अंतिम चरण के मतदान के ठीक एक दिन पहले इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय राय ने कहा है कि काशी के सांसद एवं मेरे प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी के दबाव में चुनाव आयोग एवं उसका प्रशासन तंत्र मुझे बनारस के लोगों से 'बनारस की हिन्दी' में संवाद करने से रोक रहा है। समाचार पत्रों के विज्ञापन के माध्यम से मेरी अपील के ड्राफ्ट को प्रकाशन की अनुमति यह कहकर नहीं दी जा रही है कि वह भोजपुरी में लिखी हुई है। कहते हैं की आप लोग इसे खड़ी बोली में लिखिये तब हम इसकी अनुमति देंगे, क्योंकि हम किसी क्षेत्रीय भाषा में अनुमति नहीं दे सकते। जनतंत्र में जनता की भाषा में जनता से संवाद को रोकने की यह प्रशासनिक तानाशाही हमारी अभिव्यक्ति के संवैधानिक अधिकार को कुचलने तथा काशी की जनभाषा को सत्ता के इशारे पर अपमानित करने का शर्मनाक कृत्य है।
श्री राय ने कड़ा विरोध जाहिर करते हुए कहा कि 'भोजपुरी बनारस की हिन्दी' है। संविधान की आठवीं अनुसूची में उसको क्षेत्रीय भाषा की मान्यता भी नहीं है। हमारी अपील बनारस की भाषा में और देवनागरी लिपि में लिखी हुई है। उसी देवनागरी लिपि में खड़ी बोली हिन्दी भी लिखी जाती है। काशी में ही भारतेन्दु जी ने पश्चिम की खड़ी बोली को हिन्दी भाषा बनाया था और भोजपुरी उसके पहले से बनारस के लोगों की संवाद की भाषा थी। बनारस के लोगों से बनारस की भाषा में संवाद से विशुद्ध राजनीतिक विद्वेष के वशीभूत मुझे रोकने की हठधर्मी राजनीतिक पक्षपात का शर्मनाक कृत्य है, जिसकी हम कड़ी निन्दा करते हैं। इसका सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि हमारे विज्ञापन को जहां एक ओर प्रशासन ने भोजपुरी में होने से रोक रखा है, वहीं दूसरी ओर आनन फानन में उसकी सूचना नरेन्द्र मोदी के चुनाव व्यवस्थापन के लोगों को देकर दोपहर बाद, मोदी जी का टूटी फूटी भोजपुरी के लिखित संवाद वाचन का वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया गया। काशी के लोग उनकी शह पर काशी की भाषा का अपमान सहन नहीं करेंगे और इस साज़िश का उत्तर लोकतंत्र की ताकत से देंगे।