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लखनऊ के कमांड अस्पताल सहित भारतीय सेना के डॉक्टरों ने किया 350 से अधिक मोतियाबिंद की सर्जरी



 25/Mar/25

पश्चिम बंगाल के 158 बेस अस्पताल में आयोजित नेत्र शल्य चिकित्सा शिविर में कमांड अस्पताल, लखनऊ समेत भारतीय सेना के नेत्र विशेषज्ञों द्वारा 350 मोतियाबिंद के सफलतापूर्वक ऑपरेशन किए गए। यह शिविर 20 से 24 मार्च 2025 तक आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय सेना के डॉक्टरों की टीम द्वारा 1,752 भूतपूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों की मोतियाबिंद समेत अन्य नेत्र संबंधी समस्याओं का इलाज किया गया। डॉक्टरों की इस टीम में सेना अस्पताल (अनुसंधान एवं रेफरल), नई दिल्ली और बेस अस्पताल, दिल्ली कैंट के नेत्र विशेषज्ञ भी शामिल थे।

मरीजों को 500 से अधिक उच्च-मानक चश्में निशुल्क प्रदान किए गए। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान किए जाने पर रक्षा मंत्रालय का जोर रहा है, और इसी के मद्देनजर इस शिविर में उच्च स्तरी उपकरणों और उत्तम गुणवत्ता वाले लेंसों के द्वारा मरीजों की हर संभव सुविधा प्रदान की गई। 

इस शिविर में नेपाल के भी रोगियों का इलाज किया गया। साथ ही 17 भूतपूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों की नेत्र संबंधी बीमारियों की भी जांच की गई और मोतियाबिंद की निशुल्क सर्जरी कर उत्तम गुणवत्ता वाले लेंस प्रत्यारोपित किए गए।

इस पहल का नेतृत्व नेत्र शल्य चिकित्सक और सेना अस्पताल (अनुसंधान और रेफरल), नई दिल्ली में नेत्र रोग विभाग के प्रमुख ब्रिगेडियर संजय कुमार मिश्रा ने किया। ब्रिगेडियर एसके मिश्रा को एक लाख से अधिक सफल मोतियाबिंद, विट्रोरेटिनल, अपवर्तक और ग्लूकोमा सर्जरी करने का श्रेय दिया जाता है। इस मौके पर, उन्होंने कहा कि शिविर ने पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम और यहां तक   कि नेपाल के विशाल क्षेत्र में फैले हिमालय की तलहटी में, राष्ट्र के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले दिग्गजों के दरवाजे पर विश्व स्तरीय उपचार उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया गया कि इन दिग्गजों को बिना यात्रा किए वह देखभाल मिले जिसके वे हकदार हैं।

यह शिविर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी के निर्देशों के तहत पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के अनुरोध पर आयोजित किया गया। यह पहल पूर्वी क्षेत्र में हमारे दिग्गजों तक शीर्ष स्तरीय चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित करने में भारतीय सेना की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

इस पहल ने अपने दिग्गजों और उनके परिवारों की भलाई के लिए भारतीय सेना की प्रतिबद्धता को उजागर किया। यह राज्य और सैन्य नेतृत्व, विशेष रूप से त्रिशक्ति कोर के बीच सहयोगात्मक प्रयासों का प्रमाण है, जो राष्ट्र की सेवा करने वाले बहादुरों के लिए स्वास्थ्य सेवा की पहुंच को बढ़ाता है।


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