श्री काशी विश्वनाथ धाम में अन्नकूट पर्व के अवसर पर भव्य आयोजन किया गया। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है और इसे विशेष रूप से भगवान कृष्ण द्वारा की गई गोवर्धन पूजा की स्मृति के रूप में मनाया जाता है। अन्नकूट का अर्थ प्रचुर खाद्यान्न है। यह पर्व श्रद्धालुओं द्वारा समृद्धि एवं अन्न सुरक्षा हेतु सात्विक भक्ति और समर्पण द्वारा की जाने वाली प्रार्थना का प्रतीक है।
इस वर्ष अन्नकूट पर्व के अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ महादेव का 14 क्विंटल मिष्ठान से श्रृंगार किया गया है। इस श्रृंगार में विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ शामिल हैं।
अन्नकूट पर्व उत्सव पर भगवान शंकर, गौरी माता, गणेश जी की पंचबदन रजत चल प्रतिमा की भव्य आरती मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण द्वारा श्री विश्वेश्वर प्रांगण स्थित भगवान सत्यनारायण विग्रह के बगल विद्वान आचार्यगण एवं शास्त्रीगण के पौरोहित्य में संपन्न की गई। तत्पश्चात भव्य डमरू वादन के साथ पीएसी बैंड बाजे की तुमुल ध्वनि नाद के मध्य पंचबदन चल प्रतिमा की शोभायात्रा भगवान सत्यनारायण मंदिर से गर्भगृह तक संपन्न कर भगवान विश्वनाथ की मध्याह्न भोग आरती विधि विधान पूर्वक संपन्न की गई।
मध्यान्ह भोग आरती में विशिष्ट भोग श्री विश्वेश्वर महादेव को अर्पित किया गया।
भोग लगने के उपरांत प्रसाद श्रद्धालुओं के मध्य वितरित किया गया। श्री काशी विश्वनाथ धाम में भोग आरती के पश्चात प्रसाद वितरण अन्नकूट पर्व का एक महत्वपूर्ण अंग है।
अन्नकूट पर्व केवल एक पारंपरिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सनातन एकता, सनातन बंधुत्व भाव और दान के महत्व को भी रेखांकित करता है। इस दिन, भक्तगण एकत्र होकर न केवल श्री काशी विश्वनाथ जी की आराधना करते हैं, बल्कि एक-दूसरे के साथ मिलकर पर्वोल्लास का आदान-प्रदान भी करते हैं। यह पर्व सनातन धर्मियों में परस्पर एकजुटता और स्नेह द्वारा सनातन समाज में समृद्धि बढ़ाने का भी संदेश देता है।
यह पर्व हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति और प्रेम के साथ सभी सनातनधर्मी एक वृहद सनातन परिवार के सदस्य हैं।