अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद का दो दिवसीय राष्ट्रीय एवं प्रान्तीय कार्यकर्ता प्रतिनिधि सम्मेलन समारोह दिनांक 13 व 14 अगस्त 2024 दिन मंगलवार व बुधवार, स्थान गणेश मण्डपम्/कान्यकुब्ज धर्मशाला, नाटी इमली, बनारस में किया गया। इस सम्मेलन में राजनैतिक सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र से सम्बंधित प्रस्ताव पारित किए जायेंगे। राष्ट्रीय अर्थ व्यवस्था में घरेलू व्यापार का 70 प्रतिशत योगदान है। खुदरा व्यापार भारत का सबसे बड़ा निजी उद्योग है। देश के समस्त घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में लगभग 60 प्रतिशत का योगदान है। देश का रिटेल व्यापार लगभग 12 लाख करोड़ रूपया है। रिटेल की लगभग 5.10 करोड़ से भी अधिक छोटी-बड़ी दुकानें हैं। देश में ब्राण्डेड रिटेल मार्केट 6.5 अरब डॉलर का है। इस ब्यापार में करोड़ों लोग कामगार के रूप में कार्यरत हैं। असंगठित क्षेत्र का 60 प्रतिशत रिटेल बाजार रिटेलरों के पास है।
खुदरा व्यापार में वॉलमार्ट जैसी बड़ी विदेशी कंपनियों के आने से रिटेल के व्यपार करने वाले व्यापारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। भारत दुनियां का सबसे आकर्षक रिटेल बाजार है, तथा तेजी से बढ़ती हुई ई-कॉमर्स क्षेत्र में निवेश के मौके का लाभ उठाते हुए ऑनलाइन बाजार में विदेशी कम्पनीयों द्वारा अपना प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास है। खुदरा बाजार पर नियंत्रण स्थापित करने की योजना है। जिससे छोटे, मध्यम व मझोले स्तर का रिटेल व्यापार प्रभावित हो रहा है। बड़ी विदेशी कम्पनीयों पहले छूट देती है, फिर उनका बाजार पर एक छत्र कब्जा हो जाता है। खुदरा व्यापार का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा ऑनलाइन बड़ी विदेशी कंपनियों विक्री कर रही है।
राजनैतिक प्रस्तावः-
समाज सेवा में अग्रणी भूमिका का निर्वाह करने वाले तथा सरकार के खजाने में राजस्व देने वाले व्यापारी बंधुओ को सरकारी निगमों में व अन्य महत्तपूर्ण सरकारी संस्थानों मनोनीत किये जाए तथा विधान परिषद/राज्य सभा में कर दाताओं को 10 प्रतिशत सीट आरक्षित की जाए। आर्थिक अपराध के मामले में हिरासत में लिए गए कर दाताओं को हथकड़ी नहीं लगानी चाहिए तथा कारागार में उन्हें हत्या एवं दुष्कर्म जैसे घृणित मामलों के अपराधियों के साथ नहीं रखा जाना चाहिए। उसके साथ यह भी माँग है कि धारा 43 (3) से आर्थिक अपराधी शब्द को संशोधित किया जाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश सरकार से आरक्षण के संदर्भ में मांग पत्र में मुख्यमंत्री योगी से विनम्रता के साथ निवेदन किया गया है कि वैश्य उपवर्गों को पिछडे वर्ग में सम्मिलित करने के संबंध में संस्तुतियों के साथ पत्रावलियों उत्तर प्रदेश शासन के पास काफी समय से लम्बित पड़ी हैं। वैश्य समाज की निम्नलिखित जातियों अग्रहरी, दोसर वैश्य, जैसवार, वरनवाल (वर्णवाल), कमलापुरी वैश्य, अयोध्यावासी वैश्य, केसरवानी वैश्य, ओमर बनियाँ, माहौर वैश्य को ओबीसी में सम्मिलित करके पिछड़े वर्ग में शामिल करके नवीन राजाज्ञा जारी की जाये।
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने 15 और जातियों के सर्वेक्षण की अनुमति प्रदान की है। इसमें वैश्य समाज की प्रमुख जातियाँ निम्नलिखित हैं विश्नोई, पोरवाल/पुरवार, सनमानीय वैश्य, गुलहरे वैश्य व हरिद्वारी वैश्य आदि। अतः आपसे अनुरोध है कि सामाजिक शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए वैश्य समाज की उल्लेखित जातियों को पिछड़े वर्ग में सम्मिलित करने की कृपा करें। तथा शेष समाज की जातियों का शीघ्र सर्वे कराकर पिछड़े वर्ग में जोड़ने के आदेश निर्गत करने की कृपा करें।
