वाराणसी। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव अनुराग यादव ने मंगलवार को विश्व बैंक के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ वाराणसी स्थित अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान केंद्र-दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र का दौरा किया। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश में धान की सीधी बुआई के तकनीक को अपनाने की प्रक्रिया को गति देने हेतु साझेदारी के प्रयासों को बढ़ावा देना था। यह दौरा उत्तर प्रदेश सरकार, वर्ल्ड बैंक, एवं इरी के बीच सतत और जलवायु-अनुकुल धान के उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु चल रही साझेदारी में एक महत्वपूर्ण कदम है।
परिचर्चा में विश्व बैंक के प्रतिनिधिमंडल में विनायक घटाते, शांतनु कुमार और अजीत राधाकृष्णन शामिल थे, साथ में आइसार्क के डायरेक्टर सुधांशु सिंह, आइसार्क के सभी वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं उत्तर प्रदेश विविधीकृत कृषि सहायता परियोजना (यूपीडास्प) के अधिकारियों में प्रो० वी. पी. सिंह एवं सुनील कुमार मौजूद थे। आज का विचार-विमर्श दो दिवसीय कार्यक्रम का एक हिस्सा था, जिसमें पहले दिन वाराणसी के पनीयारा गाँव का क्षेत्रीय दौरा शामिल था।
सभा को संबोधित करते हुए अनुराग यादव ने कृषि उत्पादकता में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। हाल ही में शुरू कि गयी यूपी-एग्रिस परियोजना का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "इस परियोजना में उत्तर प्रदेश के कृषि परिदृश्य में परिवर्तनकारी बदलाव लाने और चावल-गेहूँ कृषि प्रणालियों में किसानों को लाभ पहुँचाने की क्षमता है। जलवायु-अनुकुल प्रौद्योगिकियों और सतत गहनता में इरी की तकनीकी विशेषज्ञता को देखते हुए, हमारा लक्ष्य पूरे राज्य में डीएसआर को अपनाना और अधिक उत्पादक और जलवायु-स्मार्ट खेती का भविष्य बनाना है।"
इस चर्चा में राज्य के विविध कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्रों में डीएसआर को मुख्यधारा में लाने के लिए स्केलेबल रणनीतियों, अवसरों और क्षमता निर्माण के दृष्टिकोणों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
साथ ही बीज प्रणाली, किसानो को प्रशिक्षण, नीति निर्माण एवं पब्लिक-प्राइवेट भागीदारी को मज़बूत करने पर भी मंथन किया गया। वाराणसी के पनियारा गाँव में आयोजित क्षेत्रीय दौरे में, विश्व बैंकऔर यूपीडास्प प्रतिनिधिमंडल ने मल्टी-क्रॉप प्लांटर का उपयोग करके लेजर लैंड लेवलिंग और धान की सीधी बुआई के खेती के लाइव प्रदर्शन को देखा। इन तकनीकों के ज़रिये किसान को सटीक भूमि की तैयारी और मशीनीकृत बुवाई से पानी की बचत के साथ-साथ श्रम-संसाधन में कमी ला सकते है एवं फसल में भी सुधार प्राप्त कर सकते हैं। दौरे में टीम ने बनकट गाँव में मछली पालन सहित एकीकृत खेती करने वाले किसानों से भी मुलाकात की और जाना कि किस प्रकार चावल आधारित कृषि-प्रणालियों में विविध आजीविका के विकल्पों को शामिल करके उन्हें सुदृढ़ और उनके आय में सुधार किया जा सकता है। क्षेत्रीय दौरे का समापन वाराणसी के कृषि विज्ञान केंद्र में रणनीतिक बातचीत के साथ हुई जिसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश में डीएसआर में आने वाली बाधाएं एवं अवसरों पर चर्चा हुई।
किसानों को संबोधित करते हुए विश्व बैंक के घटाते ने कहा, "विश्व बैंक कृषि में परिवर्तनकारी बदलाव लाने में उत्तर प्रदेश सरकार का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा ध्यान केवल प्रौद्योगिकी के उपयोग पर नहीं है, बल्कि किसानों की यात्रा को समझने पर है - उन्हें क्या प्रेरित करता है, उन्हें क्या रोकता है, और हम कैसे सक्षम प्रणालियाँ बना सकते हैं। डीएसआर जलवायु-स्मार्ट और संसाधन-कुशल खेती के लिए एक शक्तिशाली समाधान है, और यूपी-एग्रीस के माध्यम से, हमारा लक्ष्य इसे ऐसे तरीके से आगे बढ़ाना है जो व्यावहारिक, समावेशी और किसानों की वास्तविकताओं में निहित हो।" इरी अपने क्षेत्रीय केंद्र आइसार्क के माध्यम से प्रमाण विकसित करने, तकनीकी सहायता प्रदान करने और डीएसआर तथा अन्य जलवायु-स्मार्ट प्रौद्योगिकियों के लिए किसानों के क्षमता विकास को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह यात्रा सुदृढ़ धान की खेती का विस्तार करने और जलवायु-स्मार्ट कृषि तथा बेहतर जल-उपयोग दक्षता के लिए उत्तर प्रदेश की महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करने के लिए एक मजबूत कार्य योजना के लिए मंच तैयार करती है।