उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने बीएचयू चिकित्सा विज्ञान संस्थान के डा.ओम शंकर द्वारा लोकहित में विगत दिनों हुये सत्याग्रह की मांग का समर्थन एवं उस पर विचार की मांग पर 94 शिक्षकों को बीएचयू प्रशासन द्वारा नोटिस जारी किये जाने की कार्रवाई को शर्मनाक एवं गंभीर अलोकतांत्रिक कृत्य करार दिया है। राय ने एक वक्तव्य में कहा है कि 94 विश्वविद्यालयीय शिक्षकों को नोटिस की खबर से वे सभी मर्माहत हुये, जो एक लोकतांत्रिक समाज में लोकतांत्रिक संस्थानों के महत्व को गंभीरता से लेते हैं। इस घटना ने साबित किया है कि लोकतांत्रिक विश्व के विश्वविद्यालयों की परम्परा के विरुद्ध बीएचयू अपने ढांचे की विधिक लोकतंत्र की इकाइयों को खत्म कर तदर्थ अधिनायक तरीके से चल रहा है। इस घटना से यह साफ हो गया है कि लोकतांत्रिक ढंग से समाज के प्रति बौद्धिक सरोकारों की परिसर में अब कोई गुंजाइश नहीं बची। विश्वविद्यालय का बौद्धिक वर्ग स्वतंत्र सोच और चिन्तन के साथ समाज को सही दिशा देने की परम्परा निभाता रहा है। जब सही राय व्यक्त करने की उनकी आजादी ही प्रशासन छीन लेगा, तो विश्वविद्यालय भला समाज को क्या दिशा देंगे और समाज उनकी क्या कद्र करेगा ? राय ने कहा है कि सभी यह जानते हैं कि कारण जो भी हैं, पर पोस्ट कोविड समाज में हृदयाघात रोग बहुत बढ़ा है। इस पृष्ठभूमि में समाज हित में बीएचयू के सम्बद्ध विभाग में मरीजों हेतु अस्पताल में बेड संख्या बढ़ाने की मांग, उसके लिये गांधी जी के सत्याग्रह द्वारा जोर देना या उसका समर्थन कोई, अनुशासनहीनता नहीं, बल्कि लोकहित में प्रबुद्ध समाज के सक्रिय दायित्वबोध का प्रतीगशक है। संभव है कि विश्वविद्यालय संसाधनों की कमी से मांग पूरी न कर पा रहा हो, पर उस मांग को अपराध करार देकर नोटिस देना खुद में अलोकतांत्रिक अपराध है।
राय ने कहा कि बीएचयू की जिम्मेदार विधिक शीर्ष इकाइयों के ढांचे में लोकतांत्रिक दुनिया के विश्वविद्यालयों की मान्य परम्परा के विरुद्ध चुनाव आधारित इकाइयां समाप्त हैं। केवल शासन नामित संपूर्ण कार्यकारिणी भी विधान के मुताबिक लंबे समय से गठित तक नहीं हुई है। शिक्षक संघ, छात्रसंघ, कर्मचारी संघ जैसे लोकतांत्रिक निकाय प्रतिबंधित हैं। इस तरह निरंकुश तदर्थ तौर तरीकों से विश्वविद्यालय चलाया जा रहा है, पर थोक में बौद्धिकों की स्वतंत्रत अभिव्यक्ति पर लगाम कसने की इस कार्रवाई ने तो संस्था में विधि के शासन एवं लोकतंत्र की संस्कृति पर गंभीर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। बीएचयू प्रशासन को नोटिस बिना शर्त वापस लेकर इस असंगत स्थिति का निराकरण करना चाहिये। लोकतांत्रिक सामाजिक, शैक्षणिक संस्थानों के अस्तित्व में विश्वास के कारण कांग्रेस ऐसी कार्रवाई के प्रति अपना विरोध प्रकट करती है।