अनुपम और सर्वोत्तम है भारतीय संस्कृति : रविंद्र जायसवाल, मंत्री
वाराणसी के सुंदरपुर स्थित धीरेन्द्र महिला पी.जी. कॉलेज में 14 दिसंबर शनिवार को पुराछात्र समागम व वार्षिकोत्सव प्रगति 2024 का आयोजन हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। "सांस्कृतिक संगम की थीम पर आयोजित इस कार्यक्रम में छात्राओं ने राष्ट्रगौरव व सनातन संस्कृति के बहुआयामी पक्षों को अभिनय, नृत्य व संगीत के माध्यम से प्रस्तुत किया। इस अवसर पर शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दे रहे विद्वत्जनों को सम्मानित किया गया, साथ ही विश्वविद्यालय के टाप-टेन में स्थान हासिल करने वाली मेधावी छात्राओं को पुरस्कार राशि देकर उन्हें प्रोत्साहित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ दीपप्रज्वलन तथा कुलगीत की प्रस्तुति के साथ किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के पंजीयन एवं स्टाम्प शुल्क राज्य मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति अनुपम व सर्वोत्तम होने के साथ ही ज्ञान का भंडार है। खास तो यह कि इसमें तमाम विविधताओं के बावजूद भी आध्यात्मिक ज्ञान, धार्मिक आदर्श और दार्शनिक विचारों का समावेश है। दूसरे देशों की संस्कृति के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक हो सकता है परन्तु कभी उसे अपने व्यक्तित्व और आचरण में हावी नहीं होने का संकल्प भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रकृति, प्रेम, मानवीय मूल्यों का सम्मान और सामाजिक न्याय जैसी व्यवस्था हमारी समृद्ध विरासत रही है। यहां अनेकता में एकता और एकता में अनेकता दोनों का समन्वय है, जिससे सिर्फ भारत ही नही बल्कि पूरी दुनियां में वसुधैव कुटुम्बकम का मूलमंत्र अपनाया जाता है।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के जन्तु विज्ञान विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. चंदना हलदार ने अपने उद्बोधन में कहा कि आत्मबल और निरन्तर प्रयास के द्वारा इस शिक्षण संस्थान का कारवां 22 वर्षों तक सफलता पूर्वक चलता रहा जो कॉलेज प्रबंधन की उपलब्धि है। उन्होंने छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि जीवन में सफलता हासिल करने के लिए धैर्य और संयम को अपनायें जो हर कामयाबी को आसान बनाता है। अपनी जड़ों से जुड़े रहकर भविष्य के सपने संजोये, ऐसा कहते हैं कि आसमां में ठिकाने किसी के नहीं होते और जो जमीं के नहीं होते वे कहीं के नहीं होते। सीखने के लिए जुनून पैदा कीजिए, यदि आप ऐसा करते है तो कभी भी आगे बढ़ने से नहीं रूकेंगे।
प्राचार्या डॉ. नलिनी मिश्रा ने कॉलेज का वार्षिक लेखा प्रस्तुत करते हुए बताया की पिछले दो दशक से अधिक के सफर में संस्थान का भरपूर प्रयास पुरातन और अद्यतन शिक्षा के बीच सामंजस्य स्थापित करते हुए शैक्षणिक वातावरण तैयार करना रहा है, जिससे छात्राऐं शिक्षा के साथ-साथ अपने कौशल का विकास करें तथा आत्मनिर्भर बनें।
इस अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, फाइन आर्टस् के विभागाध्यक्ष प्रो. मनीष अरोड़ा, भारती वसंत कुमार, डॉ. रति शंकर त्रिपाठी, अमिताभ भट्टाचार्या, सुधीर सिंह, मृत्युंजय सिंह, कन्हैया लाल जायसवाल को स्मृति चिन्ह और अंग वस्त्रम प्रदान कर सम्मानित किया गया।