मंगलवार को हाथरस के सिकंदराराऊ में भोले बाबा के सत्संग कार्यक्रम में मची भगदड़ में सैकड़ों लोगों की जान चली गई। इस दर्दनाक हादसे का शिकार हुए लोगों की पीड़ा सुनकर ऐसा लगता है जैसे मौत का कोई तांडव मच गया हो। इस भयावह कांड के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तुरंत एक्शन लेते हुए तीन मंत्रियों की टीम और मुख्य सचिव व डीजीपी को तत्काल हाथरस के लिए रवाना किया था। यही नहीं, सीएम ने घटना की जांच के लिए एडिशनल डीजी आगरा और मंडलायुक्त अलीगढ़ को नियुक्त किया और 24 घंटे में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए। इसके अलावा सीएम ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपए की सहायता राशि देने का भी ऐलान किया। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को स्वयं हाथरस पहुंचे और यहां उन्होंने अधिकारियों से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली और फिर सीएम योगी सीधे हाथरस जिला अस्पताल पहुंच गए जहां उन्होंने हादसे में घायल हुए लोगों का हाल चाल जाना और डॉक्टरों को सभी घायलों के समुचित उपचार के निर्देश दिए। यही नहीं बरसते पानी के बीच सीएम घटनास्थल पर भी पहुंचे, जहां उन्हें अधिकारियों ने पूरा घटना का ब्यौरा दिया। यहां उन्होंने सर्किट हाउस में अधिकारियों के साथ पूरे घटनाक्रम की विस्तार से जानकारी हासिल की और महत्वपूर्ण दिशा निर्देश भी प्रदान किए। इसके बाद सीएम योगी हाथरस जिला अस्पताल पहुंचे। यहां उन्होंने घायलों और उनके परिजनों से बात की। वो हर एक बेड पर जाकर घायलों से मिले और पूरी घटना के बारे में जानकारी ली। उन्होंने घायलों से उनकी तबीयत के बारे में पूछा और इलाज के संबंध में भी चर्चा की। सीएम ने घायलों के परिजनों से भी विस्तार से बात की। इस दौरान उन्होंने डॉक्टरों से भी घायलों की स्थिति के विषय में जाना और समुचित उपचार के निर्देश प्रदान किए। इस दौरान सीएम योगी मृतकों के परिजनों से भी मिले और उनके साथ हुए हादसे के बारे में जानकारी ली और साथ ही अपनी ओर से सांत्वना और संवेदना भी प्रकट की।
इससे पूर्व सीएम योगी ने पुलिस लाइन में घटना के प्रत्यक्षदर्शियों से भी मुलाकात कर हादसे के विषय में जानकारी ली। घटना की प्रत्यक्षदर्शी और ड्यूटी पर तैनात महिला कांस्टेबल ने सीएम को पूरी घटना के बारे में बताया। उसने बताया कि भगदड़ मचने के बाद लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरते चले गए। खासतौर पर बड़ी संख्या में महिलाएं भगदड़ का शिकार बनीं। वो उठना चाह रही थीं लेकिन उठ नहीं सकीं क्योंकि एक के बाद एक महिलाएं उनके ऊपर गिरती चली गईं। सीएम योगी के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, सरकार में मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, असीम अरुण और संदीप सिंह के साथ ही स्थानीय विधायक, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री संजय प्रसाद भी मौजूद रहे। घायलों से मिलने के बाद सीएम योगी हाथरस के सिकंदराराऊ में उस स्थान पर भी पहुंचे, जहां मंगलवार को भगदड़ में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौत हुई थी। सीएम योगी के साथ तीनों मंत्री, मुख्य सचिव, डीजीपी व स्थानीय विधायक भी मौजूद थे। अलीगढ़ की मंडलायुक्त ने सीएम योगी को हादसे से जुड़ी एक-एक घटना के विषय में विस्तार से जानकारी दी। इस बीच, हाथरस हादसे पर एसडीएम सिकंदराराऊ ने हाथरस के डीएम को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सत्संग के दौरान पांडाल में 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ मौजूद थी। सत्संग खत्म होने के बाद नारायण साकार हरि (भोले बाबा) के दर्शन व चरण स्पर्श एवं आशीर्वाद स्वरूप उनकी चरण रज अपने माथे पर लगाने के लिए लोग आगे बढ़े। श्रद्धालु उनके वाहन की ओर दौड़ने लगे तो बाबा के साथ उनके निजी सुरक्षाकर्मी (ब्लैक कमांडो) एवं सेवादारों ने भीड़ के साथ धक्का-मुक्की शुरू कर दी। इससे कुछ लोग नीचे गिर गए। यहां से भीड़ कार्यक्रम स्थल के सामने खुले खेत की तरफ भागी जहां सड़क से खेत की ओर उतरने के दौरान ढालनुमा जगह होने के कारण लोग फिसलकर गिर पड़े। इसके बाद वो पुनः उठ नहीं सके और भीड़ उनके ऊपर से होकर इधर-उधर भागने लगी। इसमें कई महिलाएं व पुरुष और बच्चे हताहत व गंभीर रूप से घायल हो गए। तत्काल पुलिस सुरक्षाकर्मियों द्वारा हताहत लोगों को एंबुलेंस व अन्य उपस्थित साधनों से घटनास्थल के आसपास स्थित अस्पतालों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भिजवाया गया।
