सारनाथ थाने में थानाध्यक्ष की तहरीर पर की गई कार्रवाई, अपार्टमेंट मालिक समेत अन्य अज्ञात पर भी दर्ज किया गया l
पहाड़िया (सारनाथ) स्थित रुद्रा हाइट्स अपार्टमेंट में जुए की फड़ से 41 लाख रुपये लूटने के मामले में करीब सप्ताह भर बाद कार्रवाई हुई। सारनाथ धानाध्यक्ष विवेक त्रिपाठी की तेहरीर पर इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता, धर्मेद्र चौबे पर लूट के आरोप में, अपार्टमेंट मालिक व अन्य अज्ञात पर सार्वजनिक जुआ अधिनियम में केस दर्ज किया गया है। बीते सात नवंबर की रात तत्कालीन सारनाथ इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता और छित्तमपुर (चौबेपुर) निवासी धर्मेंद्र कुमार चौबे उर्फ पिंटू रुद्रा हाइट्स अपार्टमेंट पहुंचे थे। थे। गेट पर सुरक्षा गार्ड से धर्मेंद्र चौबे ने खुद को मुख्यमंत्री का ओएसडी बताया। पीछे की सीट पर परमहंस गुप्ता बावर्दी बैठा था 12:25 बजे के करीब दोनों लिफ्ट से ऊपर पहुंचे। घंटे भर बाद लौटे तो धर्मेद्र चौबे के हाथ में दो बैग थे। बैग में जुए की फड़ से उठाये गये रुपये थे। वायरल होने पर हुआ निलंबन :
घटनाक्रम का फुटेज वायरल होने पर 10 नवंबर को पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने पहले इंस्पेक्टर को लाइन हाजिर किया था। इसके बाद निलंबित करने का आदेश किया था। मामले में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर तंज कसा था l
'धनकुबेर' संतानों की थी अड़ी
अपार्टमेंट के सातवें तल पर गाजीपुर निवासी के फ्लैट पर जुए की फड़ लगती थी। यहां करीब तीन माह से जुआ खेला जा रहा था, जिसमें शहर के धनकुबरों की संतानें जुटती थीं। जुआ खेलाने वाला युवक हुकुलगंज निवासी बताया जा रहा है।
प्रकरण में सारनाथ थाने के पूर्व निरीक्षक परमहंस गुप्ता और धर्मेद्र चौबे को लूट में नामजद किया गया है। अपार्टमेंट मालिक और अन्य अज्ञात पर सार्वजनिक जुआ अधिनियम समेत अन्य धाराएं लगीं हैं। विवेचना में जुआ खेलने वालों को भी चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी। चंद्रकांत मीणा, डीसीपी वरुणा जोन किरकिरी के बाद केस !
फड़ से रुपये लूटने के आरोपी इंस्पेक्टर का निलंबन 10 नवंबर को हो चुका था। 13 नवंबर को पुलिस मुख्यालय के स्थापना एडीजी का आदेश आया। इसमें परमहंस गुप्ता को सीबीसीआईडी लखनऊ से संबद्ध करने का जिक्र था। चर्चा रही कि परमहंस ने अपनी पहुंच से स्थानांतरण करा लिया। गुरुवार को आदेश की प्रति वायरल होते सारनाथ थाने में लूट का मुकदमा दर्ज कर लिया गया। हालांकि इस बात की चर्चा है कि आखिर इतनी किर्सकरी के बाद कार्रवाई क्यों की गई।
पूर्व IPSअमिताभ ठाकुर ने DGP से SHO पर FIR दर्ज करने की किया था मांग
प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के थाना सारनाथ क्षेत्र के रुद्रा हाइट्स अपार्टमेंट में दीपावली के शुभ अवसर पर हाई प्रोफाइल जुए के अड्डे दबिश देखर शहर लगभग एक दर्जन व्यापारियों से खाकी वर्दी वाले पुलिस इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता और कथित TV चैनल के पत्रकार के द्वारा 41 लाख रुपये लूटकर चंपत होनें की शर्मनाक घटना के बाद निलंबित सब इंस्पेक्टर की असली कहानी के बारे में
बता दें भले ही वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने खाकी को अपनी काली करतूत से शर्मसार करने वाले प्रभारी निरीक्षक को निलंबित करके इसकी विवेचना DCP वरुणा चंद्रकांत मीना को सौंप दी गई है।
बावजूद इसके बनारस के प्रमुख समाचार पत्र हिंदुस्तान में आजाद अधिकार सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर के हवाले से 5 कालाम की खबर प्रमुखता से प्रकाशित है जिसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि 41 लाख की लूट में शामिल इंस्पेक्टर पर अबतक FIR दर्ज न करना गंभीर बात है।
लिहाजा श्री ठाकुर ने इसकी शिकायत प्रदेश के DGP को की है, साथ ही उन्होंने SHO परमहंस गुप्ता और कथित TV चैनल के पत्रकार के एक फोटो भी मिडिया को भेजा है, क्लाउन टाइम्स पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर के द्वारा भेजी गई किसी भी फोटो की पुष्टि नहीं करता फिर देखिए क्या कह रहे हैं पूर्व DIG अमिताभ ठाकुर...
