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जाति की चाशनी में सियासी साथ की खुशबू, जौनपुर लोकसभा में BJP के लिए प्लस फैक्टर बने धनंजय सिंह



 24/May/24

जौनपुर: शाहगंज और बदलापुर विधानसभा के बीच सीमा रेखा की तरह गोमती बहती है। यह दोनों ही विधानसभाएं जौनपुर लोकसभा का हिस्सा हैं। पुल पार करते ही रविशंकर खरवार की छप्पर के नीचे चाय की चुस्की लेते दो बुजुर्गों से मुलाकात हो गई। उनमें से एक बीरपुर के रहने वाले कल्पनाथ यादव बगल में बैठे अंबरपुर के श्याम बहादुर की ओर इशारा करते हुए बोले, ‘हम यादव हैंन, इ ठाकुर। हम सपा में रहबें, ई कमल दबईंह (हम सपा में रहेंगे, ये कमल दबाएंगे।)हंसते हुए श्याम बोले, ‘अब तो धनंजय भी साथ आ गए हैं।कल्पनाथ ने तंज किया हां! धनंजय इनके क्रेडिट कार्ड हैं।दरअसल, जौनपुर की सियासत में जाति की चाशनी में नए सियासी साथ की खुशबू घुली नजर आ रही है। पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय सीट वाराणसी से सटे जौनपुर लोकसभा में पांच विधानसभाएं जौनपुर सदर, मलहनी, शाहगंज, बदलापुर और मुंगरा बादशाहपुर हैं। मलहनी व मुंगरा बादशाहपुर सपा के पास है, बाकी तीन पर भाजपा गठबंधन काबिज है। एक दिन बाद यहां वोट पड़ने हैं। इसलिए, वोटर भी अपना-अपना पाला खींचने लगे हैं। यहां पर ब्राह्मण, दलित, यादव, ठाकुर और अति पिछड़ी जातियों में मौर्य-कुशवाहा के साथ ही निषाद वोटरों की प्रभावी तादात है। सियासी चेहरे अपनी-अपनी सुविधा व समीकरण के हिसाब से इसमें पालाबंदी में लगे हुए हैं। बड़े नेताओं ने भी ताकत झोंकी है। मोदी व योगी की सभाएं कृपाशंकर के पक्ष में हो चुकी हैं। बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी जनसभा की है।

जौनपुर बेनीराम की खास इमरती के स्वाद के लिए जाना जाता है। उड़द की दाल व देशी घी और खांडसारी से बनी यह मिठाई खाने में इतनी मुलायम होती है कि मुंह में रखते ही घुल जाती है। शाहगंज रोड पर सुजीत मौर्य वाया इमरती यहां का सियासी मिजाज समझाने लगे, ‘यहां कोई सांसद दोबारा चुनाव न लड़े यही उसके लिए अच्छा है। जो दोबारा आता है उसकी दुर्गति हो जाती है। रेकार्ड उठाकर देख लीजिए। इमरती एक खाने में अच्छी लगती है। ज्यादा खा लीजिए तो मीठे से मन अजीब सा होने लगेगा। इसलिए थोड़ी देर बाद दोबारा खाना चाहिए। यहां की जनता का सांसद चुनने का भी यही नुस्खा है।

दरअसल, मौजूदा सांसद श्याम सिंह यादव यहां फिर बसपा से उम्मीदवार हैं। जौनपुर में पिछले चार दशक में कोई भी लगातार सांसद नहीं बना है। श्याम सिंह के सांसद बनने के बाद क्षेत्र से कट जाने की चर्चा आम है। मल्हनी के लालचंद यादव कहते हैं, ‘जीतने के बाद सांसद का चेहरा ही कभी नहीं देखा तो उनको वोट कैसे देंगे। बसपा का जो कोर वोट है वही उनको मिलेगा। बाकी इस बार यादव तो उनके साथ जाने से रहे।

जौनपुर से पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह को बसपा से टिकट मिला था। धनंजय तब जेल में थे। नामांकन के ठीक पहले बसपा प्रमुख मायावती ने उनका टिकट काटकर श्याम सिंह यादव को दे दिया। जमानत पर बाहर आने के बाद उन्होंने भाजपा के साथ देने का ऐलान कर दिया है। इस पूरे प्रबंधनकी यहां खूब चर्चा है। शाहगंज के श्यामबदन चौरसिया इसे गेम चेंजरबताते हैं। वह कहते हैं, ‘धनंजय का ठाकुर के अलावा बाकी बिरादरी में व्यक्तिगत वोट है। जरूरतमंदों की मदद करते हैं। निर्दल लड़े थे 10 साल पहले तब भी 64 हजार वोट पाए थे। मलहनी में तो उनका खूब असर है। अब वह भाजपा के साथ हैं तो माहौल वैसे ही बन गया है।

