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बनारस के कबीरचौरा के "पं० रामसहाय तबला गुरुकुल" में तबले की गुरू-शिष्य परंपरा होगी पुनर्जीवित



 04/Sep/24

प.संजू सहाय जी बनारस घराने की महानतम तबला-परम्परा के वर्तमान ध्वज वाहक एवं खलीफा हैं तथा बनारस घराने के आद्य प्रवर्तक पं.राम सहाय जी के वंशज हैं। पं.जी मूर्धन्य तबला वादक है तथा विच-पटल पर बनारस घराने के तबले की चरमोत्कर्ष पर पहुंचाया । आज पत्रकार वार्ता में पं.जी ने "पं.राम सहाय तबला गुरुकुल" के विषय में विस्तृत जानकारी दी। है लगभग ढाई सौ साल से अनवरत चली आ रही बनारस घराने की तबला परम्परा की लो वर्तमान में जगाये रखने वाले पं० संजू सहाय जी ने बताया कि कबीरचौरा स्थित "पं० राम सहाय भवन" में गुरु-शिष्य परम्परा को पुनर्जीवित करने के लिए पं.जी ने "पं.राम सहाय जी तबला गुरुकुल" की स्थापना करने का निर्णय लिया है। उनके अनुसार बनारस का कबीरचौरा संगीत की त्रिविधाओं का गोमुख है तथा वर्तमान में आधुनिक परिवेश की चुनौतियों को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि प्राचीन गुरुकुल परम्परा को संगठित रूप से अस्तित्व में लाया जाए। पं.जी का कहना है कि काशी और इस परिक्षेत्र की मिट्टी में संगीत बसा हुआ है, जो प्रतिभा और लगन यहां पर है, वह अनुपम है। इस गुरुकुल में शिष्यों के सर्वांगीण विकास के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा जैसे कि मासिक सांगीतिक गोष्ठियों का आयोजन, विद्वान कला साधकों द्वारा कला दीक्षा, कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा, उच्च स्तरीय संगीत प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा जिसमें सफल प्रतिभागियों को "पं.राम सहाय जी तबला छात्रवृत्ति" भी प्रदान की जायेगी। राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों की प्रस्तुति गुरुकुल के वार्षिक समारोहों में कराई जायेगी। उन्होंने यह भी बताया कि पहले के समय में गुरु-शिष्य संबंधों की जो प्रगाढ़ता होती थी वह इस गुरुकुल के संचालन के बाद बेहतर ढंग से पुष्पित एवं पल्लवित हो सकेगी । इस गुरुकुल में आने वाले शिष्य 'पं.राम सहाय जी भवन' में स्थापित तबला महर्षियों की तिमाओं का दर्शन कर नमन करेंगे और उन्हें साक्षी मान कर उनका आशीर्वाद लेकर इस विद्या को सीखने का प्रयास करेंगे तो उनके अंदर उसी लगाव, निष्ठा, प्रेम, सम्मान और अपनत्व का संचार होगा जो हमारी पीढ़ी में हुआ करता था। उन्होंने बताया कि वे इस गुरुकुल को अपना सर्वाधिक समय देंगे तथा गुरु-शिष्य परम्परा के तहत तबले की दीक्षा देने का कार्य करेंगे। पं.जी ने बताया कि इस गुरुकुल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वृहद् साधना कक्षों का निर्माण होगा जिसमें संगीत के साधक अपनी इच्छानुसार साधना कर सकेंगे, क्योंकि संगीत की साधना समय की बंदिशों से परे है। यह गुरुकुल संगीत से सम्बंधित अत्याधुनिक उपकरणों व संसाधनों से सुसज्जित होगा ताकि कला साधकों को इधर-उधर न भटकना पड़े साथ ही गुरुकुल के विकास के लिए सरकार से हर संभव मदद मांगने का प्रयास किया जाएगा ताकि सरकारी योजनाओं-परियोजनाओं का लाभ संगीत साधक प्राप्त कर सकें। हिन्दुस्तानी संगीत के चाहने वाले और साधक सम्पूर्ण विश्व में हैं। इस गुरुकुल में एक ऐसा आवासीय प्रबंध भी किया जाएगा जिससे वे यहीं रह कर अपनी साधना कर सकेंगे तथा काशी से जुड़ सकेंगे।

 


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