मां काली का रौद्र रूप, हर तरफ उड़ती चिता की राख ... गले में नरमुंड माला, मुंह से उगलते आग के गोले और शिव तांडव। आज मणिकर्णिका घाट पर आज मसाने की होली खेली गई। जिसे देखने के लिए 20 देशों से 5 लाख टूरिस्ट पहुंचे हैं।
दोपहर करीब 12 बजे मसाननाथ की आरती होने के बाद भस्म होली शुरू हुईI नागा संन्यासी भी इस होली में शामिल हुए। ऐसा पहली बार होगा कि महिलाएं इस होली में शामिल नहीं हो पाएंगी, क्योंकि उन्हें इजाजत नहीं दी गई है।
बनारस की मसान की होली को ‘चिता भस्म होली’ कहा जाता है, एक अनोखी और प्राचीन परंपरा है. यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि मृत्यु पर शोक मनाने के बजाय, मृत्यु को जीवन का एक चक्र मानकर मनाया जाना चाहिए. मसान की होली भगवान शिव को समर्पित है, जो मृत्यु के देवता भी हैं. काशी की मसान की होली एक अनोखा और अद्भुत त्योहार है जो हर साल होलीका दहन के पूर्व मनाया जाता है। यह त्योहार मृत्यु पर विजय का प्रतीक माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने मृत्यु के देवता यमराज को पराजित करने के बाद मसान में होली खेली थी। इस घटना को यादगार बनाने के लिए, बनारस के लोग हर साल मसान की होली खेलते हैं. बता दें कि मसान होली हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. यह त्योहार दो दिनों तक चलता है. पहले दिन लोग चिता भस्म इकट्ठा करते हैं और दूसरे दिन होली खेलते हैं। मसान की होली में शामिल होने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने मसान की होली की शुरुआत की थी। ऐसा माना जाता है कि रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शंकर माता पार्वती का गौना कराने के बाद उन्हें काशी लेकर आए थे. तब उन्होंने अपने गणों के साथ रंग-गुलाल के साथ होली खेली थी, लेकिन वे श्मशान में बसने वाले भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष गन्धर्व, किन्नर जीव जंतु आदि के साथ होली नहीं खेल पाए थे. इसलिए रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद भोले शंकर ने श्मशान में रहने वाले भूत-पिशाचों के साथ होली खेली थी. तभी से काशी विश्वनाथ में मसान की होली खेलने की परंपरा चली आ रही है. चिता की राख से होली खेलने की वजह से ये परंपरा देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है.पूरी दुनिया में भारत का काशी ही इकलौता ऐसा शहर है जहां मसान की होली (चिता की राख से होली) खेली जाती है। चिता भस्म की होली पर काशी विश्वनाथ के भक्त जमकर झूमते हैं. महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर हर हर महादेव के नारे गूंजते हैं. इस अवसर पर देवाधिदेव महादेव के भक्त चिता भस्म की होली खेलते हैं। मणिकर्णिका घाट हर-हर महादेव से गूंज उठता है. होली के मौके पर चिता की भस्म को अबीर और गुलाल एक दूसरे पर अर्पित कर सुख, समृद्धि, वैभव संग शिव का आशीर्वाद पाते हैं. मसान की होली इस बात का संदेश देती है शिव ही अंतिम सत्य है. शिवपुराण और दुर्गा सप्तशती में भी मसान की होली का वर्णन किया गया है।