हालांकि, क्षेत्र के ही जयप्रकाश यादव इससे बहुत सहमत नहीं हैं। वह कहते हैं, ‘धनंजय के जाने से उनके समर्थकों में नाराजगी ही है। वैसे भी धनंजय को वोट देना व भाजपा को वोट देना अलग बात है।एक स्थानीय भाजपा नेता कहते हैं कि मलहनी में सपा को अक्सर बढ़त मिलती है। धनंजय के साथ का यहां भी फायदा मिलेगा। पिछले तीन विधानसभा चुनाव में धनंजय सिंह ही यहां सपा से लड़े हैं। भाजपा बहुत पीछे रही है। कोइरीडीहा के रतन कुशवाहा का दावा है, ‘ इस बार कुशवाहा-मौर्य बिरादरी का ज्यादातर वोट सपा के बाबू सिंह कुशवाहा को जाएगा। भाजपा को कम ही मिलने के आसार हैं।भाजपा को भी इस बात का अंदेशा है। इसलिए, यहां केशव मौर्य सहित ओबीसी नेताओं के भी कार्यक्रम लगाए गए थे।

सदर के जेसीज चौराहे पर आसरा ट्रस्ट की ओर से प्याऊ की व्यवस्था है। इसके ट्रस्ट्री सिराज अहमद कहते हैं, ‘चेयरमैन सत्ता का, विधायक सत्ता का, सांसद भी सत्ता का हो जाए तो विकास ही होगा। हम तो मोदी को मरकहा प्रिंसिपलऔर योगी को मरकहा मास्टरकहते हैं। लॉ एंड आर्डर का डंडा चला लड़कों को ठीक कर दिया। सब किताब उठाने लगे हैं। 54 मुस्लिम सिविल सेवा में हुए हैं, इस बार। ऐसे ही तो किस्मत बदलेगी। मेरे लिए तो एक अदा ही फिदा होने के लिए काफी है...।

हालांकि, सिराज यह भी मानते हैं कि पूरी लोकसभा में 5-7 हजार ही मुस्लिम वोट भाजपा को मिलेंगे, बाकी सब सपा को जाएंगे। सिराज के जाते ही उनकी बात सुन रहे नईम की टिप्पणी थी, ‘बड़ा प्रवक्ता बने हैं। एक अदा पर सौ ऐब भूल जाएं? माइनॉरिटी का वोट I.N.D.I.A के साथ ही है।औलंदगंज में सब्जी का ठेला लगाने वाली सावित्री सोनकर कानून-व्यवस्था की तारीफ करती हैं, लेकिन पुलिस के रवैये से वह खफा है। हालांकि, इसकी सजावह मोदी को देने के पक्ष में नहीं हैं। मुंगरा बादशाहपुर के चंदन दुबे कहते, ‘विपक्ष के दोनों उम्मीदवार ही पिछड़ी जाति के हैं। इसलिए बाभन, ठाकुर, बनिया, वैश्य का वोट बंटेगा नहीं, भाजपा को ही जाएगा।गोलबंदी का ऐसा ही तर्क मलहनी के रवींद्र कुमार का है। उनका दावा है, ‘यादव, मुस्लिम, कुशवाहा-कोइरी के साथ ही पढ़े-लिखे दलित भी सपा को वोट देंगे। यहां लड़ाई बराबर की है।फिलहाल, जौनपुर को जमीनी इशारा यही है- लड़ाई तो सीधी है, सधेगी उसकी ही जो गणित को ठीक से साध ले जाएगा।

कृपाशंकर सिंह, भाजपा: महाराष्ट्र में कांग्रेस की राजनीति की। सरकार में मंत्री भी बने रहे। 2021 में भाजपाई हो गए। जौनपुर के ही मूल निवासी हैं। बाबू सिंह कुशवाहा, सपा: बसपा से राजनीति शुरू की। मायावती सरकार के सबसे ताकतवर मंत्रियों में गिनती रही। कई घोटालों के आरोप में जेल में रहे। चुनाव के बीच सपा में आए। श्याम सिंह यादव, बसपा: प्रशासनिक अधिकारी से राजनीति का सफर। 2019 में यहां से बसपा से सांसद बने। टिकट कट गया था, लेकिन, धनंजय सिंह की पत्नी का टिकट कटा तो फिर उम्मीदवार बन गए।


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