होली एक रंगबिरंगा, आनंदमय और प्रेम का है त्यौहार
वाराणसी।वरिष्ठ चिकित्सक डा०अशोक राय ने विशेष बातचीत में बताया कि होली, हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है, जिसे फागुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस त्यौहार में लोग आपस में रंग फेकते हैं, पिचकारी से पानी उड़ाते हैं और मिठाई खाते हैं। होली का महत्व हमारे जीवन में खुशियों और मीठास को जोड़कर एक खास स्थान रखता है।
डा०राय ने बताया कि हर साल होली का आयोजन बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ किया जाता है। इस त्योहार में लोग एक-दूसरे को गुलाल और अबीर लगाते हैं, पानी के रंग उड़ाते हैं और मिठाई खाते हैं। यह पर्व विभिन्न आदतों, परंपराओं और धार्मिक आराधना का प्रतीक है। होली का महत्व भी सभी को मिलकर मनाने की एक वजह बनता है और इसके माध्यम से विभिन्न समुदायों और सामाजिक वर्गों के बीच एकता और भाईचारा को स्थापित किया जाता है। होली एक रंगबिरंगा, आनंदमय और प्रेम का त्यौहार है, जो सभी को खुशी और आनंद का एहसास दिलाता है।
वरिष्ठ चिकित्सक डा०अशोक राय ने विशेष बातचीत में बताया कि होली पर केमिकल युक्त रंगों के प्रयोग से बचें। उन्होंने कहा कि होली में केमिकल युक्त रंगों का प्रयोग आप के लिए घातक हो सकता हैं। होली खेलने के लिए लोग जिन रंगों का अधिकांशतः प्रयोग करते है वह ऐसे रसायनों से तैयार किये जाते है जो लोगों के लिए बेहद ही हानिकारक होते हैं।
होली पर जिन लोगों को इस तरह के रंग लगाये जाते है उन्हें त्वचा रोग होने का सर्वाधिक खतरा रहता हैं। अगर ये रंग आंखों में चले जाए तो इनसे आंखों को भी क्षति पहुंच सकती है। कई बार सांस के जरिये ये रंग फेफड़ों में भी जमा हो जाते है जिसके कारण वहां भी संक्रमण हो सकता है। इसलिए सभी को केमिकल युक्त रंगों से होली खेलने से बचना चाहिए।
डा०अशोक राय ने कहा कि केमिकल युक्त रंगों से बचाव का बेहतर तरीका है कि होली वाले रोज घर से निकलने के पहले पूरे शरीर में तेल अवश्य लगाये।
ऐसे कपड़े पहने जिससे शरीर का अधिकांश हिस्सा ढका रहे। इतना करने के बाद भी यदि किसी ने आपकों केमिकल युक्त रंग लगा दिया है और आपके शरीर के किसी हिस्से में जलन अथवा किसी भी तरह की परेशानी हो तो चिकित्सक से तत्काल परामर्श लेना चाहिए।
होली मनाए जाने के पीछे कहानी
होली का मनाने का पीछा एक कथा से जुड़ा है। इस कथा के अनुसार, होली का आयोजन पुराने समय में हिरण्यकश्यप नामक राजा के पुत्र प्रह्लाद को बचाने के लिए हुआ था। प्रह्लाद हिरण्यकश्यप के विरोधी थे और वे भगवान विष्णु के विश्वासी थे। हिरण्यकश्यप अपने बहन होलिका की सहायता से प्रह्लाद को मारने की कोशिश की, लेकिन होलिका को उसकी अग्निकुंड में जाने पर जलकर नष्ट हो गई और प्रह्लाद सुरक्षित रह गया। इसी प्रकार से होली मनाई जाती है और होलिका दहन का आयोजन किया जाता है।
होली के दिन लोग एक-दूसरे पर गुलाल और अबीर लगाते हैं। सभी लोग पानी के रंग उड़ाते हैं और भांग का सेवन करते हैं। हर तरफ रंगों की बारिश होती है और लोग खुशी और आनंद में झूमते हैं। विभिन्न गीतों और नृत्यों के साथ होली मनाई जाती है। लोग मिठाई खाते हैं और एक-दूसरे को गिफ्ट देते हैं। होली के दिन सभी भाई-बहन और मित्र एक-दूसरे का आशीर्वाद और बधाई देते हैं। यह पर्व नया जीवन की शुरुआत, मित्रता और प्रेम का प्रतीक है।
होली हमें संप्रेम करने, एकता को स्थापित करने और आनंद भरे जीवन का आनंद लेने की शिक्षा देता है। यह हिंदू संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है और हमें हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को मान्यता देनी चाहिए। होली के दिन हमें अपने अंदर रंगीनता, जीवन की प्रकृति को बचाने का इरादा और धार्मिक भावनाओं को मजबूती से रखने की प्रेरणा मिलती है। होली हमें प्रेम का संदेश देता है और हमारे बीच एकता और सौहार्द को स्थापित करता है। इसलिए, होली को धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व देकर हमें इसे सदैव मनाना चाहिए।
डा०राय ने बताया कि हालांकि होली एक पवित्र और आनंदमय पर्व होने के साथ-साथ, बड़े दुख की बात है कि हमारे समय में होली का रूप विकृत हो रहा है। यह पर्व बच्चों, जवानों, बुजुर्गों, महिलाओं सभी के लिए खुशी का अवसर होना चाहिए, लेकिन आजकल होली में दरिंदगी, शोषण और आतंकवाद के मामले देखे जा रहे हैं। बच्चों को रंगों के साथ-साथ हानि पहुंचाने वाले रंगों का इस्तेमाल किया जाता है और युवाओं में अत्यधिक मदिरा का सेवन होता है जो निराशा और शोक का कारण बनता है। हमें होली के पावन महत्व को समझना चाहिए और इसे प्रेम, खुशी और एकता का पर्व बनाने के लिए प्रयास करने चाहिए।