कलाल, कलवार, कलार, वैश्य साज के उपवर्ग हैं। ज्ञातव्य हो कि कलाल, कलवार, कलार जाति की अनुसूची-एक के भाग-ग (सर्वाधिक पिछड़े वर्ग) के क्रमांक ६४ पर अंकित है, आरक्षण का लाभ प्रदान किया गया है। लेकिन इटावा, मैनपुरी, औरैया, एटा, कासगंज, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर देहात आदि जनपदों में पिछड़े वर्गों के सर्टिफिकेट नहीं बना रहे है, कृपया बनाने हेतु आदेश निर्गत करें ।
इस सम्मेलन में विवाह योग्य युवक युवतियों के परिजनों से आग्रह किया जाएगा कि वो अपने वैवाहिक सम्बंध वैश्य समाज के एक उपवर्ग से दूसरे उपवर्ग में करने को प्रोत्साहित करें इसी से वैश्य एकता का भाव मजबूत होगा। वैवाहिक कार्यक्रमों में व्यंजन की संख्या सीमित रखी जानी चाहिए। धन और अन्न का अपव्यय न करें। अतिथियों को आमंत्रण/निमंत्रण वाट्सऐप मैसेज/ईमेल आदि के माध्यम से दिया जाए हम सभी इसी को मान्यता प्रदान करें।
विवाह पूर्व प्रीवैडिंग मैरिज फोटोसूट का प्रयोग किसी भी दृष्टि से उचित नहीं इसे रोका जाना चाहिए। लिव इन रिलेशनसिप पर पूर्णतः प्रतिबंधित किया जाए इससे परिवार के टूटने की घटनाओं में वृद्धि हो रही है।
लव मैरिज में दानों पक्षों के अभिभावकों की सहमति के साथ कोर्ट में हस्ताक्षर अनिवार्य किया जाना है। वैवाहिक कार्यक्रमों में विशेषकर सड़क पर बैंड की ध्वनि पर महिलायें नृत्य करती है उसको रोका जाना चाहिए तथा युवा वर्ग शराब का सेवन करके नृत्य करते है व धन को लुटाते है उसको कड़ाई से रोकने की आवश्यकता है।
वैवाहिक कार्यक्रम रात्रि के स्थान पर दिन में किए जाने चाहिए तथा सप्तपदी (भांवर) जो वैवाहिक कार्यक्रम का मूल भाव है तथा धार्मिक दृष्टि से इसका सर्वाधिक महत्व है इसका प्रोत्साहित करने की आवश्कता है।
केन्द्र सरकार से व्यापार व उद्योग से संबंधित मांग पत्र में जीएसटी प्रणाली में पेनाल्टी के साथ-साथ सजा का भी प्रावधान किया गया है, जो किसी भी दृष्टि से न्याय संगत नहीं है, मांग है कि सजा के प्रावधान को समाप्त किया जाये। छोटे, मध्यम व मझोले व्यापारियों को सर्वे, छापे से मुक्त रखा जाये व जीएसटी को ईडी से न जोड़ा जाए। जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों को दस लाख रूपये का बीमा सरकार द्वारा सुनिश्चित किया गया है। मुख्यमंत्री व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना जो वाणिज्यकर विभाग उत्तर प्रदेश में लागू है। दुर्घटना में मृत्यु अथवा हत्या पूर्ण विकलांगता व आशिक विकलांगता को अंकित किया गया है। अतः आपसे अनुरोध है कि इस बीमा योजना में गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, हार्टअटैक, लिवर आदि को भी जोड़ा जाना चाहिए। गंभीर बीमारियों के इलाज का खर्चा सरकार द्वारा वहन किया जाना चाहिए।
जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों के मृतक के आश्रितों को बीस लाख रूपये की आर्थिक सहायता तथा जो ब्यापारिक प्रतिष्ठान जीएसटी में पंजीकृत नहीं है, लेकिन उनके पास विद्युत का कॉमर्शियल कनेक्शन तथा श्रम विभाग में पंजीकृत है उनको वत्स लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी जाये।
व्यापारी वृद्धावस्या पेंशन' व्यापारियों को 65 वर्ष की आयु में दी जाये।
फूड एण्ड सेफ्टी स्टैण्डर्ड एक्ट रूल एण्ड रेगुलेशन के अंतर्गत उत्पाद बेचने वाले रिटेलर व निर्माता सभी को पार्टी बनाकर खाय विभाग के अधिकारी केस दर्ज करते हैं, मांग है कि निर्माता को ही जिम्मेवार मानकर उस पर ही केस चलाया जाना चाहिए।
विद्युत विभाग की लापरवाही से व्यापारिक प्रतिष्ठानो गोजाम में ट्रांस्फॉर्मर बिजली के जर्जर तारों से आगजनी की भीषण घटनायें जिनकी स्थानों पर होती है। मांग है कि क्षतिपूर्ति/आर्थिक मुआवजा पीड़ित दुकानदारों को देने का प्रावधान किया जाये।
जनपद की सीमा के अंतर्गत आने वाले पौराणिक व विकासिक मन्दिरोरी/आश्रमों को निकाय के टैक्स व विद्युत शुल्क से मुक्त किया जाना चाहिए।