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लोकबन्धु राजनारायण विधि महाविद्यालय में ’’ नई अपराधिक विधियां मुद्दे एवं रूझान’’ विषयक समसामायिक पर हुई परिचर्चा



 20/Jul/24

लोकबन्धु राजनारायण विधि महाविद्यालय में आयोजित ’’ नई अपराधिक विधियां मुद्दे एवं रूझान’’ विषयक समसामायिक परिचर्चा का शुभारंभ डॉ.  अजय कुमार, डॉ. केशरी नन्दन शर्मा (लॉ स्कूल, बी0एच0यू0) एवं अपूर्वा भार्गव, निदेशक, (ईडेन आई0ए0एस0, दिल्ली/प्रयागराज) संयुक्त रूप से मॉ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया। इस अवसर पर डॉ. अजय कुमार सिंह ने नई आपराधिक विधियों एवं पुरानी आपराधिक विधियों में समन्वय स्थापित करते हुए दोनों का बहुत ही सटीक ढंग से तु.नात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में प्रयुक्त भारतीय शब्द पर हुए विवाद के सन्दर्भ में उन्होने बताया कि भारत शब्द का भारतीय संविधान के अनु. 1 में वर्णित है यथा “India that is Bharat” प्रथम सूचना रिपोर्ट के संदर्भ में उन्होंने कहा कि पहले ZERO FIR उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर था पर अब नई विधि में उसकी व्यवस्था करते हुए स्पष्ट कर दिया गया की प्रथम सूचना रिपोर्ट कहीं भी दर्ज कराई जा सकती है। जमानत संबंधी प्रावधानों के संदर्भ में उन्होंने कहा की जमानत दारों को इस बात का शपथ पत्र देना होगा कि किस-किस तरह के आपराधिक मामलों में पूर्व में जमानत दिया है। इस अवसर पर बोलते हुए डॉ.  केशरी नंदन शर्मा ने कहा कि परिवाद की पुरानी व्यवस्था जो धारा 156 (3) में थी उसे अब नई संहिता में 175 (3) में कर दिया गया है तथा उसके प्रावधानों में संशोधन करते हुए यह व्यवस्था की गई है कि अब 175 (3) दाखिल करते समय एक शपथ पत्र इस आशय का देना होगा कि वह संबंधित अधिकारियों के पास गया लेकिन मेरी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की गयी। दण्ड संबंधी प्रावधानों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि अपराधियों को अब नए कानून के तहत सामुदायिक सेवा का भी दण्ड दिया जा सकता है। इस अवसर पर अपने व्याख्यान में अपूर्वा भार्गव ने कहा कि 100 अपराधी भले ही छूट जाए लेकिन एक निर्दोष को सजा न हो। तथा उन्होंने यह भी बताया कि अपराधियों सामुदायिक सेवा का दण्ड देकर देश की G.D.P को भी बढ़ाया जा सकता है। क्रार्यक्रम के अन्त में अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के संस्थापक निदेशक डॉ अभिषेक सिंह सबको धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि वर्तमान में अध्यनरत छात्र/छात्राओं को नई एवं पुरानी दोनों आपराधिक विधियों का अध्ययन करना जरूरी होगा क्योंकि जो पुराने मुकदमें लम्बित हैं उन्हें पुरानी विधियों से एवं नवीन मामले जो आयेगे उनको नई विधियों के माध्यम से निस्तारित किया जाएगा। उन्होंने नई आपराधिक विधियों के संदर्भ में ई-टेक्नोलॉजी का उल्लेख करते हुए स्मार्टफोन एवं विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग को बताया तथा इस संदर्भ में पांच प्रकार के ऐप का उल्लेख किया।


समन की तामिली के संदर्भ में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के उपयोग से बहुत ही त्वरित गति से समन संबंधित को प्राप्त हो जायेगा। नये आपराधिक कानूनो में पुलिस प्रशासन की शक्ति का दायरा बढ़ा दिया गया जिससे आपराधिक न्याय प्रशासन को बल मिलेगा। निष्कर्ष के रूप में उन्होंने कहा कि यदि विधि को लागू करने वाला व्यक्ति ईमानदार नहीं होगा तो विधि निष्फल हो जाएगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अभिषेक सिंह एवं संचालन करुणामय ने किया इस अवसर पर प्रवक्ता डॉ.  नीरज पाठक, आलोक कुमार राय, डॉ.  सरोज वर्मा, डॉ.  विजय कुमार, डॉ.  अरविन्द कुमार, श्रीमती रेनू तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारी योगेश कुमार सिंह, नरेंद्र देव सिंह, सुनीता, शिव प्रकाश पाण्डेय एवं छात्र/छात्राए उपस्थित रहे।


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