बारहवें ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ अर्थात ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ की तपपूर्ति (12 वर्ष) हो चुकी है। इन अधिवेशनों के माध्यम से निर्मित धर्मनिष्ठ एवं देशभक्तों के संगठन के कारण आज धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र निर्मिति की संकल्पशक्ति के स्पंदन वैश्विक स्तर पर भी प्रतीत हो रहे हैं। वास्तविक रूप से अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर प्रभु श्रीराम की मूर्ति की स्थापना होकर सूक्ष्म रूप से रामराज्य अर्थात हिन्दू राष्ट्र प्रारंभ हो ही चुका है। उसे पूर्ण रूप से साकार करने के लिए कृति की दिशा इस वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में निश्चित की गई। सनातन हिन्दू धर्म भारत की आत्मा है। भारत देश को जीवित रखना हो, तो यह आत्मा सुरक्षित रहना आवश्यक है; परंतु देशविरोधी शक्तियों द्वारा उसी पर आघात करने का प्रयत्न किया जा रहा है। कोई सनातन धर्म का उच्चाटन करने की डींग मार रहा है, तो कोई भारत के (इंडिया के) टुकडे करने के नारे लगा रहा है, कोई इस देश के मूल स्वभाववाले हिन्दू धर्मियों को हिंसक कह रहा है। यह केवल बातें नहीं हैं, अपितु भारत की स्वतंत्रता शताब्दी महोत्सव तक अर्थात वर्ष 2047 तक भारत को इस्लामिस्तान बनाने के षड्यंत्र का टूलकिट है। उसका सामना करना हो, तो आगामी काल में हिन्दू राष्ट्र की मांग को एक व्यापक जनआंदोलन बनाना आवश्यक है। उसके लिए हिन्दू जागृति एवं संगठन करने के साथ ही हिन्दू राष्ट्र के लिए शारीरिक, वैचारिक एवं आध्यात्मिक बल बढाने का निश्चय ‘द्वादश अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’अर्थात ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ में किया गया। फोंडा (गोवा) स्थित श्रीरामनाथ देवस्थान में 24 से 30 जून की अवधि में संपन्न इस महोत्सव में अमेरिका, सिंगापुर, इंडोनेशिया, घाना (दक्षिण अफ्रिका), नेपाल आदि देशों सहित भारत के 26 राज्यों के विविध संगठनों के 1000 से अधिक प्रतिनिधि सम्मिलित हुए थे। महोत्सव में पहले 3 दिन ‘हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ संपन्न हुआ, 27 जून को ‘हिन्दू विचारमंथन महोत्सव’, 28 जून को ‘मंदिर संस्कृति परिषद’ तथा अंतिम 2 दिन ‘अधिवक्ता संमेलन’ संपन्न हुआ।
वर्तमान सेक्युलर व्यवस्था निर्दोष हिन्दुओं की होनेवाली हत्या रोकने, हिन्दू धर्म की रक्षा करने, हिन्दू धर्मियों को धर्मशिक्षित करने में असफल सिद्ध हुई है। इसीलिए जिस प्रकार देशविरोधी एवं हिन्दू विरोधी भारत की रीढ सनातन हिन्दू धर्म को लक्ष्य कर रहे हैं, उसी प्रकार हिन्दुओं को भी सर्व समस्याओं की जड संविधान में निहित सेक्युलर एवं सोशलिस्ट शब्द हटाने एवं भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की एकत्रित मांग करनी चाहिए।
अधिवेशन में निश्चित किए गए कुछ महत्त्वपूर्ण सूत्र में इस वर्ष लोकसभा चुनाव में पाकिस्तान के ‘आई.एस.आई.’ से संबंध रखनेवाला खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह एवं कश्मीर में आतंकवादियों को आर्थिक आपूर्ति करनेवाला ‘रशीद इंजिनियर’ जैसे देशविरोधी तथा अलगाववादी कारागृह से चुनाव लडकर चुनाव जीतकर आते हैं। ‘एम.आई.एम.’ के भाग्यनगर के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में ‘लोकसभा सदस्यता’ की शपथ ग्रहण करते समय ‘जय फिलिस्तीन’ का भी नारा लगाया। 18वीं लोकसभा के पहले अधिवेशन में भाषण देते समय विपक्षी नेता राहुल गांधी ने हिन्दुओं को हिंसक संबोधित किया। ये सर्व हिन्दू विरोधी एवं देशविरोधी वक्तव्य हिन्दुओं के भविष्य के अस्तित्त्व पर प्रश्न उत्पन्न करनेवाले हैं। इसीलिए हिन्दुओं की रक्षा के लिए तथा देश की अखंडता के लिए हिन्दुओं का संगठन करने का दृढसंकल्प इस अधिवेशन में किया गया।
