वाराणसी। फास्ट ट्रैक कोर्ट (द्वितीय) सुनील कुमार की अदालत ने नगर निगम आदमपुर जोन के जोन अधिकारी, टीएस बाबू, क्षेत्रीय इंस्पेक्टर, चपरासी, सीसी बाबू व अजीजुर्रहमान अमिन खान और आसिफ खान पर लगाए आरोपों को खारिज करते हुए विद्वान विचारण न्यायालय की पत्रावली अविलम्ब वापिस भेजी जावे और दाण्डिक निगरानी की पत्रावली नियमानुसार दाखिल अभिलेखागार होने का आदेश दिया है। अदालत में नगर निगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव वर्मा ने पक्ष रखा।
प्रकरण के अनुसार भदैनी, भेलूपुर निवासिनी निगरानीकर्ती शाहिदा परवीन ने विद्वान विचारण न्यायालय में 24 फरवरी 2020 को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के प्रस्तुत की थी। आरोप है कि उसने मकान नं ए 13/188 का बैनामा 6 जनवरी 2004 को कराया था। उसका नाम राजस्व अभिलेखों में नगर निगम में दर्ज है। अजीजुर्रहमान, अमीन खान, आसिफ खान ने एक राय होकर साजिशन अपराध करके मेरे मकान को अजीजुर्रहमान ने 20 फरवरी 2016 को भेज दिया। जब निगरानीकर्ती ने पंजीयन कार्यालय में मुआयना कराया तो इसकी जानकारी हुई। नगर निगम वाराणसी में कार्यरत कर्मचारियों ने यह जानते हुए कि उसका नाम मालिकाना रजिस्टर में दर्ज है और अजीजुर्रहमान का नाम मालिकाना रजिस्टर में दर्ज नहीं है। तब भी क्रेतागण का नाम उसमें दर्ज कर लिया।। इस प्रकार नगर निगम के कर्मचारियों के मिली भगत करके यह कारनामा किया गया। 21 फरवरी 2020 को अजीजुर्रहमान, आसिफ खान, अमिन खान मां बहन की गंदी-गंदी गालियां देते हुए घर पर आए अजीजुर्रहमान ने धमकी दी की कचहरी का मुकदमा हटा लो मैने उक्त संपत्ति को भेज दिया तुमसे जो उखड़ते बने उखाड़ लो। इस घटना को नौशाद खान व पप्पू खान ने देखा वहबीच बचाव किया। उपरोक्त लोग जान से मारने की धमकी देते हुए चले गए।