हादसे के बाद फुलरई, मुगलगढ़ी, बरई सहायपुर, बमनहार गड़िया, खेरिया, नगला भगे, उमरायपुर और सिकंदराराऊ के ग्रामीण, खासकर युवा हादसा होते ही देवदूत बनकर मौके पर पहुंच गए थे। इन गांवों के लोगों ने गड्ढे से सत्संगियों को निकालने, उन्हें निजी वाहनों, एंबुलेंस के जरिये अस्पतालों में भेजने में मदद की। इस दौरान उनकी चप्पलें कीचड़ में गायब हो गई। कपड़े और शरीर कीचड़ से सराबोर हो गया, लेकिन वह एक-एक घायल और मृतक के जाने के बाद ही वहां से हटे। फुलरई में जिस स्थान पर गड्ढे में सत्संगी गिर रहे थे, उससे सीधी दिशा में करीब चार-पांच सौ मीटर दूर बरई सहायपुर के खेतों और ईंट भट्ठे पर राजकुमार, श्याम कुमार, वृजेश, वीकेश आदि अपने खेतों की रखवाली कर रहे थे। सामने सड़क पर भगदड़, शोर सुनकर वह भागते हुए मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि तीन-चार लोग मिलकर महिलाओं को गड्ढे से निकालते। बगल में खाली पड़े खेत और चरी के खेत में उन्हें लिटाते जाते। इनमें से कुछ की सांसें चल रही थीं। इस पर सड़क पर मौजूद निजी वाहनों के चालकों से अनुरोध कर अस्पतालों के लिए भेजते रहे। फुलरई में जिस स्थान पर सत्संग चल रहा था, उसके ठीक सामने सड़क के दूसरी ओर गड्ढे में लोग गिरे थे। यह गड्ढा और खेत भी फुलरई-मुगलगढ़ी न्याय पंचायत में ही आता है। जिस जगह गड्ढे में लोग गिर रहे थे, उसके आगे एक खाली खेत है और बगल में आधे खेत में चरी बोई गई है। सड़क की ओर खेत खाली है और सत्संग से पहले बारिश हो जाने के कारण पूरा खेत दलदल बना हुआ है। भगदड़ के दौरान जब सत्संग स्थल की ओर से सड़क पर आ चुके लोगों को तेज धक्का लगना शुरू हुआ तो वह सड़क के दूसरी ओर सड़क किनारे गड्ढे में गिरने से बचने के लिए चरी वाले खेत की ओर भी भागे। खेत दलदल बन चुका था।
इसमें लोगों के जूते-चप्पल छूटते रहे। वह जान बचाते हुए खेत में अंदर की ओर दौड़ते रहे। इससे खेत में खड़ी चरी की आधी फसल दलदल में दब गई थी। हादसे के दौरान ही सत्संग स्थल की तरफ भी लोग बचने के लिए पीछे की ओर खेतों में भागने लगे। इससे सत्संग स्थल के बगल के खेतों की फसल भी दलदली जमीन होने से दबकर नष्ट हो गई। उधर, हाथरस के सिकंदराराऊ तहसील के गांव फुलरई में भोले बाबा के सत्संग में हुए हादसे के बाद बाबा के सेवादार ही पीड़ितों की मदद में बाधक बन गए। हादसा होते ही बरई सहायपुर, फुलरई, बमनहार, गड़िया, मुगलगढ़ी आदि गांवों के लोग भागकर पहुंच गए थे, लेकिन भोले बाबा के सेवादार गड्ढे में गिरे और दबे पड़े लोगों को अस्पतालों में नहीं भेजने दे रहे थे। उल्टा वह गांव वालों को ही दूर भगा रहे थे। बरई सहायपुर गांव के निवासी श्याम बृजेश, वीकेश और राजकुमार ने बताया कि वह लोग खेतों से भागकर मौके पर पहुंच गए थे। तब तक गड्ढे में गिरे कुछ लोगों को निकालकर खेत में लिटा दिया गया था, लेकिन उन्हें अस्पताल नहीं भेजा जा रहा था। वह लोग उन्हें अस्पताल भेजने के लिए कह रहे थे, लेकिन सेवादार उन्हें ही दूर भगाने लगे। सेवादारों का कहना था कि आसपास कोई न आए। खुली हवा मिलेगी तो थोड़ी देर में सब सही हो जाएंगे।
इस पर कुछ देर तक तो वह दूर खड़े होकर देखते रहे। थोड़ी देर बाद उनके गांव के कई लोग आ गए। इसके बाद उन्होंने सेवादारों को हड़काया तब वह पीछे हटे। तब तक एंबुलेंस भी नहीं पहुंची थी। इस पर लोगों के निजी वाहनों को रोक-रोककर वह सभी लोगों को अस्पताल भेजने लगे। बराई सहायपुर के ही विकेश ने कहा कि सत्संग के सेवादार नहीं रोकते तो शायद कुछ घायल जल्द अस्पताल पहुंच जाते।