अजित सिंह बग्गा, अध्यक्ष, वाराणसी व्यापार मंडल
83 वें जन्मोत्सव अवसर पर विशेष संबोधन
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बालाजी आठवले जी के 83 वें जन्मोत्सव पर उन्हें सादर नमन करते हुए वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजित सिंह बगा ने काशी नगरी में उपस्थित 56 कोटी देवताओं से प्रार्थना की कि पूज्य डॉ. आठवले जी के आशीर्वाद हम सभी साधकों पर सदा बना रहे। उन्होंने कहा कि डॉ. आठवले जी के बताए मार्ग पर चलकर ही हम सनातन धर्म और राष्ट्र की सेवा कर सकते हैं।
बगा ने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा,
"मैं चाहता हूँ कि जब भी कोई घोषणा हो, तब केवल ताली न बजे – हृदय से उद्घोष निकले, जिससे हमारी आत्मा में शक्ति का संचार हो। हम 'सनातन राष्ट्र' की स्थापना के लिए संकल्प लें।"
उन्होंने दृढ़ शब्दों में कहा,
"हमें तय करना होगा कि अब हम न डरेंगे, न किसी के सामने झुकेंगे, न अत्याचार करेंगे और न ही सहन करेंगे। जब हिंदू समाज सामूहिक रूप से शक्ति संपन्न होगा, तभी हिंदू राष्ट्र का उदय होगा।"
प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए 'राजा ठाकुर' बनकर आगे बढ़ना
बगा ने कहा,
"घर-घर में युवा, माताएँ और बहनें हैं; लेकिन हमें यह तय करना होगा कि अब कोई वृद्ध नहीं, सभी तरुण हैं। चाहे युवा हों या बुज़ुर्ग – सभी को सनातन राष्ट्र के लिए सक्रिय होना होगा।"
उन्होंने यह भी बताया कि पहली बार यहाँ २५,००० से अधिक साधकों का "कुंभ" एकत्र हुआ है, जो एक ऐतिहासिक क्षण है।
51 सनातनी प्रतिनिधियों की समिति बनाने की माँग
बगा ने मंच से प्रस्ताव रखा कि जो लोग सनातन धर्म के लिए संघर्ष कर रहे हैं, और प्रशासनिक अड़चनें झेलते हैं – उनके लिए ५१ समर्पित सनातनी व्यक्तियों की एक सहायता समिति बनाई जाए, जो तन, मन, धन से उनका सहयोग करे।
घोषणाओं से गूंज उठा सभास्थल
बगा ने उपस्थित धर्मप्रेमियों से आवाहन किया और सबके साथ जोरदार उद्घोषणा करवाई
राज करेगा खालसा, बाकी रहे ना कोई!
हिंदुस्थान हिंदू राष्ट्र बनाना है!
पैरेलल इकॉनॉमी खत्म कराना है, सनातन राज बनाना है!
जो मंदिर को मस्जिद बनाया है, उसे मंदिर बनाना है!
घर-घर सोना नहीं, शस्त्र चाहिए – हिंदू राष्ट्र बनाना है!
सनातन हिंदू धर्म की जय! भगवान परशुराम की जय!
'रघुपति राघव' का संशोधित रूप भी प्रस्तुत
अंत में श्री बगा ने महात्मा गांधी द्वारा लोकप्रिय भजन 'रघुपति राघव राजाराम' की एक नवीन रचना प्रस्तुत की:
"रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम – नानक कृष्ण तुलसी श्री गंगाधाम, जय बाबा विश्वनाथ धाम!"
उन्होंने स्पष्ट कहा कि “ईश्वर अल्लाह तेरे नाम...” की जगह अब सनातन प्रतीकों को महत्व देना समय की पुकार है।