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कथा में सुनाए गए प्रभु के स्वरूप स्रोताओं के मन में भी हूबहू बन जाते हैं : गुप्तेश्वर जी महाराज



 04/Jul/24

वाराणसी। बड़ा लालपुर स्थित जीवनदीप शिक्षण समूह के नर्सिंग हॉल में बुधवार को आठ दिवसीय श्री राम कथा के चौथे दिन प्रभु श्री राम के जन्म का वर्णन किया। जगद्गुरु रामानुजाचार्य गोविंदाचार्य गुप्तेश्वर जी महाराज ने चौथे दिन श्री राम कथा का प्रारंभ करने से पूर्व व्यास पीठ का पूजन किया। उन्होंने कहा कि कथा में जो भगवान का स्वरूप सुनाया जाता है, वही छवि और स्वरूप स्रोताओं के मन में भी बन जाती है। काम और क्रोध दोनों पर विजय पाने की बात कर नारद मुनि ने घमंड पाल लिया। घमंड में चूर होकर प्रभु हरि के सामने खुद का बखान किया और बाद में एक युवती से विवाह की लालसा लेकर प्रभु के पास पहुंचे। उन्होंने प्रभु जैसा सुंदर दिखने का वरदान मांगा और जब खुद को तालाब के पानी मे देखा तो क्रोध से भर गए। उन्होंने अपना चहेरा बंदर का देख प्रभु को ही श्राप दे डाला। कहा- आप भी मनुष्य का जीवन धारण करोगे और स्त्री वियोग भिगोगे, हमारे जैसे बंदरों की सहायता से आपकी स्त्री आपको मिलेगी।  गीत के माध्यम से सुनाया- है ब्रह्म विद्या ये तुलसी की वाणी..... आओ सुनाए राम कहानी.....। जब जब होई धर्म के हानि.... तब तब प्रभु धरही शरीरा.....। जीवनदीप शिक्षण समूह के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार सिंह व डॉ. अंशु सिंह ने महाराज जी का तिलक और पुष्पों से स्वागत किया। साथ ही व्यास पीठ की आरती की। जिसके बाद कथा प्रारंभ हुई। इस दौरान डॉ. अजय ओझा, जीवनदीप महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. इंद्रेश चंद्र सिंह, संबद्धता निदेशक शैलेश त्रिवेदी, उप प्राचार्य डॉ. अमित सिंह, डॉ. नंदा द्विवेदी के अलावा सभी अध्यापक व कर्मचारी मौजूद रहे।


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