वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर न्यास ने शारदीय नवरात्रि के महापर्व के तहत अष्टमी तिथि के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मन्दिर चौक में दुर्गा सप्तशती का पाठ नव कन्याओं द्वारा किया गया, जिसने समस्त धाम को भक्ति और श्रद्धा के रंग में रंग दिया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं और दर्शनार्थियों ने शक्ति आराधना के इस महापर्व में भाग लेते हुए मातृ शक्ति की आराधना की। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कला विभाग (संस्कृत विभाग) से आई शक्ति स्वरूपा बालिकाओं ने सस्वर दुर्गासप्तशती का पाठ किया, जिससे ज्योतिर्लिंग परिसर में अद्भुत शक्ति तरंगें फैल गईं और वातावरण को दिव्य बना दिया।
आज के इस विशेष कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में शहर दक्षिणी के विधायक, नीलकंठ तिवारी उपस्थित रहे जिनके द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। कार्यक्रम के अनुसार मुख्य अतिथि द्वारा मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण, डिप्टी कलेक्टर शम्भू शरण, और न्यास सदस्य प्रो. ब्रजभूषण ओझा, न्यास सदस्य पं. दीपक मालवीय के साथ नव दुर्गा स्वरूपिणी कन्याओं का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया गया।
सप्तशती पाठ में सभी श्रद्धालुओं ने श्रद्धा और भक्ति पूर्वक प्रतिभाग किया। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक प्रेरणादायक अवसर बना, अपितु मातृ शक्ति की महत्ता का यशोगन भी रहा।
इसी के साथ ही श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने काशी में स्थित शक्तिपीठ माता विशालाक्षी एवम् नवरात्रि के आठवें दिन की अधिष्ठात्री देवी माँ महागौरी देवी के सिद्धपीठ को श्रृंगार सामग्री भगवान विश्वेश्वर को अवलोकित करा कर सोलह श्रृंगार एवम वस्त्र भेंट स्वरूप भेजे गए।
सनातन परंपरा हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग है। इस दिशा में, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास सभी सनातन मतावलंबियों से अनुरोध करता है कि वे अपने विचार और सुझाव साझा करें, ताकि हम पर्व आयोजन और अन्य धार्मिक गतिविधियों को और अधिक उपयोगी और सार्थक बना सकें।
कार्यक्रम की मुख्यता में शक्ति स्वरूपा बालिकाओं द्वारा सस्वर दुर्गासप्तशती का पाठ, भक्तों की भागीदारी और श्रद्धा का अद्भुत दृश्य, व दुर्गा स्वरूपिणी कन्याओं का परिचय, सुश्री सिद्धिदात्री भारद्वाज (संयोजिका), सुश्री नेहा, सुश्री कल्याणी, सुश्री रिचा, सुश्री दिव्यांगिका, सुश्री दिव्यकिरण, सुश्री अंगीरा, सुश्री सुमेधा, सुश्री गरिमा, सुश्री कल्याणी।