वाराणसी। गंभीर नवजात शिशुओं के उपचार में अहम भूमिका इस वक्त ‘एनबीएसयू’ निभा रहा है। सीएचसी चोलापुर समेत चार चिकित्सा इकाइयों पर एनबीएसयू की सुविधा उपलब्ध है। पिछले एक वर्ष में 719 बच्चों को भर्ती कर सफलतापूर्वक उपचार किया जा चुका है।
हाल ही में चोलापुर निवासी नीलम (25 वर्ष) ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) चोलापुर पर पिछले माह सात तारीख को साढ़े तीन किलो ग्राम की बच्चे को जन्म दिया। लेकिन जन्म के तुरंत बाद बच्चे को ऐंठन, झटके और कपकपी होने लगी, जिससे नीलम बहुत घबरा गईं थीं। तत्पश्चात बच्चे को सीएचसी पर स्थित न्यू बोर्न स्टेबलाइज़ेशन यूनिट (एनबीएसयू) में भर्ती किया गया। वहाँ प्रशिक्षित शिशु रोग विशेषज्ञ व स्टाफ नर्स की देखरेख में उचित उपचार किया गया। करीब एक सप्ताह तक बच्चे का उपचार चला और 16 मार्च को डिस्चार्ज हो गया। शिशु के पिता वीरेंद्र कुमार ने कहा कि अच्छा हुआ कि हमने अपने बच्चे का प्रसव सरकारी चिकित्सालय में कराया। लेकिन सीएचसी के डॉक्टरों ने मेरे बच्चे का बहुत ख्याल रखा। अब मेरा बच्चा एक माह से ज्यादा का हो गया है और वह पूरी तरह स्वस्थ है।
इसी कड़ी में चोलापुर निवासी सपना (21 वर्ष) ने सीएचसी चोलापुर पर फरवरी को दो किलो नौ सौ ग्राम के बच्चे को जन्म दिया। लेकिन शिशु को पेट संबंधी समस्या और संक्रमण था। इसके अलावा उसे झटके भी आ रहे थे। शिशु की गंभीर हालत देखकर उसकी माँ और समस्त परिवार वाले घबरा गए थे। लेकिन प्रशिक्षित स्टाफ की देखरेख में तुरंत शिशु को एनबीएसयू में भर्ती किया गया। करीब दो सप्ताह तक चले उपचार से वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया, जिससे समस्त परिवार वालों के चेहरे पर खुशी की लहर आ गई। शिशु की नानी सुमन ने कहा कि सीएचसी पर जच्चा-बच्चा दोनों की बहुत अच्छी देखभाल की गई और बेहतर उपचार भी किया गया। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले आशा ने गृह भ्रमण के दौरान शिशु की सामान्य जांच की, जिसमें वह स्वस्थ पाया गया।
इसी तरह सीएचसी पर जन्में शिशुओं में आ रहीं चिकित्सीय व स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में न्यू बोर्न स्टेबलाइज़ेशन यूनिट (एनबीएसयू) अहम भूमिका निभा रहा है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि जनपद की चार चिकित्सा इकाइयों (एफ़आरयू) क्रमशः सीएचसी चोलापुर में चार बेड, सीएचसी अराजीलाइन में दो बेड, सीएचसी गंगापुर (पिंडरा) में दो बेड और जिला चिकित्सालय रामनगर में 6 बेड का एनबीएसयू संचालित किया जा रहा है। जन्म के उपरांत शिशु में कोई भी समस्या दिखाई देती है तो उसे तत्काल एनबीएसयू में भर्ती कर समस्त जांच व उचित उपचार किया जाता है। एनबीएसयू, शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में कमी लाने के लिए बेहतर भूमिका निभा रहा है। सीएमओ ने जनमानस से अपील की है कि चिकित्सालय में प्रसव के उपरांत कम से कम 48 घंटे तक जच्चा बच्चा रुके रहें, ताकि किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या होने पर वहीं के प्रशिक्षित डॉक्टर व स्टाफ उचित उपचार कर उन्हें स्वस्थ कर सकें।
डिप्टी सीएमओ व नोडल अधिकारी डॉ एचसी मौर्य ने बताया कि एनबीएसयू का समस्त स्टाफ प्रशिक्षित है। यहाँ रेडिएंट वार्मर और फोटो थेरेपी के साथ ऑक्सीज़न कंस्ट्रेटर, सक्सन मशीन, लेरिंगों मशीन, ड्रिप सेट, दवा, एवं अन्य आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि पिछले एक वर्ष में समस्त चारों स्वास्थ्य इकाइयों पर संचालित एनबीएसयू में 719 नवजात शिशुओं को भर्ती कर सफलतापूर्वक उपचार किया जा चुका है, जिसमें सीएचसी चोलापुर में 499, सीएचसी अराजीलाइन में 176 एवं जिला चिकित्सालय रामनगर में 44 शिशुओं को भर्ती कर सफलतापूर्वक उपचार किया गया। इस कार्य में यूपीटीएसयू की ओर से तकनीकी सहयोग मिल रहा है।
जनपद का मिनी जिला चिकित्सालय कहे जाने वाले चोलापुर सीएचसी के अधीक्षक डॉ आरबी यादव ने कहा कि सीएचसी पर एनबीएसयू वर्ष 2016 से संचालित किया जा रहा है। वर्तमान में यहाँ पर दो शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अकांछा सिंह व डॉ. संतोष सिंह यादव समेत चार स्टाफ नर्स तैनात की गई हैं। एनबीएसयू में कम वजन वाले बच्चों, प्री मेच्योर (समय से पूर्व जन्में बच्चे) या जन्म के उपरांत होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का उपचार किया जा रहा है। यहाँ कंगारू मदर केयर (केएमसी) विधि, रेडिएंट वार्मर और फोटो थेरेपी की सुविधा उपलब्ध है। अधीक्षक ने बताया कि रेडिएंट वार्मर, शिशु के शारीरिक तापमान को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है। फोटो थेरेपी, पीलिया से ग्रसित बच्चों को दी जाती है। सभी उपचार पूरी तरह सुरक्षित है। उन्होंने बताया कि पिछले एक वर्ष में यहाँ 499 शिशुओं को भर्ती कर सफलतापूर्वक उपचार किया गया।