बनारस की साहित्यिक गलियों में हास्य और संवेदना के अनमोल रंग बिखेरने वाले प्रख्यात कवि मोहनलाल गुप्त 'भैयाजी बनारसी' के सुपुत्र, कवि व रचनाकार राजेंद्र गुप्त के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई। उनकी रचनाओं ने बनारस की सांस्कृतिक धरोहर को नई ऊँचाइयाँ दीं, जहाँ हास्य के साथ जीवन की गहरी संवेदनाएँ झलकती थीं।
उत्तर प्रदेश सरकार के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल और काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक श्रीकांत मिश्र ने चेतगंज स्थित उनके आवास पर पहुँचकर शोक संवेदना प्रकट की। मंत्री रविंद्र जायसवाल ने राजेंद्र गुप्त के पुत्र, वरिष्ठ TV पत्रकार/ वाराणसी प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश गुप्ता से बातचीत में उनके साहित्यिक योगदान को याद किया। बनारस की साहित्यिक विरासत में राजेंद्र गुप्त का नाम सदा अमर रहेगा, जिनकी रचनाएँ पाठकों के दिलों में जीवंत रहेंगी। उनके निधन से काशी ने एक अनमोल रत्न खो दिया।