कश्मीर, बंगाल आदि अनेक राज्यों के हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार आज देशभर में प्रारंभ हो गए हैं। इसलिए सरकार को हिन्दुओं के प्रश्नों की ओर ध्यान देने हेतु बाध्य करनेवाला ‘दबावगुट’ कार्यरत करने की आवश्यकता है। इस पृष्ठभूमि पर ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के लिए देश विदेश से आनेवाले तथा ‘हिन्दू राष्ट्र’ संकल्पना से जुडे सर्व हिन्दू संगठनों ने ‘हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति’ के माध्यम से वर्षभर कार्यरत रहने का निर्णय इस अधिवेशन में लिया। इससे हिन्दू ‘इको-सिस्टम’ निर्माण करने का प्रयत्न किया जानेवाला है।
इस अधिवेशन में भारत एवं नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित करना; संविधान में जोडे गए सेक्युलर एवं सोशलिस्ट शब्द हटाना, काशी-मथुरा आदि हिन्दुओं के मंदिर अतिक्रमणमुक्त कर हिन्दुओं को देना; धर्मांतरण एवं गोवंश हत्या विरोधी कठोर कानून बनाना; हलाल सर्टिफिकेशन पर प्रतिबंध लगाना; हिन्दुओं के मंदिरों का सरकारीकरण निरस्त करना; ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप’ तथा ‘वक्फ’ कानून निरस्त करना, जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाना; कश्मीरी हिन्दुओं का पुनर्वसन; श्रीराम सेना के प्रमोद मुतालिक के गोवा प्रवेश पर प्रतिबंध हटाना; रोहिंग्या एवं बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालना; ओटीटी प्लेटफॉर्म को कानून की कक्षा में लाना; ऑनलाइन रमी जैसे द्यूतों पर प्रतिबंध लगाना आदि विषयों पर प्रस्ताव ‘हर हर महादेव’ के जयघोष में एकमत से पारित किए गए। इस अधिवेशन में हिन्दू राष्ट्र के अभियान को व्यापक रूप देने के लिए कृति ढांचा निश्चित किया गया।
स्वातंत्र्यवीर सारवरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर ने कहा कि लोकसभा के चुनाव में विद्यमान सरकार को अपेक्षित स्थान न मिलने के कारण हिन्दुत्वनिष्ठों में एक प्रकार की निराशा थी; परंतु इस वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के कारण हिन्दुत्वनिष्ठों में एक नई ऊर्जा प्रविष्ट होने का कार्य हुआ है।
गत दो वर्षा में इस अधिवेशन द्वारा ‘मंदिर संस्कृति रक्षा अभियान’ कार्यान्वित किया गया । उससे 710 मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू की गई है तथा 400 से अधिक मंदिरों में भी वस्त्रसंहिता लागू करने के लिए प्रयत्न किए जानेवाले हैं। मंदिर महासंघ द्वारा देशभर में 14 हजार मंदिरों का संगठन हुआ है। इसके द्वारा मंदिरों की सुरक्षा, संवर्धन करने के साथ ही मंदिरों की समस्याएं सुलझाने के लिए प्रयत्न किए जानेवाले हैं। ‘सेक्युलर’ सरकार ने देशभर में हिन्दुओं के साढे चार लाख से अधिक मंदिरों का सरकारीकरण किया है। ये मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिए देशव्यापी अभियान क्रियान्वित किया जानेवाला है।
लोकसभा चुनाव के पश्चात देशविरोधी शक्तियां आक्रामक हुई हैं। कश्मीर की आतंकवादी कार्यवाहियां अब जम्मू में जानबूझकर की जा रही हैं। पंजाब, पश्चिम बंगाल, मणिपुर ही नहीं, अपितु देशभर में अनेक स्थानों पर हिन्दुओं पर आक्रमण बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए आनेवाला समय कठिन है। त्रिकालदर्शी संतों ने कहा है कि ईश्वरीय साधना से यह वातावरण परिवर्तित किया जा सकता है। जिस प्रकार अर्जुन के पास बडी सेना नहीं थी; परंतु साक्षात भगवान श्रीकृष्ण थे, उस प्रकार हमारे पास धर्मबल, ईश्वरीय बल आवश्यक है। हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रत्येक हिन्दू ने साधना करना आवश्यक है। अब रामराज्यरूपी धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र प्रत्यक्ष साकार होने के लिए स्वक्षमता के अनुसार तन-मन-धन एवं प्रसंगानुसार सर्वस्व का त्याग करने अर्थात सर्वाच्च योगदान देने की आवश्यकता है, यह संदेश इस अधिवेशन के माध्यम से हिन्दुओं को दिया गया है।