अग्रवाल समाज के 5000 वर्ष के गौरवशाली इतिहास के मानचिन्ह, वैश्विक समाजवाद के प्रथम प्रवर्तक, अहिंसा परमो धर्म के मानक भगवान श्री श्री 1008 महाराज अग्रसेन जी के अग्रभागवत कथा का आयोजन रविवार को काशी के अग्रवाल बन्धुओं द्वारा रामकटोरा स्थित अमर बैंक्विट हॉल में किया गया। इस मौके पर कथा व्यास परम पूज्य आचार्य प्रमोद कृष्ण जी के मुखारविंद से महाराज अग्रसेन जी के संपूर्ण जीवन चरित्र का कथा वाचन किया गया। जिसका श्रवण प्रथम बार काशी के अग्रवाल बंधुओ ने सपरिवार किया। जिसके बाद अग्रपरिवारो को कथा श्रवण के उपरान्त अग्रकुल देवी श्री महालक्ष्मी जी के खजाने का वितरण किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ अग्रकुल देवी श्री महालक्ष्मी जी और महाराज अग्रसेन जी के चित्र पर पुष्पार्चन और दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। कथा व्यास आचार्य प्रमोद कृष्ण जी ने महाराज अग्रसेन के जीवन और आदर्शों का वर्णन किया। महाराज अग्रसेन महाभारत काल के सूर्यवंशी राजा वल्लभ के पुत्र थे और भगवान श्रीराम के वंशज माने जाते हैं। वे अत्यंत धर्मपरायण, न्यायप्रिय और प्रजा वत्सल शासक थे। उन्होंने अहिंसा और परोपकार को अपने शासन का आधार बनाया। उनके राज्य में बसने वाले नए व्यक्ति को हर परिवार एक ईंट और एक सिक्का दान में देता था, जिससे उसे बसने में सहायता मिलती थी।
उन्होने कहा कि महाराज अग्रसेन और रानी माधवी के 18 पुत्र हुए, जिनके नाम पर अग्रवाल समाज की 18 उपजातियाँ बनीं। अग्रवाल समाज आज भी व्यापार के क्षेत्र में अग्रणी है। महाराज अग्रसेन के सिद्धांत ‘‘समानता, परोपकार और व्यापारिक नीति’’ आज भी समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनकी स्मृति में कई मंदिर और सामाजिक संस्थाएँ स्थापित की गई हैं।
कुलदेवी मां श्री महालक्ष्मी जी की झांकी की आरती - दर्शन के बाद श्रद्धालुजनों में खजाने का वितरण
श्री अग्रभागवत कथा के समापन के बाद कुलदेवी मां श्री महालक्ष्मी जी की झांकी की आरती - दर्शन के बाद श्रद्धालुजनों में श्री महालक्ष्मी जी के खजाने का वितरण किया गया, जिसे पाकर अग्रवाल परिवार के श्रद्धालु निहाल हो गये।
कार्यक्रम संयोजक एवं यजमान संतोष कुमार अग्रवाल (आढ़त वाले) एवं राजेंद्र मोहन शाह ने कहा कि इस तरह का आयोजन हमारी भावी पीढ़ी को अपने अग्रकुल के इतिहास से परिचित कराना है।
इस मौके पर प्रमुख रूप से अशोक जी अग्रवाल (नाटीमली, करौली डायग्नोस्टिक), संतोष कुमार अग्रवाल (कर्णघंटा), शशांक अग्रवाल सर्राफ (तुलसी निवास), रमेश चंद्र अग्रवाल (हरतीरथ), बल्लभ दास अग्रवाल, राजकिशोर चंद्र अग्रवाल, प्यारे कृष्ण अग्रवाल (सी ए), विष्णु कुमार अग्रवाल (सी ए), अल्पना अग्रवाल, मनीष अग्रवाल (जेवर कोठी), गरिमा टकसाली, पंकज अग्रवाल (एल आई सी), गिरधर दास अग्रवाल ( मद्रास क्लॉथ सेंटर), संजय कुमार अग्रवाल "गिरिराज" प्रमुख रूप से मौजूद रहे।