बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) के राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित राजभाषा पखवाड़ा का समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह प्राविधिक प्रशिक्षण केंद्र में महाप्रबंधक सुशील कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में उत्साहपूर्वक संपन्न हुआ। इस अवसर पर महाप्रबंधक ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में राजभाषा हिंदी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, "मौलिक चिंतन का माध्यम अपनी भाषा ही हो सकता है। आधुनिक तकनीक और प्रौद्योगिकी के इस युग में भाषा का समुचित अनुप्रयोग समाज को एकजुट बनाए रखने का सशक्त माध्यम है।"
समारोह के दौरान, राजभाषा के प्रयोग-प्रसार में उत्कृष्ट योगदान देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा, राजभाषा प्रश्नोत्तरी, निबंध लेखन, टिप्पण एवं प्रारूप आलेखन, वाक प्रतियोगिता और पुस्तक चर्चा जैसी विभिन्न प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को भी पुरस्कृत किया गया। इसके अतिरिक्त, हिंदी कार्यशाला, चिकित्सा विषयक तकनीकी गोष्ठी और भारतेंदु स्मृति दिवस कार्यक्रम भी पखवाड़े के अंतर्गत आयोजित किए गए थे।
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य राजभाषा अधिकारी प्रवीण कुमार के स्वागत भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने पखवाड़े के दौरान आयोजित सभी गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि राजभाषा पखवाड़ा ने कर्मचारियों के बीच हिंदी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ उनके भाषा कौशल को भी निखारा है।
समारोह में मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी 'सभ्यता का रहस्य' की नाट्य प्रस्तुति भी आयोजित की गई, जिसका निर्देशन नीरज उपाध्याय ने किया।
समारोह में मुख्य अतिथियों में सुब्रत नाथ, प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर; विनोद कुमार शुक्ला, प्रमुख मुख्य इंजीनियर; जनार्दन सिंह, प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी; अंकुर चंद्रा, मुख्य सतर्कता अधिकारी; डॉ. एस.के. शर्मा, अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी और अनुज कटियार, उप महाप्रबंधक उपस्थित रहे। इनके साथ बड़ी संख्या में अधिकारी एवं कर्मचारी भी इस आयोजन में उपस्थित रहे और उन्होंने राजभाषा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रकट की। समारोह का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन विनोद कुमार श्रीवास्तव, वरिष्ठ अनुवादक द्वारा किया गया। इस अवसर पर राजभाषा विभाग के कर्मचारियों की कड़ी मेहनत की सराहना की गई और सभी ने कार्यालयी कार्यों में हिंदी के अधिकतम प्रयोग का संकल्प लिया।
राजभाषा पखवाड़ा ने बरेका में हिंदी भाषा के प्रति प्रेम और जागरूकता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है, और इससे आने वाले समय में हिंदी के प्रयोग में और अधिक प्रभावशीलता देखी जाएगी।