अब हम आप को शहर के व्यापारियों से सारनाथ थाना के तत्कालीन इंस्पेक्टर के द्वारा 41 लाख रूपये की लूट पूरी घटना के बारे में बताते हैं।
बताते चलें कि इस संदर्भ में घटना के दूसरे दिन एक इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल साक्ष्य सीसीटीवी फुटेज विभिन्न शोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रसारित की गई तब यह पता चला कि थाना प्रभारी सारनाथ श्री परमहंस गुप्ता एवं कथित टीवी चैनल के पत्रकार के द्वारा विगत दिनों रुद्रा हाइट्स अपार्टमेंट में जुआ होने की सूचना पर दबिश दिया गया और वहाँ पर कुछ व्यापारियों से तलाशी लेकर कुल 41 लाख रुपए की लूट की गई। इस सूचना की खबर मिडिया में प्रसारित होते ही पुलिस कमिश्नरेट वाराणसी में हड़कंप मच गया और आननफानन में थाना प्रभारी परमहंस गुप्ता को लाइन हाजिर करते हुए डीसीपी वरुणा जोन चंद्रकांत मीना को जाँच दी गई, इस संदर्भ में वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के उच्चाधिकारियों के आदेश और निर्देश के क्रम में निम्न प्रश्न अनुत्तरित बने हुए हैं जैसे :-
1-उक्त रात्रि जब घटना घटित हुई तो थाना प्रभारी परमहंस गुप्ता उक्त अपार्टमेंट में क्या करने गए थे उनको सूचना किसने दिया जिस मोबाइल नंबर से या जिस व्यक्ति ने सूचना दिया था उसका नाम क्या है ?
2-जिस व्यक्ति के साथ काले रंग का बैग लेकर सीसीटीवी फुटेज में श्री परमहंस गुप्ता होटल से निकल रहे हैं वह व्यक्ति कौन है उस व्यक्ति से थाना प्रभारी परमहंस गुप्त ने बात किया तो उसका सीडीआर डाटा कहाँ है ?
3-घटना के बाद परमहंस गुप्ता ने किन मोबाइल नम्बरों पर वार्ता की है और उनकी लोकेशन क्या रही है इस प्रकरण में जाँच अधिकारी ने कथित टीवी चैनल के प्रमुख व परमहंस गुप्ता के काल का क्या विवरण प्राप्त किया है ?
बता दें कि पुलिस कमिश्नरेट के गठन के पश्चात विगत 2 वर्षों में ही पुलिस कमिश्नरेट वाराणसी के कई दरोगा भ्रष्टाचार अधिनियम में जेल जा चुके हैं यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के उच्चाधिकारियों के द्वारा शासन की नीतियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के जीरो टोलरेंस की नीतियों को फेल करते हुए मात्र जाँच की कार्यवाही की जा रही है, यदि थाना प्रभारी परमहंस गुप्ता के विरुद्ध शिकायतों के आधार पर कई बार स्थानान्तरण किया गया था तो उन्हें थाना प्रभारी पद का दायित्व क्यों दिया गया। खासकर प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र में जहाँ आम जनमानस से लेकर पूरे देश के नेताओं और मिडिया की पैनी नज़र रहती है, ऐसे में जनता और समाज के प्रति पुलिस कमिश्नरेट वाराणसी का दायित्व और जवाब दे ही स्पष्ट होनी चाहिए।
ऐसे में वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस सूबे की योगी सरकार के जीरो टोलरेंस की नीति को अपनाते हुए लुटेरे पुलिस वालों के विरुद्ध प्रभावी विधिक कार्यवाही करके यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि इस सरकार में अब लुटेरे और भ्रष्टाचारियों के खैर नहीं है।