलोक कुमार श्रीवास्तव, मो. अशफाक सिद्दीकी, रवीन्द्र प्रकाश त्रिपाठी, अश्वनी कुमार श्रीवास्तव, दिलीप कुमार, आलोक मालवीय हैं।
कोषाध्यक्ष 1 पद के लिए 2 प्रत्याशियों पंकज त्रिपाठी
और जय प्रकाश श्रीवास्तव के बीच सीधा मुकाबला है।
संघ में कार्यसमिति के 10 पदों के लिए प्रत्याशियों ने नामांकन किया है, जिनमें विजय शंकर गुप्ता, राकेश सिंह, अरुण कुमार सिंह, एमडी जावेद, सुरेश गांधी, छवि किशोर मिश्र, अभिषेक सिंह, विनय कुमार सिंह, संजय गुप्त, राजेश राय, कैलाश यादव, आनन्द कुमार मौर्य, उमेश गुप्ता हैं।
कुल मिलकर वाराणसी प्रेस क्लब से मुकदमा हारने के बाद काशी पत्रकार संघ का इस बार का चुनाव जहां एक और विवादों से घिरा होगा वहीं दूसरी ओर इस बार के चुनाव में वाराणसी प्रेस क्लब के नाम पर अवैधानिक चुनाव कराने वालों और उसमें प्रतिभा करने वालों पर कानून के विरुद्ध कानून शिकंजा कसना जरूरी होगा, तभी जाकर अपने निजी स्वार्थ के लिए संघ के संघीय झा ढांचे को कमजोर करने वाले संघ के गैर पेशेवर पत्रकारों को सबक मिलेगी।
क्योंकि कानून के सामने हर कोई बौना होता है। जैसे वाराणसी प्रेस क्लब को हड़पने के लिए काशी पत्रकार से 8 वर्षों तक मुकदमा लड़ने के बाद आखिर में जीत हासिल हुई, उसी प्रकार वाराणसी प्रेस क्लब से अनुमति के बिना संघ के द्वारा गैर कानूनी चुनाव कराने का अपराध करने वालों के खिलाफ भी लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी, लेकिन हमें इस बात का भरोसा और विश्वास जरूर है अंत में जीत सच की ही होगी।
सत्यमेव जयते...
इसी महामंत्र के साथ हम कहेंगे पत्रकार एकता जिंदाबाद...