श्रीरामकथा को सुनने महाराष्ट्र सहित देश विदेश से काशी आएंगे हजारों लोग
वाराणसी। चैतन्य गौशाला ट्रस्ट चिंचवड पुणे द्वारा द्वादश ज्योतिर्लिंगों में श्रीराम कथा संकल्प के अन्तर्गत नवम पूष्प श्रीराम कथा "मानस मुक्ति" का आयोजन 1 मार्च से 9 मार्च 2025 तक रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर, सिगरा वाराणसी में होगा। मराठी भाषा में होने वाले इस श्रीराम कथा को श्रवण करने हेतु लगभग 1200 लोग महाराष्ट्र सहित देश-विदेश से आएंगे। श्री रामकथा वाचक रविन्द्र पाठक ने बताया का 1 मार्च को को पूर्वाह्न 8.30 बजे शोभायात्रा निकलेगी। सायंकाल 5.30 बजे गणमान्य अतिथियों के उपस्थिति में श्री राम कथा का उद्घाटन होगा।
उक्त जानकारी रामकथाकार रवींद्र पाठक ने सिगरा स्थित होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही। श्री पाठक ने कहा कि चैतन्य गोशाला ट्रस्ट द्वारा काशी में रामकथा का आयोजन एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव होगा। यह नौ दिवसीय आयोजन आध्यात्मिकता, संगीत, और समुदाय सेवा का अनोखा मेल होगा। कथाकार रवींद्र पाठक ने कहा कि रामकथा की शुरुआत सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् .........के श्लोक के अनुसार हुई। इस कथा में सोमनाथ, श्रीशैलम, उज्जैन, ओंकारेश्वर, भीमाशंकर, परळी वैजनाथ, रामेश्वरम, औंढ्या नागनाथ, और काशी की कथा शामिल है, जो नववीं कथा है।
श्री पाठक ने कहा कि 1 से 9 मार्च तक चलने वाली इस श्रीराम कथा का स्वरूप इस प्रकार है :
प्रतिदिन- प्रात: काकड आरती
दिनभर नामस्मरण और रामचरितमानस पाठ
सुबह और शाम रामकथा निरुपण , गायन.
कहा कि काशी में होने वाली श्रीरामकथा की विशेषताए इस प्रकार हैं। कहा कि 1 मार्च 2025 से 9 मार्च 2025 तक दिन मे 2 सत्र, ऐसे 16 सत्रो में रामकथा निरुपण, गायन होगा। कहा कि 1 मार्च को पूर्वांह 8.30 बजे शोभायात्रा निकलेगी। जिसमें सबसे आगे हाथी पर श्री ब्रह्मचैतन्य गोंदवलेकर महाराज का चित्र और रामचरितमानस ग्रंथ रखा होगा। उसके पीछे बग्गी में संतगण बैठे होंगे। उसके पीछे श्रीराम नाम किर्तन करते हुए भाविक होंगे। कहा कि कार्यक्रम में शहर के गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित किया गया है। कहा कि प्रतिदिन ब्राह्मण , साधू संतों का आदर सन्मान सह भोजन प्रसाद सेवा की जाएगी। प्रतिदिन स्थानीय लोगों को अन्नदान (भंडारा) दिया जाएगा। राम कथाकार रवींद्र पाठक ने कहा कि वर्ष १९९८ में श्री ब्रह्मचैतन्य महाराज गोंदवलेकर का उन्हें अनुग्रह प्राप्त हुआ । संतों के ग्रंथों और साहित्य में रुचि बढ़ी। सद्गुरुकृपा से श्रीमद दासबोध, तुकाराम गाथा, ज्ञानेश्वरी, नाथ भागवत जैसे ग्रंथों का अध्ययन किया । विशेष रूप से, अवध भाषा में श्री रामचरितमानस का गहरा अध्ययन किया । वर्ष २००२ से नियमित रूप से कथा करने का अवसर मिल रहा है। देश-विदेश में अनेक अद्वैत ग्रंथों और भगवंत के सगुण चरित्र पर निरूपण करने की सेवा प्राप्त हुई है।
कहा कि 2017 में देशी गोवंश के संवर्धन के उद्देश्य से गोशाला की स्थापना की गई। वर्तमान में 300 देशी गोवंश देखभाल की जा रही है। 2019 में चैतन्य गोशाला ट्रस्ट की स्थापना की गई। चैतन्य गौशाला ट्रस्ट एक धर्मार्थ संगठन है, जो मुख्य रूप से चार उद्देश्यों पर काम कर रहा है। 1- स्वदेशी गोमाता संरक्षण और पालन – अब तक 300 देसी गोमाताओं का पालन किया जाता है। 2- समुदाय में जरूरतमंदों को वित्तीय सहायता: कोविड से प्रभावित ७० परिवारों को मासिक वित्तीय सहायता। 3- श्रीराम नाम प्रसार– भारत के ज्योतिर्लिंग में नौ दिवसीय श्री रामचरितमानस की कथा वाचन और गायन। 4- अन्नदान – कथा स्थल पर स्थानीय लोगों के लिए भंडारा, साथ ही वेद पाठशाला को मासिक भोजन सहायता।
रवींद्र पाठक ने कहा कि आगामी श्रीरामकथाएं त्र्यंबकेश्वर, केदारनाथ और घृष्णेश्वर में आयोजित की जाएंगी और समापन रामकथा अगले वर्ष पशुपतीनाथ में होगी।
पत्रकार वार्ता में श्री काशी महाराष्ट्र सेवा समिति के ट्रस्टी संतोष सोलापुरकर, नागनाथ इनामदार, सचिन नाइक, अभिजीत अरकटकर, हिंदूराव पवार, अजीत देशमुख उपस्थित रहे।