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वाराणसी प्रेस क्लब और काशी पत्रकार संघ व समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन ने IFWJ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के. विक्रम राव के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त किया



 16/May/25

इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निधन पर वाराणसी प्रेस क्लब ओर से आयोजित शोक सभा में के. विक्रम राव के द्वारा श्रमजीवी पत्रकारों के लिए किए गए संघर्षो को सभी ने याद किया।
इस अवसर पर वाराणसी प्रेस क्लब के संस्थापक संरक्षक पत्रकारिता के एनसाइक्लोपीडिया वरिष्ठ पत्रकार पंडित अमिताभ भट्टाचार्य ने डॉ.विक्रम राव के निधन पर अपनी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि पत्रकारिता जगत में आजादी के पहले और आजादी के कुछ वर्ष बाद तक के पत्रकार अपने को कुछ अलग ही मानते थे। जबकि विक्रम राव जी ने उनको अपना सही परिचय बताया- "श्रमजीवी पत्रकार"। अखबार मालिक के पास मात्र कर्मचारी हुआ करते थे, पत्रकारों की कोई सुरक्षा नहीं थी इस दिशा में स्वतंत्रता के बाद पत्रकारों के लिए सर्वाधिक सुरक्षित प्रयास डॉ. राव का रहा है। आज भी विक्रम जी के कई सपने अधूरे हैं, पत्रकार श्रम अदालत से केस जीतने के बाद भी मालिक से अपना बकाया वापस नहीं पाते लेकिन अभी भी इस लड़ाई को विक्रम जी के नेतृत्व की आवश्यकता रही। दुर्भाग्यवस वे हमसे दूर हो गए लेकिन उनका संघर्ष जारी रहेगा और कभी तो पत्रकारों को जब उनके हक और हुकूक की लड़ाई में विजय मिलेगी और वह विजय उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
वाराणसी प्रेस क्लब के महामंत्री अशोक मिश्र "क्लाउन" ने कहा कि IFWJ के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में डॉ. के. विक्रम राव के द्वारा श्रमजीवी पत्रकारों के लिए उनके संघर्षों और योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। इसके अलावा डॉ. राव एक मजे हुए पत्रकार के रूप में अंतिम समय अपनी लेखनी से जहाँ एक ओर देश और सरकार विरोधी सोच वाले पत्रकारों के द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अनर्गल टिप्पणी करने वालों के खिलाफ मुखर होकर तंज करते रहे, वहीं दूसरी ओर वर्तमान सरकार की नीतियों और जनहित के प्रयासों को अपनी लेखनी के माध्यम से जमकर तारीफ करते रहे। पिछले दो दशक से लेकर उनके निधन से एक दिन पूर्व तक के. विक्रम राव के द्वारा भेजे गए राइटप क्लाउन टाइम्स में प्रकाशित हुए हैं। उनके निधन की सूचना एक वेबसाइट के माध्यम से मिली तो यह विश्वास नहीं हुआ, लिहाजा उनके पुत्र विश्वदेव राव से पूछना पड़ा की जो खबर मैंने पढ़ा है क्या वह सत्य है, तो दूसरी तरफ से आवाज आई जी हाँ सत्य है इसके बाद उन्होंने आगे कहा कि मैं उनकी अस्थिकल्प विसर्जित करने आया काशी आया हूँ। इसके पश्चात मैं स्वयं उनसे मिलने होटल मदीन गया और उनकी स्मृतियों को साझा किया।
श्रमजीवी पत्रकारों के मसीहा और पत्रकारिता के स्तंभ विक्रम राव को वाराणसी प्रेस क्लब के पत्रकार साथियों पूर्व अध्यक्ष महेश खन्ना, उपाध्यक्ष गिरीश दुबे, मंत्री राजू श्रीवास्तव, प्रतिमा पांडे, श्रेया यादव आज की ओर से शत-शत नमन।
समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के मंत्री अजय मुखर्जी ने डॉ. के. विक्रम राव को सच्चे "श्रमजीवी पत्रकार" के रूप में याद करते हुए कहा कि पत्रकार हितों में उनके संघर्षों को बुलाया नहीं जा सकता।
ॐ शांति

संघर्षशील पत्रकारिता का पर्याय थे के.विक्रम राव : काशी पत्रकार संघ में श्रद्धांजलि सभा

वाराणसी, 15 मई। आई.एफ. डबल्यू. जे. के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के. विक्रम राव का जीवन संघर्षशील पत्रकारिता, सिद्धांतनिष्ठ विचारों और निर्भीक लेखनी का पर्याय रहा है। सामाजिक मुद्दों पर विक्रम राव विलक्षण टिप्पणियां लिखते थे। डॉ. राव के लेखों में दुर्लभ जानकारी, इतिहास के सूत्र और समाज का वैज्ञानिक विश्लेषण मिलता था। के. विक्रम राव को अपने पिता के. रामाराव से संघर्ष, प्रभावी पत्रकारिता और श्रेष्ठ लेखन विरासत में मिला था।
यह विचार आज काशी पत्रकार संघ के पराड़कर स्मृति भवन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में पत्रकारों ने व्यक्त किये। इस अवसर पर काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष डॉ. अत्रि भारद्वाज, मंत्री सुनील शुक्ला, योगेन्द्र नारायण शर्मा, पूर्व अध्यक्ष कृष्णदेव नारायण राय, योगेश कुमार गुप्त, सुभाष चन्द्र सिंह, कैलाश यादव, विनय कुमार सिंह, राकेश सिंह, विनय शंकर सिंह, देव कुमार केशरी, डॉ. जयप्रकाश श्रीवास्तव, अरूण सिंह, आशुतोष पाण्डेय, हरिबाबू श्रीवास्तव, मुन्नालाल साहनी, दिलीप कुमार, विजय शंकर गुप्ता ने श्रद्धासुमन अर्पित किये। संचालन काशी पत्रकार संघ के महामंत्री अखिलेश मिश्र ने किया।
ॐ शांति 


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