अखबार में मोटी तनख्वाह पाने वाले कर्मचारी अब सड़क पर
खबरों में बने रहने के लिए सोशल मीडिया पर अब भी खबर की है गूंज
बनारस का सांध्यकालीन कालीन अखबार गूँज उठी रणभेरी का प्रकाशन पिछले 1 महीने से बंद हो चुका है। इस अखबार का प्रकाशन रियल स्टेट कारोबारी नूर एहसान ने विगत कई महीने पहले शुरू किया था, जिसे उन्होंने काफी जोशो खरोश के साथ कई महीनों तक संचालित भी किया।
लगभग 5 महीने पूर्व उक्त अखबार से नूर एहसान ने
हमेशा के लिए अपना नाता तोड़ दिया। लॉकडाउन की इस विकट परिस्थिति में अचानक अखबार का प्रकाशन बंद हो गया और मोटी तनख्वाह पाने वाले कर्मचारी सड़क पर आ गए। अपनी सनसनीखेज खबरों के लिए चर्चा में रहने वाले सांध्य कालीन अखबार का प्रकाशन अचानक बंद होना इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है।
फिर भी यहां के पत्रकार अभी भी खबरों में बने रहने के लिए शहर के प्रतिष्ठित व्यापारियों के खिलाफ चटपटी खबरें परोसने के चक्कर में कुछ भी लिख रहे हैं।
ताजा मामला जलान्स जैसी प्रतिष्ठित संस्था जिसने लॉकडाउन में वाराणसी के सांसद प्रधानमंत्री मोदी के अनुरोध पर निरंतर लाखों जरूरतमंदों तक राशन वितरण करने का कार्य में विशेष सहयोग किया है, आज उसी के खिलाफ सोशल मीडिया पर खबर प्रसारित कर कर सनसनी फैला दी है।
बताते चलें कि जलान्स समूह ने ही भाजपा के एमएलसी अशोक धवन की पहल पर मोदी किट के नामपर शहर दक्षिणी के लोकप्रिय विधायक व सूबे के राज्यमंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी सहित अन्य विधानसभा के लिए राशन का पैकेट तैयार कर वितरित कराने में जुटे हैं। यह बात अलग है इसे तैयार करने की जिम्मेदारी जलान्स समूह के दर्जनों कार्यकर्ता निरन्तर लगे हुए हैं। सूत्रों की मानें तो अबतक MLS अशोक धवन की पहल पर बनारसी वस्त्र उद्योग सहित अन्य दानी दाताओं के सहयोग से अबतक लगभग ₹ 1 करोड़ रुपये का राशन पैकेट लाखों जरूरतमन्दों तक विभिन्न विधानसभाओं वितरित किया जा चुका है। जिसे न्यूनतम मूल्य में राशन का पैकेट तैयार करने की जिम्मेदारी जलान्स समूह ने निभाई है।
लॉकडाउन की इस विकट परिस्थिति में सोशल मीडिया पर गूँज उठी रणभेरी की खबरों में प्रतिष्ठित राजबंधु की मिठाई चौक थाने में, सप्तसागर दवा मंडी के दवा कारोबारी के द्वारा फेंसेडिल सिरप की कालाबाजारी आदि खबरों की चर्चा जोरों पर है।
अब देखना है दोबारा कब तक गूंज उठी रणभेरी अखबार का प्रबंधन नियमित रूप से प्रकाशन शुरू करता है और अपने यहां कार्य करने वाले दर्जनों कर्मचारियों को उनकी रोजी- रोटी वापस करता है। अथवा कम समय में अपनी सनसनीखेज खबरों के लिए चर्चा में रहने वाला यह अखबार हमेशा के लिए बंद होने के कगार पर पहुंच चुका है यह तो आने वाला समय बताएगा।