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काशी के 36 प्रदेश के प्रतिनिधियों ने गौ ध्वज समर्पित कर किया शङ्कराचार्य जी का स्वागत व अभिनंदन



 04/Nov/24

36 दिन में 36 राज्यों में गौध्वज प्रतिष्ठित कर काशी पधारे परमाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती महाराज का काशी में रहने वाले 36 राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपने अपने पारंपरिक परिधान,राजकीय चिन्ह व गौध्वज के साथ अद्भुत स्वागत व अभिनंदन किया।

काशी पधारे शंकराचार्य,पालकी पर निकली सवारी,जयघोष के साथ हुई पुष्पवर्षा व आतिशबाजी मातृशक्ति ने शंकराचार्य को लगाया 56 भोग उतारी आरती

36 दिन में 36 राज्यों में गौध्वज प्रतिष्ठित कर,महाराष्ट्र में गौमाता को राज्यमाता घोषित करवाकर,भदोही स्थित अजोराधाम मंदिर में जगदगुरुगुरुकुलम की एक नई शाखा का उद्घाटन कर  कल देर रात काशी पहुँचने पर ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती महाराज का भारी संख्या में उपस्थित सन्तों,भक्तों व काशीवासियों ने जोरदार ढंग से पुष्पवर्षा,आतिशबाजी के साथ जयघोष करते हुए शंकराचार्य जी को पालकी में आरूढ़ कराकर क्षेत्र में सवारी निकाली।शंकराचार्य जी के निकली सवारी के दौरान क्षेत्रवासी प्रफुल्लित होकर अभिनंदन व वंदन कर रहे थे।
उक्त जानकारी देते हुए शंकराचार्य के मीडिया प्रभारी सजंय पाण्डेय ने बताया कि शंकराचार्य के आगमन से सन्तों भक्तों में असीम ऊर्जा की लहर दौड़ गई।श्रीविद्यामठ को फूलों व हजारों दीपक से सजाया गया था।श्रीविद्यामठ पहुँचने पर सर्वप्रथम संतोष चौबे व चांदनी चौबे ने वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य शंकराचार्य के चरणपादुका का पूजन किया।श्रीविद्यामठ में उपस्थित देश विदेश से आए भक्तों ने शंकराचार्य को 56 भोग समर्पित कर सामूहिक रूप से आरती उतारी।कल भक्तों ने शंकराचार्य के आगमन पर पुनः दीपावली मनाई।

शङ्कराचार्य बिरुदावली गीत का हुआ लोकार्पण

साध्वी पूर्णाम्बा द्वारा रचित गीत जगद्गुरु बिरुदावली गान का लोकार्पण आज श्रीविद्यामठ में ज्योतिर्मठ के शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी के कर-कमलों से हुआ।साध्वी पूर्णाम्बा ने कहा कि शङ्कराचार्य जी के प्रवचन के पूर्व संस्कृत भाषा में बोली जाने वाली बिरुदावली का यह संस्कृत से हिन्दी काव्यानुवाद है जो ज्योतिर्मठ के 55वें वर्तमान जगद्गुरु शङ्कराचार्य महाराज के श्रीचरणों में समर्पित हो रहा है।इसकी रचना साध्वी पूर्णाम्बा ने की और केरल के सुशील जी ने इसे स्वर दिया है और इसका प्रकाशन ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम हिमालय की ओर से हुआ है जिसको रिकार्डिंग कर प्रस्तुति विश्वनाथ जी ने किया है।

समस्त कार्यक्रम के दौरान सर्वश्री- गौसांसद साध्वी पूर्णाम्बा दीदी, शारदाम्बा दीदी, ब्रम्ह्चारी मुकुंदानंद, ब्रम्ह्चारी परमात्मानंद, संजय पाण्डेय मीडिया प्रभारी, राजेन्द्र तिवारी विश्वनाथ मंदिर महंत,राजनाथ तिवारी विशालाक्षी मन्दिर महन्त,डॉ.परमेश्वर दत्त शुक्ल,सत्तन पाण्डेय,अनिल पाण्डेय,रवि त्रिवेदी,कीर्ति हजारी शुक्ला, यतीन्द्र चतुर्वेदी, राकेश पाण्डेय, सदानंद तिवारी, अभय शंकर तिवारी, अनुराग दुबे, अजित मिश्रा,आशीष गुप्ता, अमित तिवारी, सावित्री पाण्डेय, लता पाण्डेय,विजया तिवारी सहित भारी संख्या में सन्त व भक्त उपस्थित थे।


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